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उदयपुर में बढ़ती गर्मी से सूखती झीलें, जल संकट गहराया

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Published : Jun 4, 2019, 8:46 PM IST

झीलों की नगरी के नाम से मशहूर उदयपुर की झीलें आज सूखने की कगार पर पहुंच गई है. बढ़ती गर्मी और पिछले साल हुई कम बारिश के चलते इस बार झीलों का पानी अपने निम्न स्तर पर पहुंच गया है. ऐसे में उदयपुर में इस बार पेयजल किल्लत की समस्या खड़ी हो गई है.

उदयपुर में बढ़ती गर्मी...सूखती झीलें

उदयपुर. पिछले वर्ष हुई मानसून की बेरुखी के चलते उदयपुर की लाइफ लाइन कही जाने वाली नीली और खूबसूरत झीले अपना अस्तित्व खोते दिखाई दे रही है. यहीं नहीं लगातार सूखती इन झीलों की वजह से उदयपुर में पेयजल की समस्या खड़ी हो गई है. चौंकाने वाली बात यह है कि शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाली इन झीलों में एक से डेढ़ महीने तक का पानी ही शेष बचा है.

जुलाई के पहले पखवाड़े में ही मामूली पानी बचेगा
वहीं वाष्पीकरण के साथ ही जलापूर्ति के लिए किए जा रहे दोहन के चलते जुलाई के पहले पखवाड़े में ही खूबसूरत झीलों में मामूली पानी ही बचेगा. ऐसे में उदयपुर शहर के लोगों को पेयजल उपलब्ध करवाने वाली झीलों में जयसमंद झील को छोड़कर सभी झीलें और तालाब की हालत चिंताजनक स्थिति पर पहुंच गई है.

उदयपुर में बढ़ती गर्मी...सूखती झीलें

63 तालाबों और झीलों में पानी खाली होने से पेयजल संकट
बात करें उदयपुर की तो शहर के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पिछोला, फतेहसागर, मानसी वाकल और जयसमंद झील ही प्रमुख स्त्रोत हैं. पिछली बार के मानसून में हुई बारिश में सिर्फ जयसमंद झील की स्थिति संतोषजनक है. जिले के कुल 63 तालाबों और झीलों में पानी खाली होने की वजह से आगामी दिनों में पेयजल का संकट और अधिक पड़ेगा. ऐसे में हालात विकट होने की ज्यादा संभावना है. वर्तमान की अगर बात की जाएं तो पिछोला झील में 150 एमसीएफटी, फतेह सागर में 123 एमसीएफटी, मानसी वाकल बांध में 114 एमसीएफटी, जयसमंद में 5000 एमसीएफटी पानी उपलब्ध हैं.

बारिश की बेरुखी के चलते उदयपुर के ये हालत
हालांकि इस बार पेयजल की समस्या को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा बड़ी तालाब का पानी उदयपुर के लोगों को आपूर्ति कर इसे निपटने की कवायद की जा रही है. आपको बता दें कि बड़ी तालाब में करीब 145 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है जो कि उदयपुर के लोगों की प्यास बुझाने का कार्य करेगा. लगातार पेयजल आपूर्ति और वाष्पीकरण के चलते फतेहसागर झील का स्तर वाटर लेवल के मुताबिक 4 फीट चला गया है. जबकि इसकी भराव क्षमता 13 फीट है.

वहीं पिछोला झील का पानी का स्तर वाटर लेवल के मुताहिक 1 फीट पहुंच गया है. जबकि भराव क्षमता 11 फीट है. भराव क्षमता के लिहाज से बात की जाए तो 427 एमसीएफटी पानी फतेहसागर झील में रहता है. जबकि पिछोला में 483 एमसीएफटी पानी उपलब्ध रहता है. वर्ष 2018 से पहले की बात की जाए तो लगातार हुई अच्छी बारिश की वजह से मानसी वाकल का पानी टनल के माध्यम से उदयपुर की खूबसूरत जिलों को भरने का कार्य कर रहा था. इस वजह से उदयपुर की झीले लगातार लबालब भरी हुई थी. लेकिन पिछली बार बारिश की बेरुखी के चलते उदयपुर की खूबसूरत झीलें अपना वजूद खोती नजर आ रही है.

