उदयपुर. पिछले छह माह से अधिक समय से रूस में मृत उदयपुर जिले के गोड़वा निवासी हितेंद्र गरासिया के परिजनों का संघर्ष (Struggle of Hitendra Garasiya Family) आखिरकार रंग लाने लगा है. परिजनों के लंबे संघर्ष के बाद शुक्रवार को रूस के मॉस्को में शव को कब्र से बाहर निकाल लिया गया. इस मामले में सप्ताह भर पहले कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था.
इस मामले को लेकर कई दिनों से नई दिल्ली में परिजनों का आंदोलन जारी है. शुक्रवार को भी परिजनों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन (Garasiya Family Protest on Delhi Jantar Mantar) करते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष के नाम ज्ञापन दिया. बूंदी के कांग्रेस नेता चर्मेश शर्मा को शुक्रवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान ही भारतीय दूतावास की ओर से सूचना दी गई कि हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को कब्र से बाहर निकाल लिया गया है. भारतीय दूतावास के अधिकारी इस मामले में गुरुवार रात से ही शर्मा से लगातार संपर्क बनाए हुए थे.
दो दिन में भारत पहुंच सकता है शव : भारतीय दूतावास से शर्मा को मिली जानकारी के अनुसार हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह सोमवार सुबह नई दिल्ली इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर पहुंचने की सम्भावना है. दिवंगत देह को पहुंचाने के लिए मोर्टल अधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है. भारत सरकार के अधिकारी गरासिया की दिवंगत देह को नई दिल्ली तक पहुंचाएंगे और वहां से राजस्थान सरकार के अधिकारियों को दिवंगत देह को सुपुर्द किया जाएगा.
तीन दिसंबर को झूठ बोलकर दफनाया था : हितेंद्र गरासिया की 17 जुलाई 2021 को रूस में मौत हुई थी. 3 दिसंबर 2021 को उन्हें चुपके से दफना दिया था. इस मामले में हितेंद्र गरासिया के शव को दफनाने के बाद भी कई दिनों तक लगातार झूठ बोला जाता रहा. 4 दिसंबर को जहां रूस के राष्ट्रपति पुतिन के भारत आने से पहले रशियन सरकार की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर हितेंद्र गरासिया की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया गया. साथ ही परिजनों को चाणक्यपुरी स्थित रूस दूतावास में बुलाकर वार्ता कर कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया. वहीं, 7 दिसंबर को भारतीय दूतावास की ओर से हितेंद्र गरासिया की पत्नी आशा गरासिया को मेल भेजकर कहा कि भारतीय दूतावास शव भारत पहुंचाने के लिए कार्रवाई कर रहा है.
15 दिसंबर 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर में परिजनों की ओर से दायर याचिका पर भारत सरकार ने आधिकारिक जवाब दिया कि हितेंद्र गरासिया का शव अभी एफएसएल जांच के लिए रूस की जांच एजेंसी के पास रखा हुआ है. शव की एफएसएल जांच पेंडिंग है. 20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने भारत सरकार पर हितेंद्र के शव को रूस में दफनाने में सहमति देने पर रोक लगा दी तो इसके बाद भारत सरकार की ओर से परिजनों को भेजी गई पावर ऑफ अटॉर्नी से खुलासा हुआ कि शव को तो पहले ही दफना दिया गया है. 12 जनवरी को भारत सरकार ने हाईकोर्ट में तीन दिन में शव को परिवार के पास पहुंचाने की बात कही थी, लेकिन उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था.
प्रियंका ने लिखा, एक बेटी पिता के आखिरी दर्शन करना चाहती है : इस मामले में 28 जनवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने हितेंद्र गरासिया की बेटी उर्वशी गरासिया की पीड़ा को व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भावनात्मक पत्र लिखा था. पीएम मोदी को लिखे पत्र में प्रियंका गांधी ने कहा था कि एक बेटी अपने पिता के आखरी दर्शन करना चाहती है. प्रियंका गांधी ने इस मामले में प्रधानमंत्री से कार्रवाई की मांग करते हुए अब तक की कार्रवाई पर असंतोष भी जताया था.
उल्लेखनीय है कि 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र गरासिया की रूस में मौत के बाद अक्टूबर माह से विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए कार्य करने वाले बूंदी के चर्मेश शर्मा पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए.उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, मानव अधिकार आयोग तक मामला पहुंचाया. वहीं, दिवंगत देह को भारत लाने के लिए दिसंबर माह में पीड़ित परिवार के साथ सप्ताह भर तक नई दिल्ली जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर कई बार प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय में ज्ञापन देकर भारत सरकार को चेताया. पीड़ित परिवार ने जोधपुर हाईकोर्ट में रिट दायर की. जिस पर हाईकोर्ट ने (High court deadline in Hitendra Garasiya Case) भारत सरकार को शव लाने के निर्देश दिए.
रोजगार के लिए गए थे रूस : उदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव के हितेंद्र गरासिया बीते साल रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से रूस गए थे. हितेंद्र काम के लिए किसी एजेंट को लाखों रुपए देकर रूस गए थे. भारतीय दूतावास की ओर से मॉस्को से जयपुर पासपोर्ट ऑफिस को भेजी सूचना के मुताबिक रूस पुलिस को 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र का शव मिल गया था. 17 जुलाई को उसकी मौत हो गई. लंबे समय बाद परिवार को भारतीय दूतावास से इसकी सूचना मिली. ऐसे में परिवार के लोग लगातार भारतीय दूतावास से लगातार संपर्क कर रहे थे. भारतीय दूतावास की ओर से मौत का कोई कारण नहीं बताया गया.