अजमेर. तीर्थ गुरु पुष्कर में करोड़ों हिंदुओ की आस्था है. लेकिन गर्मी के मौसम में पवित्र सरोवर में स्नान और पूजा अर्चना के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भावना आहत हो रही है. सरोवर का जलस्तर लगातर घट रहा है. वहीं प्रदूषित दिखने से स्नान छोड़ आचमन से भी लोग कतरा रहे (Decreasing water level of Pushkar Sarovar) है. सरोवर की दुर्दशा को लेकर तीर्थ पुरोहितों एवं सामाजिक कार्यकर्त्ताओ में रोष है. उनका आरोप है कि सरोवर के किनारों पर बने कुंडों की नियमित सफाई नहीं होने से जल प्रदूषित हो रहा है. वही बोरिंगों का पानी भी सरोवर में नही छोड़ने से हालात और विकट होते जा रहे है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जगतपिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर को हिंदुओ के सभी तीर्थों का गुरु माना जाता है. पुष्कर में पवित्र सरोवर का सबसे विशेष महत्व है. सरोवर के जल को नारायण का रूप माना जाता है. सदियों से देशभर से श्रद्धालु तीर्थ दर्शन के साथ सरोवर में स्नान पूजा अर्चना के लिए आते रहे हैं. यूं तो सरोवर में 12 महीने स्नान का महत्व है लेकिन कार्तिक माह और वैशाख माह में सरोवर में स्नान का विशेष महत्व है. सरोवर के 52 घाटों पर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना करवाते है. गर्मी के मौसम में पुष्कर सरोवर के हालात विकट हो गए हैं. सरोवर के तट पर बने कुंड का जल प्रदूषित हो चुका है.
वहीं सरोवर का जल भी प्रदूषित होने लगा है. केवल वराह घाट पर बने कुंड में बोरिंग के पानी से कुंड के जल स्थिति सही है. जबकि शेष कुंड और सरोवर का जल स्नान छोड़ आचमन करने योग्य भी नहीं रहा है. पुष्कर सरोवर के जल का स्तर गिर रहा है. सरोवर में खाद्य सामाग्री डाले जाने से सरोवर के जल के दूषित होने से मछलियों के जीवन पर भी संकट खड़ा हो गया है. श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है. वहीं तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी भी बढ़ रही है.
सरोवर में बोरिंग का पानी छोड़ा जाए: वराह घाट के प्रधान एवं तीर्थ पुरोहित रवि शर्मा बताते हैं कि पानी को लेकर तीर्थ में घोर लापरवाही देखने को मिल रही है. बोरिंग अधिकत्तर बंद पड़े रहते हैं. कुंडों में जल सड़ांध मार रहा है. दो दिन कुंडों में बोरिंग का पानी नहीं डाला जाता है तो कुंड के पास खड़ा होना भी मुश्किल हो हो जाता है. स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही है. सरोवर में जल से आचमन नहीं कर सकते यह दयनीय स्थिति है.
कांग्रेस और बीजेपी नेताओं को नहीं दिखती दुर्दशा: बुजुर्ग तीर्थ पुरोहित राधावल्लभ मुखिया ने कहा कि जगत पिता ब्रह्मा और पुष्कर सरोवर की वजह से हमको भोजन मिल रहा है. सरोवर में जल स्तर को बनाए रखने के लिए 5 बोरिंग लगा रखे हैं. लेकिन सभी बोरिंग बंद पड़े हैं. पुष्कर राज का जल गंदा हो रहा है उसे देखने वाला कोई नहीं है. घाट पर कई कुंड सूखे पड़े हुए हैं. वैसाख में घाट पर यात्रियों के पीने और छांव के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. पुष्कर में हालात अंधेर नगरी चौपट राजा जैसे हो चुके हैं. कांग्रेस और बीजेपी के नेता सो रहे हैं. नेता चुनाव में जनता से वोट मांगने आते हैं लेकिन जनता की सुनवाई नहीं हो रही है. यही हालात रहे तो तीर्थ पुरोहित मिलकर आंदोलन खड़ा करेंगे.
श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को पहुंच रही है ठेस: पुष्कर के सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से बारिश कम होने की वजह से सरोवर का जल स्तर घटता जा रहा है. सरोवर में बोरिंग से पानी छोड़ा जाता है, लेकिन पुष्कर कस्बे में पेयजल की व्यवस्था चल रही है. इस कारण सरोवर का जल प्रदूषित हो रहा है और जल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर संकट खड़ा हो रहा है. पाराशर ने कहा कि वैशाख को बड़ा महीना कहते हैं. लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए यहां आते हैं. उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में एकादशी से पूर्णिमा आने वाली है. उस वक़्त तीस से 40 हजार श्रद्धालु प्रति दिन सरोवर में स्नान के लिए आते हैं. तब जल की कमी भारी पड़ेगी.
प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है. वहीं इतने वर्षों में सरोवर का जलस्तर बनाए रखने के लिए कोई मैकेनिज्म तक नहीं बन पाया है. कई तीर्थ क्षेत्रों में नदी और सरोवरों का स्थानीय प्रशासन की ओर से गंभीरता के साथ ध्यान रखा जाता है. वहीं पुष्कर सरोवर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा. सरोवर में खाद्य सामग्री डालने पर कोई रोक नहीं है. सरोवर के जल की स्थिति को देखकर श्रद्धालु निराश होकर जाते हैं. उन्होंने बताया कि कुंड का पानी सर जाने के बाद दूषित जल को भी सरोवर के पानी के साथ ही मिला दिया जाता है. इस कारण सरोवर का जल भी दूषित हो रहा है. वहीं सब जानते हैं कि सीवेज का पानी भी कई बार सरोवर में दाखिल हो चुका है. इससे श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचती है.