उदयपुर. प्रदेश की 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का केंद्र बिंदु मेवाड़ बना हुआ है. मेवाड़ की 3 सीटों वल्लभनगर, राजसमंद और सहाड़ा पर उपचुनाव होने वाले हैं. उपचुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही भाजपा और कांग्रेस के बाद अब हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी भी जमीन तलाशने में जुट गई है. देखें ये खास रिपोर्ट
मेवाड़ में उतरेंगे 'हनुमान'...
हनुमान बेनीवाल के उतरने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस की धड़कन और तेज हो गई है. क्योंकि, बेनीवाल इन चारों विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. पिछले 2 दिनों से मेवाड़ के दौरे पर रहे बेनीवाल ने जहां कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से वर्तमान परिस्थितियों को लेकर चर्चा की, साथ ही कई मंदिरों के दर्शन कर राजनीतिक संकेत के माध्यम से तीसरे विकल्प की घोषणा की. लेकिन, बेनीवाल के लिए मेवाड़ में पांव जमाना इतना आसान नहीं है. क्योंकि, चारों ही विधानसभा सीटों का अपना एक अलग समीकरण है. हालांकि, बेनीवाल जिस अंदाज और तेवर में सत्तापक्ष और विपक्ष को आड़े हाथों ले रहे हैं. उससे लगता है कि बेनीवाल इस उपचुनाव के बिगुल में आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे.
रणनीति के तहत काम...
बेनीवाल लगातार कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचकर युवा वर्ग को जहां प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, किसानों के मुद्दे को उठाकर अपनी और आकर्षित करने में जुटे हुए हैं. इस बार के उपचुनाव से बेनीवाल केंद्र की भाजपा सरकार को अपनी शक्ति का आभास कराना चाहते हैं. जाट वर्ग से आने वाले बेनीवाल किस तरह से इन चारों विधानसभा सीटों पर अपने पार्टी को स्थापित करेंगे. इन चारों विधानसभा सीटों पर ऐसे प्रत्याशियों की घोषणा करेंगे, जो भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनेंगे.
मेवाड़ की विधानसभा सीटों की गणित...
वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में बेनीवाल को भाजपा कांग्रेस के साथ रणधीर सिंह भिंडर की पार्टी जनता सेना से भी मुकाबला करना पड़ेगा. वल्लभनगर विधानसभा सीट पर जनता सेना का भी खासा दबदबा है. यहां से स्वर्गीय विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है. लेकिन, पिछले दिनों हुए नगर पालिका चुनाव में रणधीर सिंह भिंडर की पार्टी जनता सेना का बोर्ड बना. इसलिए बेनीवाल को जनता सेना से भी उतनी ही चुनौती मिलेगी, जितनी भाजपा और कांग्रेस से. इसलिए वल्लभनगर में पांव जमाना बेनीवाल के लिए चुनौती भरा रहेगा.
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राजसमंद विधानसभा सीट...
राजसमंद विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भी बेनीवाल उम्मीदवार उतारेंगे. राजसमंद सीट भाजपा का गढ़ रही है. इस बार कांग्रेस ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है. कांग्रेस ने अपने शीर्ष नेताओं को इस क्षेत्र में अभी से लगा दिया है. वही, बेनीवाल अगर इस सीट से गुर्जर वोटों को प्रभावित करने में सफल रहे, तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के लिस्ट दर्द बनेंगे. वहीं, बेनीवाल इन दिनों sc-st वोटों के मुद्दों को भी उठा रहे हैं. बेनीवाल लगातार कर रहे हैं कि उनकी पार्टी से एसटी के विधायक बने हैं. इन वोटों पर भी सेंध मारी अगर हुई, तो कांग्रेस और भाजपा के लिए गले की फांस बनेंगे. लेकिन, बेनीवाल का जमीनी स्तर पर पार्टी को खड़ा करना भी उनके लिए चुनौती भरा है. यहीं स्थिति सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी दिखाई पड़ रही है.
इन मुद्दों को ज्यादा उठा रहे हैं बेनीवाल...
बेनीवाल मीडिया से बातचीत में हो या जनता के बीच में सत्ता पक्ष कांग्रेस के साथ ही भाजपा पर भी जमकर निशाना साध रहे हैं. दोनों ही पार्टियों के गठजोड़ की बातें कर रहे हैं. इसलिए तीसरे मोर्चे के रूप में अपने आप को जनता के सामने विकल्प के रूप में बता रहे हैं. युवाओं को बेरोजगार भत्ता देने, कृषि कानूनों को वापस लेने, टोल मुक्त राजस्थान को लेकर हुंकार भर रहे हैं. आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर में बड़ी संख्या में रैली करने की बात कर रहे हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में स्थिति बेनीवाल की...
हनुमान बेनीवाल की पार्टी की स्थापना 29 अक्टूबर 2018 को हुई. उन्होंने पहला चुनाव राजस्थान विधानसभा का 2018 में लड़ा. 57 सीटों पर उन्होंने अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन मात्र 3 सीटों पर ही जीत मिली. लेकिन, करीब दर्जनभर सीटों पर 5000 से 10000 के बीच वोट मिले. पूरे राजस्थान में कुल 8,56,038 वोट मिले, जो 2.4 प्रतिशत है. इन चुनावों में भी आरएलपी ने कांग्रेस और भाजपा के खेल को बिगाड़ने का काम किया था. अब देखना होगा कि हनुमान की हुंकार को जनता की किस अंदाज में लेती है.