अजमेर. दरगाह के बुलंद दरवाजे के समीप दो देग स्थित है. जिसमें बड़ी देग में 120 मन खाना बनाया जाता है जो कि अकबर बादशाह द्वारा पेश की गई थी. वहीं छोटी देग जिसमें 60 मन खाना बनाया जाता है, जिसे जहाँगीर बादशाह द्वारा पेश किया गया था. दोनो देग का ठेका लगभग 3 करोड़ में छोड़ा गया हैं.
दरगाह देग को संभालने वाले खादिम हाजी शेखजादा इफ्तिखार मोहम्मद चिश्ती ने जानकारी देते हुए बताया कि देग का ठेका 25 दिन के लिए छोड़ा जाता है, इसमें से 15 दिन का उर्स के होते है और 10 दिन पुष्कर मेले के ठेके में शामिल होते हैं.
गौरतलब है कि देग की बोली चार-पांच दिन पूर्व में लगाई गई थी जो लगभग 3 करोड़ 55 लाख रुपए तक पहुंच गई थी, लेकिन भारत और पाक के बीच तनाव की खबरों के कारण ठेकेदार ने मना कर दिया और ठेका रद्द करना पड़ा. यह दूसरी बार ठेका छोड़ा गया था. पिछली बार ठेका 3 करोड 70 लाख 40 हजार में छुटा था.
अकबर और जहांगीर के बाद से जो भी यहां अपनी मुरादे पूरी होने के बाद आते हैं. वह देग पकवा का गरीबों को प्रसाद के रूप में बंटवाते हैं.
बड़ी देग को पकाने में जहां सवा लाख रुपए का खर्चा आता है तो वहीं छोटी देग में भी कम से कम 60000 लगते हैं. खास बात यह है कि दोनों देगो में मीठे चावल प्रसाद के रूप में बनाया जाता है.