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Special: शिक्षक की सजा से संवर रहा विद्यार्थियों का भविष्य, जाने क्या है इस नवाचार का उद्देश्य

अजमेर में शिक्षक दे रहे हैं विद्यार्थियों को अनोखी सजा. कहने को तो यह सजा है लेकिन वास्तविक रूप में देखा जाए तो इस नवाचार सजा से विद्यार्थियों का भविष्य संवर रहा है. अब शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ की अनोखी एवं नवाचार सजा के चहुंओर चर्चे हो रहे हैं.

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शिक्षक की सजा से संवर रहा विद्यार्थियों का भविष्य
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Published : Apr 27, 2023, 7:23 PM IST

शिक्षक की सजा से संवर रहा विद्यार्थियों का भविष्य

अजमेर. स्कूलों में विद्यार्थियों की पिटाई के कई मामले आपने देखे और सुने होंगे. ऐसे मामलों में कहीं न कहीं शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. यह एक नकारात्मक पहलू है, लेकिन ठीक इसके विपरीत सकारात्मक पहलू यह भी है कि शिक्षक विद्यार्थियों को ज्ञान के साथ व्यवहारिक और सामान्य ज्ञान देकर उन्हें संस्कारवान भी बनाता है. जी हां ऐसे ही एक शिक्षक के नवाचार की चर्चा खूब हो रही है. अजमेर के तोपदड़ा में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के एक शिक्षक ने शरारती बच्चों को दंड देने का ऐसा अनूठा तरीका खोज निकाला है. इसमें विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास तो हो रहा है बल्कि वह देश के महापुरुषों के बारे में जानकर संस्कारित भी हो रहे है. जानिए क्या यह अनूठी सजा..?

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नवाचार की जिले भर में हो रही है चर्चाः अजमेर के तोपदड़ा क्षेत्र में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ की ओर से किए गए नवाचार की जिलेभर में चर्चा हो रही है. शिक्षक राठौड़ ने स्कूल में शरारत करने पर विद्यार्थियों को दंड देने का एक नया अनूठा तरीका खोज लिया है. इसमें विद्यार्थियों को पीटना या किसी तरह की कष्टदायक सजा नहीं दी जाती है. बल्कि इस नए नवाचार से दी जाने वाली सजा पाकर विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास हो रहा है. इसके साथ ही उन्हें संस्कारित भी किया जा रहा है. बातचीत में शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ ने बताया कि देश में आजादी का 75वां अमृत उत्सव मनाया जा रहा है. ऐसे में विचार आया कि क्यों न स्कूल के एबीएल कक्ष में महापुरुषों की 75 तस्वीर लगाई जाएं. इसके लिए जनसहयोग से प्रिंटर खरीदा गया. इंटरनेट से अलग-अलग महापुरुषों की 75 तस्वीरें डाउनलोड की गईं. उन सभी तस्वीर की खुद ने फ्रेमिंग की. बाद में स्कूल के एबीएल कक्ष में उन्हें लगा दिया गया. स्कूल में एक से पांचवीं कक्षा और छठी से आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. एक से पांच तक के विद्यार्थी एबीएल रूम में प्रतिदिन आते हैं. राठौड़ बताते हैं कि बच्चे इन तस्वीरों को प्रतिदिन देखते हैं हर तस्वीर के नीचे महापुरुष का नाम भी लिखा हुआ है. लिहाजा तस्वीर के साथ उनका नाम भी पढ़ते हैं.

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यह मिलती है सजा: शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ बताते हैं कि स्कूल में गलती करने या किसी तरह की शरारत करने पर विद्यार्थियों को दंड दिया जाता है. दंड के तौर पर विद्यार्थी को कभी 10 महापुरुषों का नाम लिखने की सजा दी जाती है तो कभी किसी महापुरुष के बारे में पांच बातें बताने के लिए उसे कहा जाता है. राठौड़ बताते हैं कि शनिवार को स्कूल में नो बैग डे होता है. इस दिन विद्यार्थियों को किसी न किसी महापुरुष और उसकी जीवनी के बारे में विस्तार से बताया जाता है. इससे विद्यार्थियों का सामान्य ज्ञान बढ़ रहा है. सजा मिलने पर जब विद्यार्थी सभी बच्चों के सामने महापुरुष के बारे में 5 बातें बताता है तो अन्य विद्यार्थी भी उसे सुनते हैं. कई विद्यार्थी गलत बताने पर उसे टोकते भी हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को महापुरुषों के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है. विद्यार्थी महापुरुषों की जीवनी से प्रेरणा हासिल कर रहे हैं.

सजा से विद्यार्थी हो रहे हैं संस्कारित: स्कूल में शिक्षक सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ के नवाचार से विद्यार्थियों में भी काफी बदलाव आने लगा है. छोटी उम्र में ही विद्यार्थी महापुरुषों को उनकी तस्वीर देखकर पहचानने लगे हैं. साथ ही वह कई महापुरुषों के बारे में भी जान चुके हैं. शर्मा बताते है कि स्कूल में किसी बच्चे को पीटा नहीं जाता और न ही किसी तरह की सजा दी जाती है. शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ का अद्भुत नवाचार विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भर रहा है. स्कूल में गलती करने या शरारत करने पर महापुरुष के बारे में पांच बातें बताने या 10 महापुरुषों के नाम लिखने भर की सजा विद्यार्थी को दी जाती है. शर्मा ने बताया कि कई लोग हमारे देश के महापुरुषों को भूलते जा रहे हैं. ऐसे में सजा का यह अद्धभुत तरीका नई पीढ़ी में महापुरुषों की याद को जिंदा रखने का सार्थक साबित हो रहा है. वहीं महापुरुषों के बारे में जानकर बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिल रही है.