उदयपुर. पिछले वर्ष हुई मानसून की बेरुखी के चलते उदयपुर की लाइफ लाइन कही जाने वाली नीली और खूबसूरत झीले अपना अस्तित्व खोते दिखाई दे रही है. यहीं नहीं लगातार सूखती इन झीलों की वजह से उदयपुर में पेयजल की समस्या खड़ी हो गई है. चौंकाने वाली बात यह है कि शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाली इन झीलों में एक से डेढ़ महीने तक का पानी ही शेष बचा है.

जुलाई के पहले पखवाड़े में ही मामूली पानी बचेगा
वहीं वाष्पीकरण के साथ ही जलापूर्ति के लिए किए जा रहे दोहन के चलते जुलाई के पहले पखवाड़े में ही खूबसूरत झीलों में मामूली पानी ही बचेगा. ऐसे में उदयपुर शहर के लोगों को पेयजल उपलब्ध करवाने वाली झीलों में जयसमंद झील को छोड़कर सभी झीलें और तालाब की हालत चिंताजनक स्थिति पर पहुंच गई है.

उदयपुर में बढ़ती गर्मी...सूखती झीलें

63 तालाबों और झीलों में पानी खाली होने से पेयजल संकट
बात करें उदयपुर की तो शहर के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पिछोला, फतेहसागर, मानसी वाकल और जयसमंद झील ही प्रमुख स्त्रोत हैं. पिछली बार के मानसून में हुई बारिश में सिर्फ जयसमंद झील की स्थिति संतोषजनक है. जिले के कुल 63 तालाबों और झीलों में पानी खाली होने की वजह से आगामी दिनों में पेयजल का संकट और अधिक पड़ेगा. ऐसे में हालात विकट होने की ज्यादा संभावना है. वर्तमान की अगर बात की जाएं तो पिछोला झील में 150 एमसीएफटी, फतेह सागर में 123 एमसीएफटी, मानसी वाकल बांध में 114 एमसीएफटी, जयसमंद में 5000 एमसीएफटी पानी उपलब्ध हैं.

बारिश की बेरुखी के चलते उदयपुर के ये हालत
हालांकि इस बार पेयजल की समस्या को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा बड़ी तालाब का पानी उदयपुर के लोगों को आपूर्ति कर इसे निपटने की कवायद की जा रही है. आपको बता दें कि बड़ी तालाब में करीब 145 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है जो कि उदयपुर के लोगों की प्यास बुझाने का कार्य करेगा. लगातार पेयजल आपूर्ति और वाष्पीकरण के चलते फतेहसागर झील का स्तर वाटर लेवल के मुताबिक 4 फीट चला गया है. जबकि इसकी भराव क्षमता 13 फीट है.

वहीं पिछोला झील का पानी का स्तर वाटर लेवल के मुताहिक 1 फीट पहुंच गया है. जबकि भराव क्षमता 11 फीट है. भराव क्षमता के लिहाज से बात की जाए तो 427 एमसीएफटी पानी फतेहसागर झील में रहता है. जबकि पिछोला में 483 एमसीएफटी पानी उपलब्ध रहता है. वर्ष 2018 से पहले की बात की जाए तो लगातार हुई अच्छी बारिश की वजह से मानसी वाकल का पानी टनल के माध्यम से उदयपुर की खूबसूरत जिलों को भरने का कार्य कर रहा था. इस वजह से उदयपुर की झीले लगातार लबालब भरी हुई थी. लेकिन पिछली बार बारिश की बेरुखी के चलते उदयपुर की खूबसूरत झीलें अपना वजूद खोती नजर आ रही है.

