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दरगाह क्षेत्र में दो मंजिला पुराने मकान का एक हिस्सा गिरा, नीचे दो दुकानें भी हुईं ध्वस्त

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 2, 2024, 6:34 PM IST

Updated : Jan 2, 2024, 10:54 PM IST

अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह के समीप एक दो मंजिला पुरानी इमारत का एक हिस्सा गिर गया. मकान के नीचे दो दुकान और सामने की ओर दो दुकान भी थी, जो मलबा गिरने की वजह से पूरी तरह से ध्वस्त हो गई.

A part of 2 stories old building collapsed
दो मंजिला पुराने मकान का एक हिस्सा गिरा
दो मंजिला पुरानी इमारत का एक हिस्सा भरभरा कर गिरा

अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के 5वें गेट जो छतरी गेट से जाना जाता है उसके समीप ही दो मंजिला पुरानी इमारत का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया. तंग गली में यह हादसा होने के कारण बचाव के कार्य मैनुअल ही शुरू किए गए हैं. मलबे में फिलहाल किसी शख्स के नहीं होने की सूचना मिल रही है. हालांकि मकान के नीचे दो दुकानें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई. वहीं शेष मकान और पड़ोस के मकान को भी अब खतरा उत्पन्न हो गया है. हादसे को देखते हुए शेष मकान के हिस्से से लोगों को बाहर निकल लिया गया है. मौके पर मलबा हटाने का काम शुरू हो चुका है. उर्स से पहले इस हादसे ने प्रशासनिक दांवों की पोल खोल दी है.

अजमेर में उर्स से पहले दरगाह क्षेत्र में हुए हादसे ने प्रशासन की पोल खोल दी है. हाल ही में दो दिन पहले ही कलेक्टर, प्रशासनिक अधिकारियों ने दरगाह और उसके आसपास के क्षेत्र का दौरा किया था. साथ ही इस जर्जर मकान को गिराने के लिए भी मलिक को निर्देश दिए गए थे. मगर मकान को लेकर दो पक्षों के विवाद के कारण मकान को गिराने की कार्रवाई नहीं की गई. बल्कि वर्षों से मकान की रिपेयरिंग भी नहीं हो पाई. यही वजह है कि करीब 400 वर्ष पुराना मकान का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया.

पढ़ें: अजमेर: निर्माणाधीन भवन का हिस्सा गिरा, हादसे में 4 श्रमिक घायल

गनीमत रही कि मकान के गिरने से पहले कुछ पत्थर मकान से नीचे की दुकान पर गिरे. पत्थर गिरते ही दुकान पर मौजूद लोगों को समझने में देर नहीं लगी और वह दुकान छोड़कर बाहर आ गए. दुकानदारों के जैसे ही बाहर आते ही ताश के पत्ते की तरह मकान का एक हिस्सा जमींदोज हो गया. बताया जा रहा है कि यह मकान रिहायशी था. इस मकान को लेकर दो पक्षों में मालिकाना हक को लेकर विवाद था. मकान के नीचे दो दुकान और सामने की ओर दो दुकान भी थी, जो मलबा गिरने की वजह से पूरी तरह से ध्वस्त हो गई. दुकान में रखा सारा सामान मलबे के नीचे दब गया. नीचे पान और मिठाई की दुकान थी. सामने दो चाय नाश्ते की दुकान थी. शुरुआत में मलबे के नीचे कुछ लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही थी.

तंग गली के कारण मैनुअल हटाना पड़ रहा है मलबा: छतरी गेट दरगाह के मुख्य द्वार से करीब 500 मीटर की दूरी पर है. यहां तक पहुंचाने के लिए काफी तंग गली से होकर गुजरना पड़ता है. एम्बुलेंस, दमकल और प्रशासनिक अधिकारियों की सभी गाड़ियां दरगाह के मुख्य द्वार तक ही पहुंच पाई. इस हादसे ने क्षेत्र की अव्यवस्थाओं की पोल खोल दी है. हादसे के बाद कुछ लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका के मध्य नजर मलबा हटाने का काम मैन्युअल ही शुरू हुआ. आईजी लता मनोज कुमार, एसपी चुनाराम जाट, कलक्टर भारती दीक्षित समेत कई प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे.

पढ़ें: जोधपुरः एमबीबीएस UG हॉस्टल के भवन का एक हिस्सा गिरा, कोई हताहत नहीं

पड़ोस के मकान को भी हुआ खतरा: दरगाह क्षेत्र में सभी मकान आपस में जुड़े हुए हैं. दो मंजिला पुरानी इमारत का हिस्सा भी समीप के मकान से जुड़ा हुआ था. जर्जर पुराने मकान के भीतर कुछ लोग किराए से रहते थे. वहीं नीचे की ओर दुकान थी. हादसे के बाद पूरी इमारत को पुलिस ने खाली करवा लिया है. वहीं इमारत की दूसरी ओर की दुकानों से भी लोगों को बाहर निकाल लिया गया है.

