नसीराबाद (अजमेर). पंचायती राज चुनाव को लेकर चुनावी मैदानों में बड़े बड़े दावे और वादे किए जाते हैं लेकिन फील्ड में उन दावों और वादों की पोल खुल जाती है. बात कर रहे हैं नसीराबाद नगरपालिका क्षेत्र की, जिसका बोर्ड बने एक साल हो चुका है लेकिन क्षेत्र के हालात देखकर तरस आता है. पूरा क्षेत्र कचरे के ढेर में तब्दील नजर आता है, न साफ-सफाई का खयाल है और न ही बुनियादी सुविधाओं का.
बुनियादी सुविधाओं से महरूम नसीराबाद नगरपालिका क्षेत्र के बाशिंदे किसी बदलाव का इंतजार करते हैं, लेकिन तर्क यह दिया जाता है कि सालभर से स्थाई कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति नहीं होने से काम रुके हुए थे. गत 3 दिसंबर को कनिष्ट अभियंता साबिर खान ने पदभार ग्रहण कर लिया है, इस लिहाज से अब ये बहाना भी नहीं रहा. लिहाजा क्षेत्रवासी बड़ी उम्मीद से अब तक नहीं हुए विकास की बाट जोह रहे हैं.
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नसीराबाद में गंदगी का अंबरा
क्षेत्र के 20 वार्डों में से 10 के पास बगीचों का एरिया अलॉट है, लेकिन इन पार्कों की हालत बेहद खराब है. जगह-जगह गंदगी के अंबार लगे हैं. डिस्पेंसरी हो, पुलिस चौकी हो, स्कूल हो या फिर श्मशान, हर जगह बुनियादी सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है. यहां तक कि नसीराबाद नगरपालिका क्षेत्र का कार्यालय तक किराये के भवन में चल रहा है. बड़ी बात ये भी है कि जब से बोर्ड का गठन हुआ है तब से सिर्फ दो बैठकों का आयोजन किया गया है, इससे इलाके के पार्षदों में भी रोष रहा है.
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नगरपालिका बनाने की मांग पूरी हुई, विकास नहीं हुआ
नसीराबाद वासियों की बरसों से मांग थी कि नसीराबाद में नगरपालिका का गठन किया जाए. भाजपा की पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने ब्यावर मार्ग स्थित आवासन मंडल कॉलोनी को नसीराबाद नगर पालिका का दर्जा देकर नसीराबाद को नगरपालिका की सौगात तो दी, लेकिन नसीराबाद छावनी परिषद के 8 वार्ड में से किसी वार्ड को इस नए क्षेत्र में शामिल नहीं किया गया. छावनी परिषद के इस इलाके की आबादी करीब 52 हजार है. छावनी परिषद केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन है. जिसके कारण नसीराबाद के वासियों को राजस्थान सरकार की कई योजनाओं का फायदा नहीं मिल पाता.
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सबसे कम मतदाता की नगरपालिका
वहीं गहलोत सरकार ने प्रदेश की सबसे छोटी यानी कम मतदाता (महज 1044) वाली 20 वार्डों की नगरपालिका का गत 16 नवम्बर 2019 को चुनाव कराकर नसीराबाद नगर पालिका बोर्ड का गठन तो करा दिया. लेकिन गठन के एक साल बाद भी यहां विकास नहीं होने से नगरपालिका क्षेत्र के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. नसीराबाद नगर पालिका में 20 वार्डों में एक निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस ने बोर्ड बनाया. इस चुनाव में भाजपा के 10 पार्षद जीते थे.
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निर्दलीय पार्षद शारदा मितलवाल बनीं पालिका अध्यक्ष
नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिये कांग्रेस ने निर्देलीय पार्षद शारदा मितलवाल को और भाजपा ने अनीता मितल को मैदान में उतारा लेकिन दोनों को दस-दस वोट मिलने पर पर लॉटरी के माध्यम से अध्यक्ष पद पर कांग्रेस समर्थित शारदा मितलवाल और उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के शम्भू साहू निर्वाचित हुए. पालिका का ये एक साल पार्षदों में आपसी खींचतान के हवाले हो गया, वहीं नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी के कारण क्षेत्र का विकास नहीं हो सका.
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हर जन सुविधा का हाल खराब
बीते महीने गहलोत सरकार द्वारा 4 पार्षद मनोनीत करने से पार्षदों की संख्या 24 हो गई है. नगरपालिका में करीब एक वर्ष से कनिष्ट अभियंता के खाली पड़े पद पर गत 3 दिसम्बर को साबिर खान ने पदभार ग्रहण किया है. नगर पालिका क्षेत्र में अस्पताल और डिस्पेंसरी नहीं होने के कारण क्षेत्र के लोगों को नसीराबाद अस्पताल जाना पड़ता है, जो यहां से करीब 3 किलोमीटर दूर पड़ता है. नगर पालिका क्षेत्र में 20 वार्डों में से 10 में पार्क की जमीन उजाड़ पड़ी है, जहां कंटीली झाडियों और गंदगी के अंबार लगे हैं. यहां लगाए गए झूले भी टूट चुके हैं. इलाके में सड़कों का हाल भी बेहाल है और ये जगह-जगह से टूटी हुई हैं. वहीं नगर पालिका द्वारा निर्मित दो टॉयलेट के हालात भी बदतर हैं. क्षेत्रवासियों का कहना हे कि नसीराबाद नगरपालिका बोर्ड के गठन को एक साल हो गया है, लेकिन सीवरेज की सफाई नहीं होने से गंदा पानी अक्सर रोड पर बहता है. गंदे पानी और झाड़ियों के कारण यहां आवारा जानवरों का भी जमावड़ा रहता है.
अधिकारी झाड़ रहे पल्ला
नगर पालिका पार्षद सरोज बिस्सा ने बताया कि सालभर से यहां विकास नहीं हुआ है और अधिकारी एक दूसरे के पाले में गेंद डालकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार और नसीराबाद में कांग्रेस का बोर्ड होने के बाद भी बजट का टोटा रहता है. नगर पालिका क्षेत्र में सरकार द्वारा बनाया गया अम्बेडकर भवन का काम भी पूरा नहीं होने के कारण नगरपालिका वासियों के यह काम नहीं आ पा रहा है.
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गौरतलब है कि नसीराबाद नगरपालिका ने नसीराबाद बस स्टैंड पर यात्रियों की सुविधा के लिए करीब 30 लाख की लागत से सुलभ शौचालय का शिलान्यास 2017 में किया था. लेकिन नगरपालिका प्रशासन की अनदेखी के कारण आज भी यह अधुरा पड़ा है.
नगर पालिका अध्यक्ष शारदा मितलवाल का कहना है कि सालभर से कनिष्ठ अभियंता का पद खाली पड़ा था, इसलिए काम नहीं हो पाए, अब साबीर खान की नियुक्ति हो जाने से अम्बेडकर भवन, बस स्टैंड के सुलभ शौचालय समेत इलाके की सडकों, मुख्यद्वार के सौन्दर्यकरण और पार्कों के हालात सुधारे जाएंगे.