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Death By Negligence: उदयपुर के एमबी अस्पताल में 2 घंटे तक इलाज के लिए तरसा मरीज, गई जान...अधीक्षक बोले- जानकारी नहीं - udaipur latest news

लापरवाही की एक नई इबारत उदयपुर स्थित एमबी (Udaipur MB Hospital) अस्पताल ने शनिवार (30 जुलाई 2022) को लिखी. पेट दर्द से कराहते मरीज को घंटों स्टाफ इधर उधर घुमाता रहा. जान चली गई तो परिजनों को ठीक से बताया तक नहीं बल्कि औपचारिकता पूरी करने का ढोंग किया जाता रहा. वहीं इस मामले से अस्पताल के अधीक्षक ने पल्ला झाड़ा है.

Death By Negligence
2 घंटे तक इलाज के लिए तरसा मरीज, गई जान
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Published : Jul 31, 2022, 1:47 PM IST

Updated : Jul 31, 2022, 2:28 PM IST

उदयपुर. उदयपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल महाराणा भूपाल चिकित्सालय पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं (Udaipur MB Hospital). चिकित्सालय प्रशासन पर पीड़ित परिवार ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि डॉक्टर की संवेदनहीनता से मरीज की जान चली गई. शनिवार को करीब 2 घंटे तक परिजन गंभीर अवस्था में मरीज को इधर से उधर लेकर भागते रहे. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया (Negligence in Udaipur MB Hospital). आखिरकार मरीज ने दम तोड़ दिया. जब अस्पताल के अधीक्षक डॉ आर एल सुमन से पूछा गया तो उन्होंने टका सा जवाब दिया कि- मामला संज्ञान में नहीं आया है.

मृतक मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि करीब 2 घंटे तक मरीज इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में ही लेकर बैठे रहे लेकिन किसी ने उसको अस्पताल में भर्ती नहीं किया. परिजन गंभीर अवस्था में मरीज को लेकर इधर-उधर भागते रहे बाद में 3 बजे ट्रॉमा और मेडिसिन यूनिट में 4 डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद मरीज ने दम तोड़ दिया.मृतक के परिजनों ने कहा कि मरीज की मृत्यु होने के बाद भी काफी देर तक इसकी जानकारी नहीं दी गई. आरोप है कि महिला डॉक्टर कागजी कार्रवाई के लिए बार-बार मरीज का आधार कार्ड मांगती रही.

2 घंटे तक इलाज के लिए तरसा मरीज, गई जान

पढ़ें-Udaipur Hospital Negligence : एमबी अस्पताल में हार्ट अटैक के मरीज को 2 घंटे एंबुलेंस में करना पड़ा इंतजार...

परिजनों ने बताया कि उदयपुर जिले के ओगना क्षेत्र के काला गांव के रहने वाला धुलाराम को पेट दर्द होने पर उसका भाई और बेटा गांव से उदयपुर अस्पताल में दिखाने के लिए लाए थे. मृतक के भाई तेजाराम ने बताया कि बड़े भाई को 2 दिन पहले पेट दर्द हुआ था. गांव के सीएससी में दिखाने के बाद उसे निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने उसकी आंतों में छेद होने से ऑपरेशन की सलाह दी.

आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण मृतक परिजन उसे एमबी अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन एमबी मे इलाज तो दूर करीब 2 घंटे तक एंबुलेंस से ही मरीज को नीचे नहीं उतारा गया. काफी देर बाद में जब अस्पताल में लेकर गए तो उसे मृत घोषित कर दिया गया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की कीमत मरीज को जान देकर चुकानी पड़ी है. एक महीने पहले जून में मरीज की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. तब भी मरीज के परिजन उसे एंबुलेंस में लेकर बैठे रहे थे और चिकित्सकों की मनमानी का सामना किया था.

उदयपुर. उदयपुर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल महाराणा भूपाल चिकित्सालय पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं (Udaipur MB Hospital). चिकित्सालय प्रशासन पर पीड़ित परिवार ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि डॉक्टर की संवेदनहीनता से मरीज की जान चली गई. शनिवार को करीब 2 घंटे तक परिजन गंभीर अवस्था में मरीज को इधर से उधर लेकर भागते रहे. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया (Negligence in Udaipur MB Hospital). आखिरकार मरीज ने दम तोड़ दिया. जब अस्पताल के अधीक्षक डॉ आर एल सुमन से पूछा गया तो उन्होंने टका सा जवाब दिया कि- मामला संज्ञान में नहीं आया है.

मृतक मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि करीब 2 घंटे तक मरीज इमरजेंसी के बाहर एंबुलेंस में ही लेकर बैठे रहे लेकिन किसी ने उसको अस्पताल में भर्ती नहीं किया. परिजन गंभीर अवस्था में मरीज को लेकर इधर-उधर भागते रहे बाद में 3 बजे ट्रॉमा और मेडिसिन यूनिट में 4 डॉक्टरों के चक्कर लगाने के बाद मरीज ने दम तोड़ दिया.मृतक के परिजनों ने कहा कि मरीज की मृत्यु होने के बाद भी काफी देर तक इसकी जानकारी नहीं दी गई. आरोप है कि महिला डॉक्टर कागजी कार्रवाई के लिए बार-बार मरीज का आधार कार्ड मांगती रही.

2 घंटे तक इलाज के लिए तरसा मरीज, गई जान

पढ़ें-Udaipur Hospital Negligence : एमबी अस्पताल में हार्ट अटैक के मरीज को 2 घंटे एंबुलेंस में करना पड़ा इंतजार...

परिजनों ने बताया कि उदयपुर जिले के ओगना क्षेत्र के काला गांव के रहने वाला धुलाराम को पेट दर्द होने पर उसका भाई और बेटा गांव से उदयपुर अस्पताल में दिखाने के लिए लाए थे. मृतक के भाई तेजाराम ने बताया कि बड़े भाई को 2 दिन पहले पेट दर्द हुआ था. गांव के सीएससी में दिखाने के बाद उसे निजी अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने उसकी आंतों में छेद होने से ऑपरेशन की सलाह दी.

आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण मृतक परिजन उसे एमबी अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन एमबी मे इलाज तो दूर करीब 2 घंटे तक एंबुलेंस से ही मरीज को नीचे नहीं उतारा गया. काफी देर बाद में जब अस्पताल में लेकर गए तो उसे मृत घोषित कर दिया गया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की कीमत मरीज को जान देकर चुकानी पड़ी है. एक महीने पहले जून में मरीज की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. तब भी मरीज के परिजन उसे एंबुलेंस में लेकर बैठे रहे थे और चिकित्सकों की मनमानी का सामना किया था.

Last Updated : Jul 31, 2022, 2:28 PM IST
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