बता दें कि मकान का हिस्सा गिरने से शेष मकान ही नहीं बल्कि पड़ोस के मकान को भी खतरा हो गया है. इस हादसे में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा किया है कि यदि कोई बड़ा हादसा होता है, तो प्रशासन के दांवे तब भी इन क्षेत्रों में सब ठीक ही रहेंगे. क्षेत्र में लोगों ने नगर निकाय के लिए बने बायलॉज का उल्लंघन करते हुए तंग गलियों में बहुमंजिला होटल और गेस्ट हाउस बना रखे हैं. नगर निगम की ओर से उनके नक्शे भी पास नहीं है. बावजूद इसके प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है. बता दें कि इन गलियों में जायरीन की आवाजाही काफी रहती है. वहीं दुकानों पर भी ग्राहक जुटे रहते हैं. गनीमत रही कि कोई भी शख्स गिरती हुई इमारत के मलबे की चपेट में नहीं आया.

पढ़ें: चूरू के सरकारी स्कूल का एक हिस्सा गिरा...हादसे में बाल-बाल बचे 156 बच्चे

यह बोले प्रत्यक्षदर्शी: दुकानदार के भतीजे मोहम्मद शफी ने बताया कि यह मकान करीब चार सदी पुराना है. इस मकान के हक को लेकर दो पक्षों के बीच कोर्ट में विवाद है. उन्होंने बताया कि मकान गिरने से पहले पत्थर निकल कर गिरने लगे थे. दुकान पर मौजूद लोगों ने बाहर निकाल कर अपनी जान बचाई. उन्होंने बताया कि मकान में विवाद के कारण वर्षों से मरम्मत का काम भी नहीं हुआ. एक महीने पहले एक दुकान पर आग लग गई थी. इस कारण भी मकान की पट्टियां कमजोर हो गई थीं. वहीं बीते वर्ष ज्यादा बारिश के कारण भी मकान काफी जर्जर हो चुका था. उन्होंने बताया कि समय रहते यदि लोग बाहर नहीं निकलते, तो बड़ी जनहानि हो सकती थी.

यह बोली कलक्टर और आईजी: कलेक्टर भारती दीक्षित ने कहा कि हादसे में किसी के चोट नहीं लगी है. बिल्डिंग पहले से ही जर्जर थी. इस बिल्डिंग पर कोर्ट की तरफ से स्टे ऑर्डर था. इसलिए इस पुरानी बिल्डिंग को गिराया नहीं जा सकता था. लिहाजा बिल्डिंग को पहले ही खाली करवा लिया गया था. शेष हिस्से को भी खाली करवा दिया गया है. दरगाह क्षेत्र में ऐसी अन्य पुरानी जर्जर इमारत को भी चिन्हित किया जाएगा. आईजी लता मनोज कुमार ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के मध्येनजर हदसे की जगह पर दोनों और लोगों की आवाजाही रोक दी गई है. हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई है. गली में आये मलबे को हटाया जा रहा है.

दो मंजिला पुरानी इमारत का एक हिस्सा भरभरा कर गिरा

अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के 5वें गेट जो छतरी गेट से जाना जाता है उसके समीप ही दो मंजिला पुरानी इमारत का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया. तंग गली में यह हादसा होने के कारण बचाव के कार्य मैनुअल ही शुरू किए गए हैं. मलबे में फिलहाल किसी शख्स के नहीं होने की सूचना मिल रही है. हालांकि मकान के नीचे दो दुकानें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई. वहीं शेष मकान और पड़ोस के मकान को भी अब खतरा उत्पन्न हो गया है. हादसे को देखते हुए शेष मकान के हिस्से से लोगों को बाहर निकल लिया गया है. मौके पर मलबा हटाने का काम शुरू हो चुका है. उर्स से पहले इस हादसे ने प्रशासनिक दांवों की पोल खोल दी है.

अजमेर में उर्स से पहले दरगाह क्षेत्र में हुए हादसे ने प्रशासन की पोल खोल दी है. हाल ही में दो दिन पहले ही कलेक्टर, प्रशासनिक अधिकारियों ने दरगाह और उसके आसपास के क्षेत्र का दौरा किया था. साथ ही इस जर्जर मकान को गिराने के लिए भी मलिक को निर्देश दिए गए थे. मगर मकान को लेकर दो पक्षों के विवाद के कारण मकान को गिराने की कार्रवाई नहीं की गई. बल्कि वर्षों से मकान की रिपेयरिंग भी नहीं हो पाई. यही वजह है कि करीब 400 वर्ष पुराना मकान का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया.

पढ़ें: अजमेर: निर्माणाधीन भवन का हिस्सा गिरा, हादसे में 4 श्रमिक घायल

गनीमत रही कि मकान के गिरने से पहले कुछ पत्थर मकान से नीचे की दुकान पर गिरे. पत्थर गिरते ही दुकान पर मौजूद लोगों को समझने में देर नहीं लगी और वह दुकान छोड़कर बाहर आ गए. दुकानदारों के जैसे ही बाहर आते ही ताश के पत्ते की तरह मकान का एक हिस्सा जमींदोज हो गया. बताया जा रहा है कि यह मकान रिहायशी था. इस मकान को लेकर दो पक्षों में मालिकाना हक को लेकर विवाद था. मकान के नीचे दो दुकान और सामने की ओर दो दुकान भी थी, जो मलबा गिरने की वजह से पूरी तरह से ध्वस्त हो गई. दुकान में रखा सारा सामान मलबे के नीचे दब गया. नीचे पान और मिठाई की दुकान थी. सामने दो चाय नाश्ते की दुकान थी. शुरुआत में मलबे के नीचे कुछ लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही थी.

