उदयपुर. परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास उदयपुर प्रवास पर हैं. जहां शुक्रवार को ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा 27 फरवरी को दो सम्मेलन में भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि किसान की आवाज को ताकत देना और किसान की आवाज में आवाज मिलाकर कांग्रेस कार्यकर्ता केंद्र सरकार को चुनौती दे रहा है.
खाचरियावास ने आगे कहा कि सरकार ने जो सड़कों पर कीलें और कटीले तार लगाए थे, उन्हें हटाना पड़ा क्योंकि मोदी सरकार अपराध बोध से ग्रसित है. गलती पर गलती मोदी सरकार कर रही है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल में देश में आग लगी हुई है. अडानी, अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए पेट्रोल-डीजल महंगा कर जनता की जेब काट रहे हैं. उन्होंने कहा कि लगातार गैस के दामों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. कृषि कानूनों में सरकार संशोधन की बात कर रही है तो जब बिना पूछे ही कानून लाए गए तो सरकार को बिना पूछे संशोधन भी कर लेना चाहिए, कोई मानेगा तो मान लेगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेताओं की हालत बहुत पतली है. बीजेपी के नेता पहले कृषि कानून को लेकर मीटिंग करने की बात किया करते थे, लेकिन अब सड़कों पर ही नहीं उतरते. किसान पकड़ लेते हैं उनको, इसलिए अब हवाई जहाज से उतरते हैं.
पढ़ें : प्रदेश की जनता के सपनों को उड़ान देगा प्रदेश का बजटः प्रतापसिंह खाचरियावास
इसलिए समझ लेना चाहिए कि मोदी सरकार का बजट देश के साथ धोखा साबित हुआ. इसी के साथ कांग्रेस की गहलोत सरकार ने यह साबित कर दिया कि मोदी जी तो सिर्फ बात करते थे 56 इंच का सीना है, लेकिन अशोक गहलोत जी ने कहा कि हमारा 56 इंच का नहीं 60 इंच का सीना है. बजट को लेकर ऐसा ही दिन दिखाया और एक रुपये का भी अलग से टैक्स नहीं लगाया. वहीं, उन्होंने कहा कि आने वाले उपचुनाव में चारों विधानसभा सीट हम जीतेंगे. जनता केंद्र सरकार के पेट्रोल और डीजल के खिलाफ है. इसलिए बीजेपी को जनता सबक सिखाएगी.
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल चुनाव को देखते हुए रविंद्र नाथ टैगोर की तरह दाढ़ी बढ़ा ली. इस चुनाव में सरकार को अपने किए कामों लेकर जाना चाहिए, लेकिन आप लुक लेकर जा रहे हैं. इससे कुछ नहीं होगा. रविंद्र नाथ की नीति और नियत को मानना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वह कभी आंदोलनकारियों की हंसी नहीं उड़ाया करते थे. आंदोलनकारियों को 'आंदोलनजीवी, परजीवी' कह रहे हैं. दुनिया जानती है, उन्हें अपनी पत्नी को भी सम्मान देना चाहिए. उनकी पत्नी तो प्रधानमंत्री आवास में नहीं रहतीं.