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Health Tips: 40 पार वाले हो जाएं सतर्क, डायबिटीज के लिए डॉक्टर की माने ये सलाह

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Published : Mar 4, 2023, 8:33 PM IST

आजकल डायबिटीज की बीमारी हर 10 में से 6 इंसानों में हो रही है. इसकी वजह से शरीर में अन्य कई रोग भी पनपते हैं. इसलिए डॉक्टरों की यह सलाह रहती है कि हर हालत में अपनी शुगर का लेवल कंट्रोल में रखें. वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर बीएल मिश्रा का कहना है कि आयुर्वेद में इसका सटीक इलाज भी संभव है.

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40 पार वाले हो जाएं सतर्क
40 पार वाले हो जाएं सतर्क, डायबिटीज के लिए डॉक्टर की माने ये सलाह

अजमेर। डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो एक बार होने पर ताउम्र रहती है. रोग लगने के बाद शरीर में शुगर का लेवल नियंत्रण में रखना बड़ी चुनौती रहती है. डायबिटीज के मरीज को उम्र भर शुगर लेवल नियंत्रण रखने के लिए दवाइयां लेनी होती है. इन दवाइयों का साइड इफेक्ट भी होता है. इसलिए आयुर्वेद में डायबिटीज का इलाज अचूक है. वहीं इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं. डायबिटीज बीमारी को लेकर जानते हैं आयुर्वेद चिकित्सा विभाग के अधिकारी डॉ बीएल मिश्रा से हेल्थ टिप्स.

अनियमित जीवन शैली से बढ़ती डायबिटीजः वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद पद्धति के अनुसार बात करें तो शरीर में पचाने की क्रिया असंतुलित होने पर ब्लड शुगर बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है. उन्होंने बताया कि दैनिक कार्य में व्यक्ति की ऊर्जा खत्म होती है. उसकी पूर्ति के लिए शरीर में अग्नाशय में शर्करा जमा रहती है जो शरीर को शक्ति देती रहती है. वर्तमान जीवन शैली में लोग शारीरिक श्रम कम करने लगे हैं. इस कारण शरीर में मौजूद शर्करा पच नहीं पाती है. अनियमित खानपान और अनियमित जीवनशैली से शर्करा ज्यादा बढ़ने लगती है. जब शर्करा मूत्र से आने लगती है तो मूत्र शर्करा बोलते हैं.

ऊपर-नीचे दोनों तरफ हो सकता है शुगर लेवलः उन्होंने बताया कि डायबिटीज अप और डाउन दोनों हो सकती है. दोनों में रोगी को समान लक्षण होते हैं. डायबिटीज लेवल डाउन होने पर रोगी की जुबान भारी होती है शरीर में सुस्ती रहती है और आंखों में भारीपन लगता है. उन्होंने बताया कि डायबिटीज को हल्के में लेना गंभीर बीमारियों को न्योता देना है. डॉ मिश्रा ने न केवल डायबिटीज के लक्षण के बारे में बताया, बल्कि डायबिटीज से बचने के उपाय भी बताएं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हर 10 व्यक्तियों में से 6 व्यक्ति को डायबिटीज हो रही है. आयुर्वेद में डायबिटीज को लेकर अचूक दवाइयां हैं. इसके लिए चिकित्सक के परामर्श से रोगी को दवाइयां लेनी होती है. वहीं सामान्य व्यक्ति भी अपनी जीवनशैली में बदलाव करके डायबिटीज के खतरे से बच सकता है.

यह हैं डायबिटीज के लक्षण: डॉ मिश्रा बताते है कि इसकी सामान्य पहचान है कि मूत्र त्यागने के स्थान पर चीटियां मकोड़े आने लगते है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि शर्करा अधिक बढ़ने पर वह रक्त में पहुंच जाती है उसे ब्लड शुगर कहते हैं. रक्त में शर्करा बढ़ने से रक्त गाढ़ा हो जाता है. इसके कारण ब्रेन में ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाता है और हार्ट फंक्शनल प्रभावित होता है. नियमित रक्त संचार नहीं होता. इससे रोगी को कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं. उन्होंने बताया कि रोगी को चक्कर आना, बायटे आना (क्रम्स), नेत्र ज्योति का कम होना, शरीर पर लाल-काले धब्बे उभर आना, घाव का जल्द नहीं भरना, बार-बार पेशाब जाना और घबराहट होना आदि लक्षण डायबिटीज के हैं.

