उदयपुर. लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग सिर पर है. ऐसे में दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता राजस्थान में रैलियों पर रैली कर रहे है. लेकिन पिछले 5 साल में उदयपुर लोकसभा में क्या विकास हुआ. क्या उदयपुर से सांसद जनता के उन वादों को पूरा कर पाए जो उन्होंने चुनाव में किए थे. जिसको यहां की जनता से जानने की कोशिश करेंगे. साथ ही ये भी जानेंगे कि इस बार भी चुनावों में फिर से इन्हीं मुद्दों पर अपने प्रत्याशी को वोट देगी या फिर जनता कुछ मानस है.
जहां उदयपुर सीट से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी रघुवीर सिंह मीणा को बनाया है. वहीं भाजपा ने एक बार फिर अर्जुन लाल मीणा पर अपना दाव खेला है. अब देखना होगा कि जनता भी यहां अपना वोट रिपीट करने के मूड में है या फिर बदलाव चाहती है. जी हां बीते 5 साल में उदयपुर लोकसभा क्षेत्र कितना बदला और क्या है जमीनी हकीकत आइए आपको समझाते हैं.
- अहमदाबाद रेल लाइन ब्रॉड गेज योजना
- टीएसपी क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार
- उदयपुर लोकसभा सीट की बदहाल सड़को का नवीनीकरण
- मानसीवाकल बांध परियोजना से उदयपुर को जोड़ना
उदयपुर लोकसभा क्षेत्र में अधिकांश हिस्सा आदिवासी और ग्रामीण अंचल का आता है. ऐसे में यहां पर बीते 5 साल में सांसद अर्जुन लाल मीणा अपने क्षेत्र का विकास करने में जनता की आशाओं पर खरे नहीं उतर पाए. जी हां बात करें मूलभूत सुविधाओं की तो सड़क से लेकर अस्पताल तक की सुविधाओं में हुए विस्तार से उदयपुर लोकसभा सीट की जनता नाखुश है. जनता का कहना है कि महीना सिर्फ चुनिंदा क्षेत्र में ही विकास कार्य करवा रहे हैं. जबकि उदयपुर संसदीय सीट काफी बड़ी है. यहां मीणा पर जातिवाद का आरोप भी लगा है और एक विशेष वर्ग पर उनकी मेहरबान रहना इस चुनाव में बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है.
आपको बता दें कि उदयपुर लोकसभा सीट पर मुख्यतः सड़कों का विस्तार, ब्रॉड गेज सुविधा के साथ ही शहर की बदहाल स्थिति को सुधार करना शामिल था. लेकिन बीते 5 साल में जहां सड़कों की स्थिति और दयनीय हो गई. तो वहीं उदयपुर ब्रॉड गेज रूट जो अहमदाबाद जाना था वह तक तैयार नहीं हो पाया है. वहीं अगर शहर में चिकित्सा व्यवस्था की बात की जाए तो अस्पताल को भी सांसद ने कोई विशेष सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई. जबकि जो सुविधाएं सरकार की ओर चलाई जा रही है उन योजनाओं का लाभ भी उदयपुर के सरकारी अस्पताल में नहीं मिल पाता. जहां पूरे संभाग के सबसे अधिक मरीज आते हैं.
उदयपुर की जनता का कहना है कि मीणा ने क्षेत्र के लिए कुछ काम नहीं किया. बल्कि सिर्फ एक समुदाय विशेष के नेता बनकर रह गए और उसी समुदाय के लिए काम किया. उदयपुर लोकसभा सीट की जनता यह भी आरोप लगाती है कि मीणा और जनता के बीच संवाद का काफी अंतर रहा और यही वजह है कि इस चुनाव में इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ सकता है. वहीं उदयपुर लोकसभा सीट में कुछ मतदाता भी ऐसे हैं. जिनके लिए यह सभी मुद्दे काफी छोटे हैं और यह मतदाता एक बार फिर केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उदयपुर लोक सभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी को आंख बंद कर वोट देने को तैयार है.
मतदाताओं के लिए सांसद अर्जुन लाल मीणा ने कुछ काम नहीं किया और ना ही यह मतदाता मीणा के काम का से खुश है, लेकिन केंद्र में मोदी सरकार फिर से लाने के लिए मतदाता गिले-शिकवे भुलाकर फिर मोदी के नाम पर लोकसभा में बीजेपी को वोट देने को तैयार है. कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि पिछले 5 सालों में सांसद अर्जुन लाल मीणा जनता से किए गए वादों की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए हैं. ऐसे में अब देखना होगा आपके आने वाले लोकसभा चुनाव में क्या पार्टी एक बार फिर क्या अर्जुन लाल मीणा को मौका देगी.