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26/11 Mumbai Attack: 'उस रात' की कहानी सुनिए मार्कोस कमांडो रहे हिम्मत सिंह राव की जुबानी - Terrorist Attack On Hotel Taj

26/11 स्वतंत्र भारत का ऐसा काला इतिहास जिसे हर हिंदुस्तानी खुरच कर निकालना चाहेगा. मुम्बई पर कहर (26/11 Mumbai Attack) बनकर टूटी उस रात आतंकियों ने कोहराम मचा दिया था. 2008 में सरहद पार से आए मुट्ठी भर आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर देश को दहला दिया था. बंधक बनी आर्थिक राजधानी को बचाने के लिए मार्कोस Commandos को आगे आना पड़ा. उदयपुर के हिम्मत सिंह राव भी जाबांजों की उस टोली का अंग थे. Etv Bharat से उन्होंने उस काली रात की कहानी शेयर की.

26/11 Mumbai Attack
'उस रात' की कहानी सुनिए सिरोही के जाबांज की जुबानी
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Published : Nov 26, 2021, 10:22 AM IST

Updated : Nov 26, 2021, 1:20 PM IST

उदयपुर: 26/11 की आज 13वीं बरसी है. मार्कोस कमांडो हिम्मत सिंह राव 10 आतंकियों के कायराना अटैक को अब तक नहीं भूले हैं. एक-एक पल उन्हें उस भयावह रात का जिक्र करते हैं. टीवी पर ब्रेकिंग से लेकर, ऊपर से आए ऑर्डर, टीम की तैयारी और फिर लश्कर ए तइबा आतंकियों (Lashkar E Taiba In Mumbai Attack) को ढेर करने की कहानी बयां करते हैं. कहते हैं कई साल बीत गए लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने कौंध जाता है.

मुम्बई पर हुए हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. 166 के करीब लोगों ने जान गंवा दी थीं. मुम्बई और छलनी हो सकती थी लेकिन ऐसे में ही मार्कोस कमांडो को बुलाया गया. कुछ घण्टों में ही 10 में से 9 को जाबांजों ने मार गिराया. Operation Black Tornado ने देश को उसका गौरव वापस दिलाया.

'उस रात' की कहानी सुनिए मार्कोस कमांडो रहे हिम्मत सिंह राव की जुबानी

पढ़ें-26/11 मुंबई आतंकी हमला : भारत-पाक संबंधों के बीच खिंच गई लाल लकीर, आज भी जख्म हरे

सिरोही के लाल ने बढ़ाया मान

मार्कोस कमांडो टीम का हिस्सा रहे Indian Navy के वीर सपूत हिम्मतसिंह राव (Marcos Commando Himmat Singh Rao) मूलत सिरोही जिले के पिंडवाड़ा उपखंड क्षेत्र के बसंतगढ़ के रहने वाले हैं. फिलहाल उदयपुर जिले की बडगांव तहसील में नायब तहसीलदार हैं. वो बताते हैं कि 26 नवंबर 2008 (26/11 mumbai attack) रात करीब 9.30 बजे थे. मारकोस कमांडो टीम के रूप में पोस्टिंग नवी मुंबई के पास के आइलैंड में थी. अचानक टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश हुई जिसमें कुछ अनहोनी की आहट थी. शुरुआत में इसे मुंबई में फिर गैंगवार (Gang war In Mumbai ) का नाम दिया गया.

टीवी में बताया गया कि गैंगवार में कई लोग मारे गए हैं. कुछ देर बाद पता चला कि यह गैंगवार नहीं, आतंकी हमला है. धीरे-धीरे पता चलने लगा कि गेट वे आफ इंडिया के पास लियो पार्ड कैफे, होटल ताज, कामा अस्पताल, होटल ट्राइडेन्ट और नरीमन हाउस में आंतकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. खबर कुछ लोगों को बंदी बनाए जाने की भी थी.

हम हो गए अलर्ट

हिम्मत सिंह (Marcos Commando Himmat Singh Rao) आगे कहते हैं- वो खबर सुनकर ही हम अलर्ट हो गए. क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर मारकोस को एप्रोच किया जाचा है. फिर 10 से 15 मिनट में कॉल आ भी गई. मैं तीसरी टीम का सदस्य था. जहां हमले हुए, वह जगह दूर थी. हमारी टीम समुद्री रास्ते से पहुंची. इसके बाद हम अलग-अलग जगहों में निकल पड़े. मार्कोस टीम होटल ताज व होटल Trident में घुसी.

और हुई सीधी मुठभेड़

होटल ताज (Terrorist Attack On Hotel Taj) में टीम का दो बार आंतकियों से सीधा सीधा सामना हुआ. चूंकि वहां वीआईपी गेस्ट सहित कई जगहों पर लोग फंसे हुए थे इसलिए हमारे लिए सीधी फायरिंग करना आसान नहीं था. हमारी Priority आतंकियो कों और डेमेज करने से रोकने की थी. इसके साथ ही उनके कब्जे से बंदियों को सही सलामत रिहा करवाना भी हमारी जिम्मेदारी थी.

हम कामयाब रहे

हिम्मत सिंह (Marcos Commando Himmat Singh Rao) की आंखों की चमक बताती है कि लोगों को बचाकर उन्हें कितनी खुशी मिली. उस जज्बे को कुछ यूं बताते हैं- हम अपने मिशन में कामयाब रहे. रात 11.30 बजे से सुबह तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में हमने 175 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया. होटल ताज में आतंकियों के ग्रेनेड, जिंदा कारतूस, हथियार और कुछ वस्तुएं बरामद किए गए. इस मुठभेड़ में हमारे एक कमांडो प्रवीण, गम्भीर रूप से घायल भी हुए थे.

