अजमेर. कोरोना ने आम जीवन के उल्लास, त्योहार और खुशियों का रंग फीका कर दिया है. इस पूरे साल कोरोना ने तीज-त्योहारों की रंगत छीन ली है. हर बार की तरह इस बार दशहरा महोत्सव पर रावण दहन की परंपरा भी नहीं हो पाएगी. ऐसे में लॉकडाउन की मार झेल रहे रावण का पुतला निर्माण करनेवाले कारीगर अच्छी बिक्री की उम्मीद में पुतला निर्माण तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें डर है कि कोरोना उनकी कमाई न खा जाए.
कोरोना से बचाव के कारण लॉकडाउन के कारण सबसे छोटे कारीगरों पर सबसे अधिक संकट आया है. लोगों का जीवन बड़ी संकट भरी परिस्थितियों में गुजर रहा है. वहीं छोटे उद्योग-धंधे से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति लॉकडाउन में खराब हो चुकी है. ऐसे में तीज और त्योहार भी फीके पड़ने लगे हैं. बता दें कि इस बार 25 अक्टूबर को दशहरा महोत्सव है, लेकिन इस बार रावण दहन पर कोरोना रूपी रावण ने ग्रहण लगा दिया है.
5 फीट से 50 फीट तक के पुतले हो रहे तैयार...
प्रदेश में राजस्थान सरकार ने 30 अक्टूबर तक धारा 144 लागू किया है. अब ऐसे में लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ रहा है. आदर्श नगर क्षेत्र में रावण का पूतला बनानेवाले कारीगर रावण का पुतला बनाते हुए नजर आते हैं. ये लोग 2 जून की रोटी की तलाश में अजमेर में चले आए हैं.
मालपुरा के रहने वाले इस परिवार से ईटीवी भारत ने बातचीत की. इन परिवारों ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले लगभग 10 से 12 सालों से वह अजमेर में आ रहे हैं. कारीगर ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके द्वारा लगभग 5 फीट से 50 फीट के रावण के पुतलों को तैयार किया जा रहा है. जिनमें मेघनाथ और कुंभकरण को भी शामिल किया गया है.
दो दिन की जुगत में कर रहे निर्माण...
वहीं, कारीगरों ने बताया कि वे रावण के पुतलों को तैयार कर गली-मोहल्लों में दशहरा के लिए बेच देते हैं, लेकिन इस बार उनके सामने भी संकट की स्थिति खड़ी हो चुकी है. कारीगरों को डर है कि इस बार उनका व्यापार ठप हो जाएगा, क्योंकि कोरोना काल में अजमेर में रावण दहन छोटे स्तर पर भी होगा, इसमें भी संशय है.
लॉकडाउन की मार झेल रहे ये कारीगर अब बड़ी हिम्मत से पुतले के निर्माण में जुटे हैं. वे अपने परिवार के साथ इसी आशा में बैठे हैं कि कुछ पुतले बिके तो 2 जून की रोटी के लिए व्यवस्था हो जाए.
पुतला नहीं बिकेगा तो होगा काफी नुकसान...
रावण के पुतले बना रहे कारीगर ने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना संक्रमण काल को देखते हुए उनके पुतले इस बार नहीं बिके तो उन्हें काफी नुकसान होगा. पिछली बार भी वह नुकसान से गुजर रहे थे. इस बार उन्हें उम्मीद थी कि इस बार तो उनका व्यापार ठीक होगा, लेकिन इस बार किस्मत की ऐसी मार इन कारीगरों पर पड़ी है कि उनके पास में एक भी पुतले का ऑर्डर नहीं आया है.
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कारीगर इसी आशा के साथ रावण के पुतलों को तैयार कर रहे हैं कि कुछ बिक्री अच्छी हो जाए और उन्हें मुनाफा हो. उन्होंने कहा कि इस बार वह है काफी देर से अजमेर में आए हैं. उन्हें मात्र केवल 10 से 12 दिन ही हुए हैं. कारीगर कहते हैं कि इस बार उन्हें पूरी दशहरा महोत्सव की धूम फीकी नजर आ रही है. ऐसे में अगर व्यापार नहीं चला तो उन्हें लाखों रुपए का नुकसान होगा.