शिक्षक की सजा से संवर रहा विद्यार्थियों का भविष्य

अजमेर. स्कूलों में विद्यार्थियों की पिटाई के कई मामले आपने देखे और सुने होंगे. ऐसे मामलों में कहीं न कहीं शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जाता है. यह एक नकारात्मक पहलू है, लेकिन ठीक इसके विपरीत सकारात्मक पहलू यह भी है कि शिक्षक विद्यार्थियों को ज्ञान के साथ व्यवहारिक और सामान्य ज्ञान देकर उन्हें संस्कारवान भी बनाता है. जी हां ऐसे ही एक शिक्षक के नवाचार की चर्चा खूब हो रही है. अजमेर के तोपदड़ा में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के एक शिक्षक ने शरारती बच्चों को दंड देने का ऐसा अनूठा तरीका खोज निकाला है. इसमें विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास तो हो रहा है बल्कि वह देश के महापुरुषों के बारे में जानकर संस्कारित भी हो रहे है. जानिए क्या यह अनूठी सजा..?

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नवाचार की जिले भर में हो रही है चर्चाः अजमेर के तोपदड़ा क्षेत्र में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ की ओर से किए गए नवाचार की जिलेभर में चर्चा हो रही है. शिक्षक राठौड़ ने स्कूल में शरारत करने पर विद्यार्थियों को दंड देने का एक नया अनूठा तरीका खोज लिया है. इसमें विद्यार्थियों को पीटना या किसी तरह की कष्टदायक सजा नहीं दी जाती है. बल्कि इस नए नवाचार से दी जाने वाली सजा पाकर विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास हो रहा है. इसके साथ ही उन्हें संस्कारित भी किया जा रहा है. बातचीत में शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ ने बताया कि देश में आजादी का 75वां अमृत उत्सव मनाया जा रहा है. ऐसे में विचार आया कि क्यों न स्कूल के एबीएल कक्ष में महापुरुषों की 75 तस्वीर लगाई जाएं. इसके लिए जनसहयोग से प्रिंटर खरीदा गया. इंटरनेट से अलग-अलग महापुरुषों की 75 तस्वीरें डाउनलोड की गईं. उन सभी तस्वीर की खुद ने फ्रेमिंग की. बाद में स्कूल के एबीएल कक्ष में उन्हें लगा दिया गया. स्कूल में एक से पांचवीं कक्षा और छठी से आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है. एक से पांच तक के विद्यार्थी एबीएल रूम में प्रतिदिन आते हैं. राठौड़ बताते हैं कि बच्चे इन तस्वीरों को प्रतिदिन देखते हैं हर तस्वीर के नीचे महापुरुष का नाम भी लिखा हुआ है. लिहाजा तस्वीर के साथ उनका नाम भी पढ़ते हैं.

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यह मिलती है सजा: शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ बताते हैं कि स्कूल में गलती करने या किसी तरह की शरारत करने पर विद्यार्थियों को दंड दिया जाता है. दंड के तौर पर विद्यार्थी को कभी 10 महापुरुषों का नाम लिखने की सजा दी जाती है तो कभी किसी महापुरुष के बारे में पांच बातें बताने के लिए उसे कहा जाता है. राठौड़ बताते हैं कि शनिवार को स्कूल में नो बैग डे होता है. इस दिन विद्यार्थियों को किसी न किसी महापुरुष और उसकी जीवनी के बारे में विस्तार से बताया जाता है. इससे विद्यार्थियों का सामान्य ज्ञान बढ़ रहा है. सजा मिलने पर जब विद्यार्थी सभी बच्चों के सामने महापुरुष के बारे में 5 बातें बताता है तो अन्य विद्यार्थी भी उसे सुनते हैं. कई विद्यार्थी गलत बताने पर उसे टोकते भी हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को महापुरुषों के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है. विद्यार्थी महापुरुषों की जीवनी से प्रेरणा हासिल कर रहे हैं.

सजा से विद्यार्थी हो रहे हैं संस्कारित: स्कूल में शिक्षक सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ के नवाचार से विद्यार्थियों में भी काफी बदलाव आने लगा है. छोटी उम्र में ही विद्यार्थी महापुरुषों को उनकी तस्वीर देखकर पहचानने लगे हैं. साथ ही वह कई महापुरुषों के बारे में भी जान चुके हैं. शर्मा बताते है कि स्कूल में किसी बच्चे को पीटा नहीं जाता और न ही किसी तरह की सजा दी जाती है. शिक्षक भंवर सिंह राठौड़ का अद्भुत नवाचार विद्यार्थियों में आत्मविश्वास भर रहा है. स्कूल में गलती करने या शरारत करने पर महापुरुष के बारे में पांच बातें बताने या 10 महापुरुषों के नाम लिखने भर की सजा विद्यार्थी को दी जाती है. शर्मा ने बताया कि कई लोग हमारे देश के महापुरुषों को भूलते जा रहे हैं. ऐसे में सजा का यह अद्धभुत तरीका नई पीढ़ी में महापुरुषों की याद को जिंदा रखने का सार्थक साबित हो रहा है. वहीं महापुरुषों के बारे में जानकर बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिल रही है.

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