अजमेर. कायड़ विश्राम स्थली में विशाल जन स्वाभिमान मंच के बैनर तले रविवार को महासम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में संत समताराम के नेतृत्व में जातिवाद के खिलाफ बिगुल बजाने का संदेश दिया गया, साथ ही आरक्षित वर्ग को संरक्षण, वंचित लोगों को आरक्षण और अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया गया. इसके अलावा मंच से योग्य व्यक्ति को ही वोट देने और जातिवाद को बढ़ावा देने वालों को वोट की चोट देने का आह्वान किया गया.
मंच पर संत समता राम समेत कई संतों ने जन स्वाभिमान मंच पर अपने विचार रखे. सम्मेलन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में विभिन्न जाति-धर्म के लोग वक्ताओं को सुनने के लिए पहुंचे. मंच पर मौजूद वक्ताओं ने संतों के माध्यम से सामाजिक समरसता लाने और सभी वर्गों के लोगों के लिए न्याय, सुरक्षा और सेवा दिलवाने के लिए कहा गया. मंच से जातिवाद को खत्म करने और मानवतावादी विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही गई.
वक्ताओं ने कहा कि समाज में भ्रष्टाचार और जातिवाद से मानव जाति को मुक्ति दिलाने और पिछड़ों को उनका हक दिलवाने के अलावा आरक्षित को संरक्षण और वंचित को आरक्षण दिलवाना, महिलाओं दलितों एवं आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करना और दोषियों को सजा दिलवाने के लिए हर समय सहायता करना है. महासम्मेलन में ऋषिकेश से आए महामंडलेश्वर अरुण गिरी महाराज, कार्यक्रम के आयोजक मेघराज सिंह रॉयल, सुखदेव सिंह, प्रियंका मेघवंशी, एजाज कायमखानी, अंजुमन कमेटी के सदर सैयद गुलाम किबरिया, आदिल खान समेत कई लोगों ने मंच पर मौजूद थे.
यह बोले संत समता राम : जन स्वाभिमान मंच के बैनर चले आयोजित महासम्मेलन में संबोधित करते हुए संत समताराम ने कहा कि जाति विशेष के लोग मुख्यमंत्री के पद की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस सीएम पद को लेने के बाद उन्हें आरक्षण भी छोड़ देना चाहिए. सीएम पद और आरक्षण दोनों एक साथ नहीं मिल सकते. उन्होंने कहा कि सरकारी महकमो में कोई भी पद हो जाति विशेष के लोग 75 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रहे हैं. इस तरह से जाति विशेष के लोग साधन संपन्न होते जा रहे हैं और अन्य जाति आरक्षित होने के बावजूद भी पिछड़ती जा रही है और उनका शोषण हो रहा है. यह मुहिम उनका शोषण से बचने के लिए शुरू की गई है.
संत समताराम ने अपने संबोधन में कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के बाद भी संपन्न जाति विशेष के लोग किसी न किसी तरह से रास्ता निकालकर कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकार छीन रहा है. वर्षों से शासन और प्रशासन में ऐसे ही जाति विशेष के लोग अपना आधिपत्य रखे हुए हैं. कमजोर और पिछड़े वर्गों के हकों को छिनने वाली व्यवस्थाओं के खिलाफ क्रांति का आरंभ किया जाना जरूरी है. पिछड़े लोगों की शासन प्रशासन में भागीदारी बहुत ही कम है.