देश के हम काम आए

कभी कमांडो रहे हिम्मत (Marcos Commando Himmat Singh Rao) बताते हैं कि उन्हें गर्व है कि वो मां भारती के काम आए. सैकड़ों की जान बचाई. आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया. लेकिन वो मंजर, वो चीखें आज तक पीछा नहीं छोड़ती हैं. सब दिमाग में कौंध जाता है.

उदयपुर: 26/11 की आज 13वीं बरसी है. मार्कोस कमांडो हिम्मत सिंह राव 10 आतंकियों के कायराना अटैक को अब तक नहीं भूले हैं. एक-एक पल उन्हें उस भयावह रात का जिक्र करते हैं. टीवी पर ब्रेकिंग से लेकर, ऊपर से आए ऑर्डर, टीम की तैयारी और फिर लश्कर ए तइबा आतंकियों (Lashkar E Taiba In Mumbai Attack) को ढेर करने की कहानी बयां करते हैं. कहते हैं कई साल बीत गए लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने कौंध जाता है.

मुम्बई पर हुए हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. 166 के करीब लोगों ने जान गंवा दी थीं. मुम्बई और छलनी हो सकती थी लेकिन ऐसे में ही मार्कोस कमांडो को बुलाया गया. कुछ घण्टों में ही 10 में से 9 को जाबांजों ने मार गिराया. Operation Black Tornado ने देश को उसका गौरव वापस दिलाया.

'उस रात' की कहानी सुनिए मार्कोस कमांडो रहे हिम्मत सिंह राव की जुबानी

पढ़ें-26/11 मुंबई आतंकी हमला : भारत-पाक संबंधों के बीच खिंच गई लाल लकीर, आज भी जख्म हरे

सिरोही के लाल ने बढ़ाया मान

मार्कोस कमांडो टीम का हिस्सा रहे Indian Navy के वीर सपूत हिम्मतसिंह राव (Marcos Commando Himmat Singh Rao) मूलत सिरोही जिले के पिंडवाड़ा उपखंड क्षेत्र के बसंतगढ़ के रहने वाले हैं. फिलहाल उदयपुर जिले की बडगांव तहसील में नायब तहसीलदार हैं. वो बताते हैं कि 26 नवंबर 2008 (26/11 mumbai attack) रात करीब 9.30 बजे थे. मारकोस कमांडो टीम के रूप में पोस्टिंग नवी मुंबई के पास के आइलैंड में थी. अचानक टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश हुई जिसमें कुछ अनहोनी की आहट थी. शुरुआत में इसे मुंबई में फिर गैंगवार (Gang war In Mumbai ) का नाम दिया गया.

टीवी में बताया गया कि गैंगवार में कई लोग मारे गए हैं. कुछ देर बाद पता चला कि यह गैंगवार नहीं, आतंकी हमला है. धीरे-धीरे पता चलने लगा कि गेट वे आफ इंडिया के पास लियो पार्ड कैफे, होटल ताज, कामा अस्पताल, होटल ट्राइडेन्ट और नरीमन हाउस में आंतकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. खबर कुछ लोगों को बंदी बनाए जाने की भी थी.

हम हो गए अलर्ट

हिम्मत सिंह (Marcos Commando Himmat Singh Rao) आगे कहते हैं- वो खबर सुनकर ही हम अलर्ट हो गए. क्योंकि ऐसे मामलों में अक्सर मारकोस को एप्रोच किया जाचा है. फिर 10 से 15 मिनट में कॉल आ भी गई. मैं तीसरी टीम का सदस्य था. जहां हमले हुए, वह जगह दूर थी. हमारी टीम समुद्री रास्ते से पहुंची. इसके बाद हम अलग-अलग जगहों में निकल पड़े. मार्कोस टीम होटल ताज व होटल Trident में घुसी.

और हुई सीधी मुठभेड़

होटल ताज (Terrorist Attack On Hotel Taj) में टीम का दो बार आंतकियों से सीधा सीधा सामना हुआ. चूंकि वहां वीआईपी गेस्ट सहित कई जगहों पर लोग फंसे हुए थे इसलिए हमारे लिए सीधी फायरिंग करना आसान नहीं था. हमारी Priority आतंकियो कों और डेमेज करने से रोकने की थी. इसके साथ ही उनके कब्जे से बंदियों को सही सलामत रिहा करवाना भी हमारी जिम्मेदारी थी.

हम कामयाब रहे

हिम्मत सिंह (Marcos Commando Himmat Singh Rao) की आंखों की चमक बताती है कि लोगों को बचाकर उन्हें कितनी खुशी मिली. उस जज्बे को कुछ यूं बताते हैं- हम अपने मिशन में कामयाब रहे. रात 11.30 बजे से सुबह तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में हमने 175 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया. होटल ताज में आतंकियों के ग्रेनेड, जिंदा कारतूस, हथियार और कुछ वस्तुएं बरामद किए गए. इस मुठभेड़ में हमारे एक कमांडो प्रवीण, गम्भीर रूप से घायल भी हुए थे.

देश के हम काम आए

कभी कमांडो रहे हिम्मत (Marcos Commando Himmat Singh Rao) बताते हैं कि उन्हें गर्व है कि वो मां भारती के काम आए. सैकड़ों की जान बचाई. आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया. लेकिन वो मंजर, वो चीखें आज तक पीछा नहीं छोड़ती हैं. सब दिमाग में कौंध जाता है.

Last Updated : Nov 26, 2021, 1:20 PM IST
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