Intro:खबर की एक बाइट मेल से भेजी गई है शॉर्ट वॉइस ओवर के साथ मौजों से फाइल किए गए हैं

झीलों की नगरी के नाम से मशहूर उदयपुर की झीलें आज सूखने की कगार पर पहुंच गई है बढ़ती गर्मी और पिछले साल हुई कम बारिश के चलते इस बार झीलों का पानी अपने निम्न स्तर पर पहुंच गया है ऐसे में उदयपुर में इस बार पेयजल किल्लत की समस्या खड़ी हो गई है पेश है एक रिपोर्ट


Body:पिछले वर्ष हुई मानसून की बेरुखी के चलते उदयपुर की लाइफलाइन कही जाने वाली नीली और खूबसूरत जिले अपना अस्तित्व होते दिखाई दे रही है यही नहीं लगातार सूखती इन जिलों की वजह से उदयपुर में पेयजल की समस्या खड़ी हो गई है चौंकाने वाली बात यह है कि शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाली इन जिलों में एक से डेढ़ महीने तक का पानी ही शेष बचा है
वहीं वाष्पीकरण के साथ ही जलापूर्ति के लिए किए जा रहे दोहन के चलते जुलाई के पहले पखवाड़े में ही खूबसूरत जिलों में मामूली पानी ही बचेगा ऐसे में उदयपुर शहर के लोगों को पेयजल उपलब्ध करवाने वाली जिलों में जयसमंद झील को छोड़कर सभी झीलें और तालाब की हालत चिंताजनक स्थिति पर पहुंच गई है
बात करें उदयपुर की तो शहर के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पिछोला, फतेहसागर, मानसी वाकल और जयसमंद झील ही प्रमुख स्त्रोत है पिछली बार के मानसून में हुई बारिश में सिर्फ जयसमंद झील की स्थिति संतोषजनक है जिले के कुल 63 तालाबों और झीलों में पानी खाली होने की वजह से आगामी दिनों में पेयजल का संकट और अधिक पड़ेगा जैसे हालात विकट होने की ज्यादा संभावना है वर्तमान की अगर बात की जाए तो पिछोला झील में 150 एमसीएफटी फतेह सागर में 123 एमसीएफटी मानसी वाकल बांध में 114 एमसीएफटी जयसमंद में 5000 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है


Conclusion:हालांकि इस बार पेयजल की समस्या को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा बड़ी तालाब का पानी उदयपुर के लोगों को आपूर्ति कर इसे निपटने की कवायद की जा रही है आपको बता दें कि बड़ी तालाब में करीब 145 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है जो कि उदयपुर के लोगों की प्यास बुझाने का कार्य करेगा लगातार पेयजल आपूर्ति और वाष्पीकरण के चलते फतेहसागर झील का लेवल - 4 फीट चला गया है जबकि इसकी भराव क्षमता 13 फीट है वही पिछोला झील का पानी - 1 फीट पहुंच गया है जबकि भराव क्षमता 11 फीट है भराव क्षमता के लिहाज से बात की
जाए तो 427 एमसीएफटी पानी फतेहसागर झील में रहता है जबकि पिछोला में 483 एमसीएफटी पानी उपलब्ध रहता है वर्ष 2018 से पहले की बात की जाए तो लगातार हुई अच्छी बारिश की वजह से मानसी वाकल का पानी टनल के माध्यम से उदयपुर की खूबसूरत जिलों को भरने का कार्य कर रहा था इस वजह से उदयपुर की झीले लगातार लबालब भरी हुई थी लेकिन पिछली बार बारिश की बेरुखी के चलते उदयपुर की खूबसूरत चीले अपना वजूद खोती नजर आ रही है

बाइक - राजेश टेपण ,अधीक्षण अभियंता सिंचाई विभाग उदयपुर
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