डायबिटीज के यह भी हैं कारण: डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि पहले 40 वर्ष की उम्र से अधिक लोगों को डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसका मुख्य कारण यह है कि 40 वर्ष के बाद लोग फिजिकल वर्क करना कम कर देते हैं. इस कारण शरीर में शर्करा बढ़ने लगती है. उन्होंने बताया कि अब फिजिकल वर्क नहीं करने से डायबिटीज की बीमारी कम उम्र के लोगों को भी हो रही है. उन्होंने बताया कि डायबिटीज वंशानुगत बीमारी है. इसके अलावा माता-पिता के फिजिकल वर्क नहीं करने पर उनकी संतान को भी डायबिटीज होने की संभावना रहती है. डॉ. मिश्रा ने बताया कि देखने में आता है कि छोटे-छोटे बच्चों को भी डायबिटीज हो रही है. इसका कारण मोबाइल, टीवी, पढ़ाई के दबाव से तनाव, जंक फूड भी कारण है. विरोधी भोजन मसलन दूध के साथ दही, हलवा और रायता का सेवन, पानी पूरी-खीर आदि ऐसे खाद्य पदार्थ जो आपस में विरोधी हो उनके सेवन करने से भी पाचन क्रिया प्रभावित होती है.

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रसोई में ही उपचार: डॉ. मिश्रा बताते हैं कि डायबिटीज से बचने के लिए व्यायाम, योगा, मॉर्निंग वॉक, इवनिंग वॉक, खाना खाने के बाद टहलना, संतुलित आहार समय पर लेना, आउटडोर गेम बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि टमाटर, खीरा, ककड़ी, लौकी, भुने हुए चने को दैनिक जीवन में आहार का हिस्सा बनाएं. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि एक चम्मच दाना मेथी रात को भिगोकर या फिर ताजा कूटकर खाने एवं लहसुन की दो कलियां छिलके सहित देखकर रोज निकलने से भी काफी फायदा होता है. इसके अलावा पान पर कत्था लगा कर खाने, ताजा आंवला खाना भी लाभदायक है. डॉ. शर्मा बताते हैं कि मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग सवा सौ ग्राम टमाटर का रस, हरा धनिया सहित भूखे पेट लेने से भी काफी फायदा होता है. दोपहर में 4 बजे के लगभग छिलके सहित भुने हुए चने, खीरा, ककड़ी, टमाटर का नाश्ता डायबिटीज में काफी फायदा पहुंचाता है.

डायबिटीज में दी जाने वाली दवा: डॉ. बीएन मिश्रा बताते हैं कि डायबिटीज में रोगी को जामुन, करेला, नीम, हल्दी, गुडमर, कत्था, कड़वा बादाम, कुट की चिरायता और कालमेघ से बनी दवाइयां कारगर रहती हैं. उन्होंने बताया कि रोगी को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के तहत दिया जाने वाला इलाज में करीब 10 माह का समय लगता है. परहेज के साथ नियमित दवाओं के सेवन से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है.

40 पार वाले हो जाएं सतर्क, डायबिटीज के लिए डॉक्टर की माने ये सलाह

अजमेर। डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो एक बार होने पर ताउम्र रहती है. रोग लगने के बाद शरीर में शुगर का लेवल नियंत्रण में रखना बड़ी चुनौती रहती है. डायबिटीज के मरीज को उम्र भर शुगर लेवल नियंत्रण रखने के लिए दवाइयां लेनी होती है. इन दवाइयों का साइड इफेक्ट भी होता है. इसलिए आयुर्वेद में डायबिटीज का इलाज अचूक है. वहीं इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं. डायबिटीज बीमारी को लेकर जानते हैं आयुर्वेद चिकित्सा विभाग के अधिकारी डॉ बीएल मिश्रा से हेल्थ टिप्स.

अनियमित जीवन शैली से बढ़ती डायबिटीजः वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि आयुर्वेद पद्धति के अनुसार बात करें तो शरीर में पचाने की क्रिया असंतुलित होने पर ब्लड शुगर बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है. उन्होंने बताया कि दैनिक कार्य में व्यक्ति की ऊर्जा खत्म होती है. उसकी पूर्ति के लिए शरीर में अग्नाशय में शर्करा जमा रहती है जो शरीर को शक्ति देती रहती है. वर्तमान जीवन शैली में लोग शारीरिक श्रम कम करने लगे हैं. इस कारण शरीर में मौजूद शर्करा पच नहीं पाती है. अनियमित खानपान और अनियमित जीवनशैली से शर्करा ज्यादा बढ़ने लगती है. जब शर्करा मूत्र से आने लगती है तो मूत्र शर्करा बोलते हैं.

