उदयपुर. जिले के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में कोरोना टीकाकरण दम तोड़ता हुआ नजर आ रहा है. शहर के कई ब्लॉक में वैक्सीनेशन के आंकड़े नाम मात्र दिखाई पड़ रहे हैं. एक तरफ वैक्सीनेशन को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपाने में कोई कमी नहीं छोड़ रही तो वहीं दूसरी तरफ आदिवासी और ग्रामीण इलाके के आंकड़े सरकार की इस वाहवाही की पोल खोलते हुए दिखाई पड़ रहे हैं.
उदयपुर के कोटडा, झाडोल, गोगुंदा के आंकड़ों पर नजर डाले तो लोगों में अभी भी वैक्सीनेशन को लेकर भ्रम की स्थिति नजर आ रही है. यही वजह है, कि कोटडा ब्लॉक में तो अभी तक 6.6 फीसदी लोगों को ही टीकाकरण किया जा सका है. इसी के साथ गोगुंदा में जहां 33.5 फीसदी लोगों को टीकाकरण किया गया है, तो वहीं झाडोल में 35.3 लोगों का टीका लगाया गया है.
यह आंकड़े शहरी क्षेत्र की तुलना में आधे से भी कम है. क्योंकि शहरी इलाके में कब तक 90 फिसदी लोगों को कोरोना वैक्सीनेशन का पहला डोज लग चुका है, लेकिन ग्रामीण इलाकों की स्थिति में फिलहाल सुधार होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. जिसका मुख्य कारण है कोरोना टीकाकरण को लेकर लोगों के दिलों दिमाग में तरह-तरह की भ्रम की स्थिति पनप चुकी है. इसे दूर करने के लिए जिला प्रशासन गांव, ढाणियों में जाकर लोगों को जागृत करने का प्रयास कर रहा है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में डीआरसीएचओ अशोक आदित्य ने बताया कि उदयपुर में लगातार टीकाकरण जारी है. ऐसे में शहरी इलाकों के लोग बढ़-चढ़कर टीकाकरण करा रहे हैं. लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई है. जिन्हें दूर करने के लिए चिकित्सा विभाग और प्रशासन जुटा हुआ है.
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पिछले दिनों वैक्सीन लगाने पहुंचे टीम के साथ अभद्रता की गई. एक ग्रामीण महिला लाठी लेकर मारने के लिए दौड़ पड़ी, जिसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. हालांकि छुटपुट मामलों के बाद भी जिला प्रशासन लगातार लोगों से वैक्सीनेशन को लेकर अपील कर रहा है.