अजमेर. एक तरफ सरकारी अस्पतालों में निशुल्क दवा की कमी बताई जाती है, वहीं दूसरी तरफ अजमेर में चिकित्सा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां मुख्यमंत्री निशुल्क दवा कचरे के ढेर में पड़ी हुई मिली. साथ ही दवाओं में हेराफेरी का भी ईटीवी भारत ने हैरान करने वाला खुलासा किया है.
निजी अस्पतालों में खपाई जा रही मुफ्त योजना की दवाईयां
इन दवाओं के मिलने के बाद ईटीवी भारत ने इस पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश की. जानकारी के मुताबिक अजमेर हॉस्पिटल में राज्य सरकार की ओर से मरीजों की सुविधा के लिए भेजी गई मुख्यमंत्री निशुल्क दवाएं संभवत इन दिनों निजी अस्पतालों में खपाई जा रही है. मरीजों की संख्या में हेरफेर करके महंगी ग्लूकोस की बोतलों और इंजेक्शनों को निजी अस्पतालों में सप्लाई किया जा रहा है. इसका खुलासा शुक्रवार को हुआ.
सील पैक ग्लूकोस की बोतलें कचरे में मिली
ईटीवी भारत एक कैमरे में वो सभी चीजे रिकॉर्ड हुई है. जहां सील पैक ग्लूकोस की बोतलें आम जनता तक नहीं पहुंच कर कचरे के ढेर में नजर आ रही है. यह मामला अजमेर के जनाना रोड का है. जहां ग्लूकोस की सील पैक बोतलें कचरे के ढेर में नजर आई. जब हमने इसकी तहकीकात की तो पता चला कि एक स्कूटर पर युवक दवाओं के कार्टून को यहां छोड़ जाता है. इस कार्टून को बाद में दूसरा युवक यहां से ले जाता है. संभव है ऐसा माना जा रहा है कि सरकारी दवाओं में हेरफेर करके निजी अस्पतालों या क्लीनिक में दवाओं को खपाया जा रहा है. जबकि सरकारी अस्पतालों में कई मर्तबा दवाइयां खत्म होने का हवाला देकर दवाइयां मरीजों से बाहर से मंगवाई जाती है.
किसकी मिलीभगत से हो रहा दवाओं का गोरखधंधा
इससे तरीके से तो ऐसा लग रहा है स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से कितना बड़ा गोरख धंधा दवाइयों का अजमेर में किया जा रहा है. 2 बड़े कार्टन सील पैक जिसमें एक कार्टन में (एनएस सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन ) ग्लूकोस की 0.9 प्रतिशत की 500 एमएल की बोतलें भरी हुई है. कार्टून में रखी ग्लूकोस की बोतल आरएमएससी की सप्लाई हुई है. बोतल पर लाइसेंस नंबर 028 डी 1-2001 लिखा हुआ है. जबकि बैच संख्या 18 पीसी 273 है. इसकी पैकिंग तिथि अप्रैल 2018 तथा अवधि पार की तिथि मार्च 2021 है.