तंग गली के कारण मैनुअल हटाना पड़ रहा है मलबा: छतरी गेट दरगाह के मुख्य द्वार से करीब 500 मीटर की दूरी पर है. यहां तक पहुंचाने के लिए काफी तंग गली से होकर गुजरना पड़ता है. एम्बुलेंस, दमकल और प्रशासनिक अधिकारियों की सभी गाड़ियां दरगाह के मुख्य द्वार तक ही पहुंच पाई. इस हादसे ने क्षेत्र की अव्यवस्थाओं की पोल खोल दी है. हादसे के बाद कुछ लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका के मध्य नजर मलबा हटाने का काम मैन्युअल ही शुरू हुआ. आईजी लता मनोज कुमार, एसपी चुनाराम जाट, कलक्टर भारती दीक्षित समेत कई प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे.

पढ़ें: जोधपुरः एमबीबीएस UG हॉस्टल के भवन का एक हिस्सा गिरा, कोई हताहत नहीं

पड़ोस के मकान को भी हुआ खतरा: दरगाह क्षेत्र में सभी मकान आपस में जुड़े हुए हैं. दो मंजिला पुरानी इमारत का हिस्सा भी समीप के मकान से जुड़ा हुआ था. जर्जर पुराने मकान के भीतर कुछ लोग किराए से रहते थे. वहीं नीचे की ओर दुकान थी. हादसे के बाद पूरी इमारत को पुलिस ने खाली करवा लिया है. वहीं इमारत की दूसरी ओर की दुकानों से भी लोगों को बाहर निकाल लिया गया है.

बता दें कि मकान का हिस्सा गिरने से शेष मकान ही नहीं बल्कि पड़ोस के मकान को भी खतरा हो गया है. इस हादसे में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा किया है कि यदि कोई बड़ा हादसा होता है, तो प्रशासन के दांवे तब भी इन क्षेत्रों में सब ठीक ही रहेंगे. क्षेत्र में लोगों ने नगर निकाय के लिए बने बायलॉज का उल्लंघन करते हुए तंग गलियों में बहुमंजिला होटल और गेस्ट हाउस बना रखे हैं. नगर निगम की ओर से उनके नक्शे भी पास नहीं है. बावजूद इसके प्रशासन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है. बता दें कि इन गलियों में जायरीन की आवाजाही काफी रहती है. वहीं दुकानों पर भी ग्राहक जुटे रहते हैं. गनीमत रही कि कोई भी शख्स गिरती हुई इमारत के मलबे की चपेट में नहीं आया.

पढ़ें: चूरू के सरकारी स्कूल का एक हिस्सा गिरा...हादसे में बाल-बाल बचे 156 बच्चे

यह बोले प्रत्यक्षदर्शी: दुकानदार के भतीजे मोहम्मद शफी ने बताया कि यह मकान करीब चार सदी पुराना है. इस मकान के हक को लेकर दो पक्षों के बीच कोर्ट में विवाद है. उन्होंने बताया कि मकान गिरने से पहले पत्थर निकल कर गिरने लगे थे. दुकान पर मौजूद लोगों ने बाहर निकाल कर अपनी जान बचाई. उन्होंने बताया कि मकान में विवाद के कारण वर्षों से मरम्मत का काम भी नहीं हुआ. एक महीने पहले एक दुकान पर आग लग गई थी. इस कारण भी मकान की पट्टियां कमजोर हो गई थीं. वहीं बीते वर्ष ज्यादा बारिश के कारण भी मकान काफी जर्जर हो चुका था. उन्होंने बताया कि समय रहते यदि लोग बाहर नहीं निकलते, तो बड़ी जनहानि हो सकती थी.

यह बोली कलक्टर और आईजी: कलेक्टर भारती दीक्षित ने कहा कि हादसे में किसी के चोट नहीं लगी है. बिल्डिंग पहले से ही जर्जर थी. इस बिल्डिंग पर कोर्ट की तरफ से स्टे ऑर्डर था. इसलिए इस पुरानी बिल्डिंग को गिराया नहीं जा सकता था. लिहाजा बिल्डिंग को पहले ही खाली करवा लिया गया था. शेष हिस्से को भी खाली करवा दिया गया है. दरगाह क्षेत्र में ऐसी अन्य पुरानी जर्जर इमारत को भी चिन्हित किया जाएगा. आईजी लता मनोज कुमार ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के मध्येनजर हदसे की जगह पर दोनों और लोगों की आवाजाही रोक दी गई है. हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई है. गली में आये मलबे को हटाया जा रहा है.

Last Updated : Jan 2, 2024, 10:54 PM IST
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