उदयपुर: राजस्थान के बहुचर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड (Kanhaiyalal murder case) मामले के आरोपियों के खिलाफ एनआईए ने जिन संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है वो आरोपियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए काफी हैं. लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के विगत कई मामलों पर नजर डाले तो फांसी की सजा कंफर्म करने के लिए डेथ रेफरेंस पेश किए गए. ऐसे में ज्यादातर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया. वहीं, कन्हैयालाल हत्याकांड मामले को आज 95 दिन बीत चुके हैं. बावजूद इसके एनआईए आरोपियों के खिलाफ अभी तक कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है. इधर, कन्हैयालाल के बेटे यश ने प्रण लिया है कि जब तक उसके पिता के हत्यारों को सजा नहीं मिलती तो चप्पल नहीं पहनेगा.
झीलों की नगरी व पूर्व के वेनिस के नाम से मशहूर उदयपुर में बीते 28 जून को कन्हैयालाल साहू की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस वारदात के मुख्य आरोपी रियाज और गौस मोहम्मद ने कन्हैयालाल के गर्दन पर धारदार हथियार से 26 बार वार किए. जिसमें कन्हैयालाल की मौत हो गई. घटना के बाद केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा, क्योंकि हत्यारों ने न केवल हत्या की घटना को अंजाम दिया, बल्कि सिलसिलेवार तरीके से घटना का वीडियो बना उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया. फिलहाल तक इस मामले में कुल 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
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वहीं, चालान पेश करने की 90 दिन की समयावधि निकलने के बाद एनआईए ने हत्यारों को कोर्ट में पेश किया. साथ ही कोर्ट से आगे की कार्रवाई व चालान पेशी के लिए समय मांगा है. ऐसे में अब हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में अभी और वक्त लगेगा. लेकिन इन सब के बीच मृतक कन्हैयालाल के बेटे यश ने संकल्प ले रखा कि जब तक उसके पिता के हत्यारों को सजा नहीं मिलेगी, तब तक वो नंगे पैर ही रहेगा.
जानें किन धारों में दर्ज है मामला:
उदयपुर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल, अधिवक्ता मनीष शर्मा व वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र सिंह की मानें तो एनआईए ने जिन संगीन धाराओं में मामले को दर्ज किया गया है. उसके तहत आरोपियों को आसानी से फांसी के फंदे तक पहुंचाया जा सकता (धारा 302,16,18,20(ए) है. वहीं, कन्हैयालाल के हत्यारों ने जिस बहरमी से उसकी हत्या की घटना को अंजाम दिया, उससे देश में भी ऐसे अपराधियों के खिलाफ खासा रोष है. लेकिन आरोपियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि विगत सालों में राजस्थान हाईकोर्ट में फांसी सजा कंफर्म करने के लिए कई मामलों में डेथ फरेंस पेश किए गए. जिनमें से अधिकांश फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया.
एक नजर ऐसे मामलों पर
कन्हैयालाल हत्याकांड कोई सामान्य हत्या नहीं: उदयपुर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि कन्हैयालाल हत्याकांड एक सामान्य हत्याकांड नहीं है. इस जघन्य वारदात के जरिए देश को तोड़ने की कोशिश की गई है. देश के नागरिकों को डराया गया. लेकिन कुछ कानूनी अड़चनों के कारण अभी हत्यारों को सजा दिलाने में और वक्त लगेगा. वहीं, उन्होंने आगे बताया कि एनआईए कोर्ट जयपुर में एनआईए की टीम ने प्रार्थना पत्र दाखिल कर कोर्ट से अभी और वक्त मांगा है. ताकि आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया जा सके. साथ ही आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग धाराएं भी लगाई गई है. जिसमें 9 धाराओं के साथ ही आईपीसी की धारा 452, 302, 153 और 295 को भी जोड़ा गया है. वहीं, अधिवक्ता राजेंद्र सिंह ने कन्हैयालाल की हत्या को एक सोची समझी साजिश करार दिया.