अजमेर: ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (Triple Negative Breast Cancer ) के इलाज की उम्मीद जगी है. इस उम्मीद से भारत का गहरा और अटूट नाता है. राजस्थान के अजमेर की बेटी डॉ छवि जैन (Success Story Of Ajmer Daughter) का नाम उन Researchers की टीम में शामिल है जिसने जानवरों पर वैक्सीन का सफल परीक्षण किया है और अब सफलता की एक अहम सीढ़ी चढ़ चुकी हैं. वर्तमान में डॉ छवि अमेरिका के लर्निंग इंस्टीट्यूट क्लीवलैंड क्लीनिक में साइंटिस्ट हैं. छवि अमेरिकन कैंसर सोसायटी की फीमेल रिसर्च एंबेसडर भी हैं.
छवि अजमेर में ही पली बढ़ी हैं. माता पिता दोनों चिकित्सक हैं. अजमेर के वैशाली नगर स्थित सागर विहार कॉलोनी में डॉ छवि जैन के माता पिता रहते हैं. डॉ छवि जैन के पिता डॉ संजीव जैन अजमेर जेएलएन अस्पताल (JLN Hospital Ajmer) में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. मां डॉ नीना जैन जेएलएन हॉस्पिटल में ही एनेस्थीसिया विभाग में सीनियर प्रोफेसर और पूर्व एचओडी हैं. छवि की शुरूआत में पढ़ाई अजमेर की सोफिया और मयूर स्कूल में हुई.
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मां ने बताया- Academics में अच्छी
डॉ नीना जैन बताती है कि बचपन से छवि अपनी पढ़ाई को लेकर सीरियस थी उसे कभी पढ़ाई के लिए कहना नही पड़ता था. इसके अलावा स्कूल में डांस और अन्य गतिविधियों में छवि का प्रदर्शन काफी अच्छा रहता था. स्कूलिंग के बाद छवि ने पुणे के इंस्टिट्यूट ऑफ बायो इनफॉर्मेटिक्स एवं बायोटेक्नोलॉजी से एम.टेक किया. इसके बाद स्विजरलैंड की स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली. उन्होंने बताया कि वर्तमान में डॉ विंसेंट टूही और डॉ थॉमस बड़ की रिसर्च पर आधारित कैंसर वैक्सीन की ट्रायल टीम में वह शामिल रहीं.
बनना चाहती थीं इंजीनियर
डॉ नैना जैन बताती है कि छवि और उसकी बहन दोनों पढ़ाई करती थीं. लेकिन छवि ज्यादा देर एक जगह पढ़ाई के लिए नही बैठती थी. जबकि बहन उससे ज्यादा देर पढ़ाई करती थी. छवि में लर्निंग पॉवर अधिक थी. वह कम देर पढ़ती थी लेकिन जितना पढ़ती थी वह उसे याद रहता था. डॉ छवि की माँ डॉ नीना ने बताया कि 10th पास करने के बाद छवि ने गणित विषय चुना था. दरअसल छवि अपने कजन भाइयों की तरह इंजीनियर बनना चाहती थीं, लेकिन कुछ दिन बाद ही उसमें बायो पढ़ने की इच्छा जागृत हुई.
स्कूल प्रबंधन से मंजूरी लेकर एक दिन उसने भाइयों की क्लास भी अटेंड की थी. बायो में उसकी रुचि बढ़ने लगी. जिसके बाद स्कूल मैनेजमेंट से रिक्वेस्ट कर उसे बायो विषय दिलवाया गया. इस दौरान ही उसे मेडिकल कोचिंग भी ज्वाइन करवाई गई. तब एमबीबीएस कर फिजिशियन बनने की भी उसमें इच्छा थी, लेकिन उसके पिता और मैंने उसे सेल एंड जीन थेरेपी में रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस दिशा में वह आगे बढ़ती चली गई.
आगे की प्लानिंग भी मां ने बताई
उन्होंने बताया कि छवि ड्रग सेक्टर में कुछ नया करने की सोच रही है. उसकी इच्छा है कि भविष्य में वह भारत आकर कुछ इस दिशा में कर सके. फिलहाल डॉ नीना जैन बेटी की सफलता से वह बहुत खुश हैं. उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के लिए तैयार की गई वैक्सीन का जानवरों पर सफल परीक्षण किया गया है. वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के पहले चरण में ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर से प्रभावित 18 से 24 आयु वर्ग की महिलाओं में 2 सप्ताह के अंतर से तीन डोज दी जाएगी.
कैसे करेगी वैक्सीन काम?
उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन अल्फा लेक्टलब्यूमिन नामक ब्रेस्ट कैंसर प्रोटीन पर प्रहार करती है. ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (Triple Negative Breast Cancer Research Team) के 70 प्रतिशत मामलों में यह प्रोटीन बनाती है. रिसर्च टीम महिलाओं पर वैक्सीन के साइड इफेक्ट के साथ देखेगी कि क्या कैंसर के विरुद्ध उनमें कोई प्रतिरोधक क्षमता बनी है. उन्होंने बताया कि भारतीय महिलाओं में ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (Triple Negative Breast Cancer ) की आशंका ज्यादा रहती है. इसकी मुख्य वजह जलवायु, कुपोषण, जेनेटिक परिवर्तन, मोटापा और जीवनशैली है। डॉ नीना जैन ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर कॉमन है लेकिन ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर भारत में महिलाओं में अधिक है.इसके लिए अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं है.