अजमेर. राजस्थान में लोकतंत्र के महापर्व विधानसभा चुनाव 2023 का माहौल है. इसी महापर्व को अजमेर ने आजाद भारत में पहली बार 1952 में मनाया था. अजमेर का राजस्थान में विलय सन 1956 में हुआ था. उस दौर में राजस्थान से पृथक अजमेर की अपनी सरकार थी. अजमेर के पहले मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे. बाकायदा पहली सरकार ने अजमेर के टीटी कॉलेज प्रांगण में स्थित विशाल हॉल में विधानसभा भी संचालित की थी और यहीं पर अजमेर के विकास के अलावा कई महत्वपूर्ण बिलों पर भी मोहर लगाई गई थी.
दरअसल, देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी, लेकिन उस दौरान देश अलग-अलग रियासतों में बंटा हुआ था. देश को एकजुट करने के लिए राजस्थान की रियासतों को भी एकजुट किया गया. इस कड़ी में सबसे आखिरी में अजमेर का विलय एकीकृत राजस्थान में हुआ. उस दौर में अजमेर मेरवाड़ा स्टेट के नाम से जाना जाता था. अंग्रेज हुकूमत के दौरान अजमेर सैनिक छावनी थी. अंग्रेजों ने यहां धीरे-धीरे रेलवे के बड़े कारखाने स्थापित किए. यहां की भौगोलिक और नैसर्गिक सौंदर्यता ने अंग्रेजों को काफी प्रभावित किया. इसके अलावा राजपूताना के बीचों-बीच अजमेर होने से उन्हें यहां से राजपूताना को नियंत्रित करने में आसानी रहती थी. यही वजह है कि अंग्रेज हुकूमत के समय अजमेर का जबरदस्त विकास हुआ. अजमेर शिक्षा की नगरी बन गई.
अजमेर में आज भी अंग्रेजों की बनाई हुई दर्जनों इमारतें बुलंदी के साथ खड़ी है और कई ऐतिहासिक घटनाओं की साक्षी भी रही है. इनमें से एक अजमेर का टीटी कॉलेज भी है. लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले यहां इंटर मीडिएट स्कूल संचालित हुआ करती थी, जो बाद में टीटी कॉलेज के नाम से जाना गया. इस बुलंद इमारत में यह कॉलेज आज भी संचालित हो रहा है. यह इमारत अजमेर की उस ऐतिहासिक घटना की गवाह रही है.
टीटी कॉलेज में हुई थी अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट की विधानसभा : अजमेर के लिए 22 मई 1952 का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. इस दिन अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट की सरकार ने विधानसभा का भव्य शुभारंभ किया था. टीटी कॉलेज के रीडर नीलू रावत बताते है कि अजमेर स्टेट की पहली सरकार का पहला कार्यकाल प्रांगण में स्थित विधानसभा में गुजरा. पहली सरकार के मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय थे और उनके मंत्रिमंडल में गृहमंत्री बालकृष्ण कोल थे. पहली विधानसभा में 30 के लगभग विधायक थे. इनमें 21 विधायक कांग्रेस, चार निर्दलीय और पांच जनसंघ के निर्वाचित हुए थे. इनमें विपक्ष के नेता अंबा लाल और विधानसभा अध्यक्ष भागीरथ सिंह थे. इस कार्यकाल में विधानसभा में अजमेर के विकास पर चर्चा हुआ करती थी. यहां कई महत्वपूर्ण बिल भी पास हुए. उन्होंने बताया कि कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अजमेर की पहली सरकार और विधानसभा के बारे में बताया जाता है.
विधानसभा के समीप ही था मुख्यमंत्री का दफ्तर : टीटी कॉलेज में रीडर सरदार मोहम्मद खान बताते है कि अजमेर का गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट की पहली विधानसभा टीटी कॉलेज के प्रांगण में शुरू हुई थी. साथ ही इसके समीप ही प्रांगण में अजमेर-मेरवाड़ा स्टेट पहले और आखिरी मुख्यमंत्री हरिभाऊ उपाध्याय का दफ्तर भी था, जहां लोग उनसे मिलने आया करते थे. खान बताते है कि यह दोनों ही इमारतें अजमेर में लोकतंत्र की स्थापना की गवाह रही है. यह हम सबके लिए गर्व की बात है. दोनों ही इमारतों की सार संभाल उनके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए की जाती है.
ये कानून हुए थे लागू : अजमेर में बनी पहली सरकार ने कई कानून विधानसभा में चर्चा के बाद बनाए थे. इनमें बेकरी कमेटी, हथकरघा सलाहकार बोर्ड, पिछड़ी जाति कल्याण बोर्ड, औद्योगिक सलाहकार बोर्ड, स्वतंत्रता आंदोलन इतिहास कमेटी, पाठ्य पुस्तक सलाहकार बोर्ड, विकास सलाहकार बोर्ड, आर्थिक जांच बोर्ड, विकास कमेटी, पिछड़ी जाति कल्याण बोर्ड, नव सुरक्षित वन सीमा जांच कमेटी समेत कई कानून और बोर्ड बनाए गए.
सातवें चरण में हुआ था अजमेर का विलय : देश में आजादी के बाद राजस्थान एकीकृत हो रहा था. मार्च 1952 में राजस्थान में पहली सरकार बनी. वहीं, 1952 में अजमेर में भी सरकार बनी थी. 1 नवम्बर 1956 को अजमेर का राजस्थान एकीकृत के सातवें चरण में सशर्त विलय हुआ था. राजस्थान की राजधानी अजमेर को बनाने की मांग रखी गई थी. तब राव कमीशन की सिफारिश पर अजमेर को राजधानी के बदले कई राज्य स्तरीय सरकारी महकमे दिए गए थे. इनमें माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान लोक सेवा आयोग, आयुर्वेद निदेशालय, टैक्स बोर्ड, राजस्थान राजस्व मंडल आदि शामिल है.