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हरियाली अमावस्या पर उदयपुर के ऐतिहासिक मेले में उमड़े लोग, यहां एक दिन पुरूषों की होती है 'नो एंट्री'

उदयपुर में गुरुवार को हरियाली अमावस्या का मेला आयोजित हुआ. जहां इस मेले को लेकर कुछ परम्पराएं भी जुड़ी हुई है. जिन्हें जानकर कोई भी हैरान हो सकता है.

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Published : Aug 1, 2019, 9:52 PM IST

udaipur hariyali amavasya mela

उदयपुर. शहर में गुरुवार को हरियाली अमावस्या के मौके पर ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया गया. सहेलियों की बाड़ी से फतह सागर की पाल तक हजारों की संख्या में लोगों ने मेले का आनंद लिया.

उदयपुर में लगा हरियाली अमावस्या का मेला

हरियाली अमावस्या के मौके पर गुरुवार को लेकसिटी उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी से फतेहसागर झील तक विशाल मेला भरा. पिछले 121 सालों से चले आ रहे इस मेले में पहले पुरूषों और महिलाओं दोनो की एंट्री होती है, जबकि दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं का मेला होगा. दूसरे दिन जहां पुरुषों की नो एंट्री होगी.

पढ़ें: देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था ब्रिटिश सरकार का तोहफा नहीं आवाम की ताकत है : प्रणब मुखर्जी

सामाजिक व्यवहार के बीच मेवाड़ का यह प्राचीन मेला सबसे बड़ा और अनूठा माना जाता है. जो कि करीब 5 किलोमीटर क्षेत्र में लगता है. नैसर्गिक खूबसूरती के बीच इस मेले में दो दिनो में शहर सहित आदिवासी अंचल और जिले भर के 1.5 लाख से ज्यादा लोग आनंद उठाने पहुंचते हैं.

पढ़ें: हमारी पार्टी में बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया...बसपा विधायक तो यही कह रहे हैं

बता दें कि सहेलियों की बाड़ी का निर्माण 1710 में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय के शासनकाल में राजपरिवार की महिलाओं के लिए इस मेले की शुरूआत की गई थी और आजादी के बाद यह दो दिवसीय मेला सभी आम लोगों के लिए खोला गया. मेले में लोग बारिश की बौछार के बीच चटपटे व्यंजनों के चटखारे लगाते नजर आए. आज भी इस मेले में परम्पराओं का सम्मान करते हुए दूसरे दिन केवल महिलाओं की एंट्री इस मेले में होती है.

उदयपुर. शहर में गुरुवार को हरियाली अमावस्या के मौके पर ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया गया. सहेलियों की बाड़ी से फतह सागर की पाल तक हजारों की संख्या में लोगों ने मेले का आनंद लिया.

उदयपुर में लगा हरियाली अमावस्या का मेला

हरियाली अमावस्या के मौके पर गुरुवार को लेकसिटी उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी से फतेहसागर झील तक विशाल मेला भरा. पिछले 121 सालों से चले आ रहे इस मेले में पहले पुरूषों और महिलाओं दोनो की एंट्री होती है, जबकि दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं का मेला होगा. दूसरे दिन जहां पुरुषों की नो एंट्री होगी.

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सामाजिक व्यवहार के बीच मेवाड़ का यह प्राचीन मेला सबसे बड़ा और अनूठा माना जाता है. जो कि करीब 5 किलोमीटर क्षेत्र में लगता है. नैसर्गिक खूबसूरती के बीच इस मेले में दो दिनो में शहर सहित आदिवासी अंचल और जिले भर के 1.5 लाख से ज्यादा लोग आनंद उठाने पहुंचते हैं.

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बता दें कि सहेलियों की बाड़ी का निर्माण 1710 में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय के शासनकाल में राजपरिवार की महिलाओं के लिए इस मेले की शुरूआत की गई थी और आजादी के बाद यह दो दिवसीय मेला सभी आम लोगों के लिए खोला गया. मेले में लोग बारिश की बौछार के बीच चटपटे व्यंजनों के चटखारे लगाते नजर आए. आज भी इस मेले में परम्पराओं का सम्मान करते हुए दूसरे दिन केवल महिलाओं की एंट्री इस मेले में होती है.

Intro:उदयपुर में आज हरियाली अमावस्या के मौके पर ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया गया सहेलियों की बाड़ी से फतह सागर की पाल तक आज हजारों की संख्या में लोगों ने मेले का आनंद लिया Body:हरियाली अमावस्या के मौके पर आज लेकसिटी उदयपुर में सहेलियों की बाडी से फतेहसागर झील तक विशाल मेला भरा पिछले 121 सालो से चले आ रहे इस मेले में पहले पुरूषो और महिलाओं दोनो की एंट्री होती है, जबकि दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं का मेला होगा, जहां पुरुषों की नो एंट्री होगी सामाजिक व्यवहार के बीच मेवाड का यह प्राचीन मेला सबसे बडा अनुठा और अलग माता जाता है, जो करीब 5 किलोमीटर क्षेत्र में लगता है नैसर्गिक खुबसुरती के बीच इस मेले में दो दिनो में शहर सहित आदिवासी अंचल सहित जिले भर के डेढ लाख से ज्यादा लोग लुफ्त उठाने पहुंचते है आपको बता दे कि सहेलियों की बाडी का निर्माण 1710 में महाराणा संग्राम सिंह, द्वितीय के शासनकाल राजपरिवार की महिलाओं के लिए इस मेले की शुरूआत की गई थी और आजादी के बाद यह दो दिवसीय मेला सभी आम लोगो के लिए खोला गया मेले में लोग बारिश की बौछार के बीच चटपटे व्यंजनों के चटखारे लगाते नजर आयेConclusion:आपको बता दें कि महिला 2 दिन चलता है आज पहले दिन जहां आम से खास महिला पुरुष सभी ने इस मेले में हिस्सा लिया तो वहीं दूसरे दिन सिर्फ महिलाओं के लिए इस मेले का आयोजन किया जाता है
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