ऊपर-नीचे दोनों तरफ हो सकता है शुगर लेवलः उन्होंने बताया कि डायबिटीज अप और डाउन दोनों हो सकती है. दोनों में रोगी को समान लक्षण होते हैं. डायबिटीज लेवल डाउन होने पर रोगी की जुबान भारी होती है शरीर में सुस्ती रहती है और आंखों में भारीपन लगता है. उन्होंने बताया कि डायबिटीज को हल्के में लेना गंभीर बीमारियों को न्योता देना है. डॉ मिश्रा ने न केवल डायबिटीज के लक्षण के बारे में बताया, बल्कि डायबिटीज से बचने के उपाय भी बताएं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में हर 10 व्यक्तियों में से 6 व्यक्ति को डायबिटीज हो रही है. आयुर्वेद में डायबिटीज को लेकर अचूक दवाइयां हैं. इसके लिए चिकित्सक के परामर्श से रोगी को दवाइयां लेनी होती है. वहीं सामान्य व्यक्ति भी अपनी जीवनशैली में बदलाव करके डायबिटीज के खतरे से बच सकता है.

यह हैं डायबिटीज के लक्षण: डॉ मिश्रा बताते है कि इसकी सामान्य पहचान है कि मूत्र त्यागने के स्थान पर चीटियां मकोड़े आने लगते है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि शर्करा अधिक बढ़ने पर वह रक्त में पहुंच जाती है उसे ब्लड शुगर कहते हैं. रक्त में शर्करा बढ़ने से रक्त गाढ़ा हो जाता है. इसके कारण ब्रेन में ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाता है और हार्ट फंक्शनल प्रभावित होता है. नियमित रक्त संचार नहीं होता. इससे रोगी को कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं. उन्होंने बताया कि रोगी को चक्कर आना, बायटे आना (क्रम्स), नेत्र ज्योति का कम होना, शरीर पर लाल-काले धब्बे उभर आना, घाव का जल्द नहीं भरना, बार-बार पेशाब जाना और घबराहट होना आदि लक्षण डायबिटीज के हैं.

डायबिटीज के यह भी हैं कारण: डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि पहले 40 वर्ष की उम्र से अधिक लोगों को डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसका मुख्य कारण यह है कि 40 वर्ष के बाद लोग फिजिकल वर्क करना कम कर देते हैं. इस कारण शरीर में शर्करा बढ़ने लगती है. उन्होंने बताया कि अब फिजिकल वर्क नहीं करने से डायबिटीज की बीमारी कम उम्र के लोगों को भी हो रही है. उन्होंने बताया कि डायबिटीज वंशानुगत बीमारी है. इसके अलावा माता-पिता के फिजिकल वर्क नहीं करने पर उनकी संतान को भी डायबिटीज होने की संभावना रहती है. डॉ. मिश्रा ने बताया कि देखने में आता है कि छोटे-छोटे बच्चों को भी डायबिटीज हो रही है. इसका कारण मोबाइल, टीवी, पढ़ाई के दबाव से तनाव, जंक फूड भी कारण है. विरोधी भोजन मसलन दूध के साथ दही, हलवा और रायता का सेवन, पानी पूरी-खीर आदि ऐसे खाद्य पदार्थ जो आपस में विरोधी हो उनके सेवन करने से भी पाचन क्रिया प्रभावित होती है.

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रसोई में ही उपचार: डॉ. मिश्रा बताते हैं कि डायबिटीज से बचने के लिए व्यायाम, योगा, मॉर्निंग वॉक, इवनिंग वॉक, खाना खाने के बाद टहलना, संतुलित आहार समय पर लेना, आउटडोर गेम बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि टमाटर, खीरा, ककड़ी, लौकी, भुने हुए चने को दैनिक जीवन में आहार का हिस्सा बनाएं. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि एक चम्मच दाना मेथी रात को भिगोकर या फिर ताजा कूटकर खाने एवं लहसुन की दो कलियां छिलके सहित देखकर रोज निकलने से भी काफी फायदा होता है. इसके अलावा पान पर कत्था लगा कर खाने, ताजा आंवला खाना भी लाभदायक है. डॉ. शर्मा बताते हैं कि मॉर्निंग वॉक करने वाले लोग सवा सौ ग्राम टमाटर का रस, हरा धनिया सहित भूखे पेट लेने से भी काफी फायदा होता है. दोपहर में 4 बजे के लगभग छिलके सहित भुने हुए चने, खीरा, ककड़ी, टमाटर का नाश्ता डायबिटीज में काफी फायदा पहुंचाता है.

डायबिटीज में दी जाने वाली दवा: डॉ. बीएन मिश्रा बताते हैं कि डायबिटीज में रोगी को जामुन, करेला, नीम, हल्दी, गुडमर, कत्था, कड़वा बादाम, कुट की चिरायता और कालमेघ से बनी दवाइयां कारगर रहती हैं. उन्होंने बताया कि रोगी को आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के तहत दिया जाने वाला इलाज में करीब 10 माह का समय लगता है. परहेज के साथ नियमित दवाओं के सेवन से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है.

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