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New Orchid in Rajasthan : फुलवारी अभयारण्य में पहली बार दिखा नया ऑर्किड... - फुलवारी अभयारण्य में पहली बार दिखा नया ऑर्किड

जैव विविधता वाला मेवाड़-वागड़ एक बार फिर से सुर्खियों में है. इस बार फुलवारी अभयारण्य ( New Orchid in Rajasthan) अनोखी प्रजाति के दुर्लभ ऑर्किड का गवाह बना है. यहां जानिए पूरी कहानी...

Orchid First Time Phulwari Sanctuary
फुलवारी अभयारण्य में पहली बार दिखा नया ऑर्किड...
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Published : Sep 15, 2022, 10:22 PM IST

उदयपुर. राजस्थान में पहली बार पैरीस्टाइलस वंश की प्रजाति के ऑर्किड पैरीस्टाइलस गुडयेरोइडीज को फुलवारी अभयारण्य में देखा है. इसे सबसे पहले (Orchid First Time Phulwari Sanctuary) उदयपुर निवासी राजस्थान के ख्यातनाम प्रकृतिविद डॉ. सतीश शर्मा और प्रकृतिविद डॉ. धर्मेन्द्र खांडल को दिखाई दिया है.

पैरीस्टाइलस वंश की चौथी प्रजाति पहली बार दिखी : डॉ. शर्मा ने बताया कि राजस्थान में पहली बार पैरीस्टाइलस वंश के ऑर्किड पैरीस्टाइलस कान्सट्रीकट्स का पता वर्ष 2007 में फुलवारी एवं सीतामाता अभयारण्यों में लगा था. उसके बाद इसी वंश के दो नए ऑर्किड पैरीस्टाइलस स्टोकेसी माउंट आबू क्षेत्र में एवं पैरीस्टाइलस लावी की उपस्थिति फुलवारी अभयारण्य में दर्ज हुई थी. उन्होंने बताया कि हाल में ही में पैरीस्टाइलस वंश की चौथी प्रजाति पैरीस्टाइलस गुडयेरोइडीज को फुलवारी अभयारण्य के लथूनी डैया रोड़ के किनारे अंबावी गांव के पास देखा गया है.

पढ़ें : Special : फूलों की रंगत देखकर खिल उठे मायूस चेहरे...

अनूठी उपलब्धि शोध जर्नल में हुई प्रकाशित : डॉ. सतीश शर्मा और डॉ. धर्मेन्द्र खांडल द्वारा इस ऑर्किड की राजस्थान में पहली बार देखने की उपलब्धि को इंडियन जर्नल ऑफ एनवायरमेंट साइंसेज ने अपने अंक 26 (2) में प्रकाशित किया है. डॉ. शर्मा व डॉ. खांडल की इस उपलब्धि के लिए मेवाड़-वागड़ के प्रकृति प्रेमियों ने खुशी जताई है और बधाई देते हुए इस ऑर्किड की उपस्थिति को एक अच्छी किस्म के वनों की द्योतक बताया है.

मानसून में दिखता है ऑर्किड का सौंदर्य : यह ऑर्किड एक बरसाती पौधा है जो केवल वर्षा ऋतु ते दौरान ही नजर आता है. सर्दी व गर्मी में यह कंद के रूप में भूमि में रहकर वर्षा का इंतजार करता है. मानसून आते ही इसके प्रायः चार पत्तियां आती हैं तथा जुलाई के अंतिम सप्ताह में एक अशाखित पुष्पकम नजर आने लगता है, जिसमें गंदले सफेद रंग के फूल खिलने लगते हैं. यह ऑर्किड भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, सिक्किम, मेघालय, असम, नागालैंड, मणीपुर, पश्चिमी बंगाल, बिहार, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं अंडमान में पाया जाता है. भारत के बाहर यह नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बंगलादेश, म्यामार, चीन, फिलीपिंस, मलेशिया, थाइलैंड, इंडोनेशिया एवं न्यू गिनी में पाया जाता है.

उदयपुर. राजस्थान में पहली बार पैरीस्टाइलस वंश की प्रजाति के ऑर्किड पैरीस्टाइलस गुडयेरोइडीज को फुलवारी अभयारण्य में देखा है. इसे सबसे पहले (Orchid First Time Phulwari Sanctuary) उदयपुर निवासी राजस्थान के ख्यातनाम प्रकृतिविद डॉ. सतीश शर्मा और प्रकृतिविद डॉ. धर्मेन्द्र खांडल को दिखाई दिया है.

पैरीस्टाइलस वंश की चौथी प्रजाति पहली बार दिखी : डॉ. शर्मा ने बताया कि राजस्थान में पहली बार पैरीस्टाइलस वंश के ऑर्किड पैरीस्टाइलस कान्सट्रीकट्स का पता वर्ष 2007 में फुलवारी एवं सीतामाता अभयारण्यों में लगा था. उसके बाद इसी वंश के दो नए ऑर्किड पैरीस्टाइलस स्टोकेसी माउंट आबू क्षेत्र में एवं पैरीस्टाइलस लावी की उपस्थिति फुलवारी अभयारण्य में दर्ज हुई थी. उन्होंने बताया कि हाल में ही में पैरीस्टाइलस वंश की चौथी प्रजाति पैरीस्टाइलस गुडयेरोइडीज को फुलवारी अभयारण्य के लथूनी डैया रोड़ के किनारे अंबावी गांव के पास देखा गया है.

पढ़ें : Special : फूलों की रंगत देखकर खिल उठे मायूस चेहरे...

अनूठी उपलब्धि शोध जर्नल में हुई प्रकाशित : डॉ. सतीश शर्मा और डॉ. धर्मेन्द्र खांडल द्वारा इस ऑर्किड की राजस्थान में पहली बार देखने की उपलब्धि को इंडियन जर्नल ऑफ एनवायरमेंट साइंसेज ने अपने अंक 26 (2) में प्रकाशित किया है. डॉ. शर्मा व डॉ. खांडल की इस उपलब्धि के लिए मेवाड़-वागड़ के प्रकृति प्रेमियों ने खुशी जताई है और बधाई देते हुए इस ऑर्किड की उपस्थिति को एक अच्छी किस्म के वनों की द्योतक बताया है.

मानसून में दिखता है ऑर्किड का सौंदर्य : यह ऑर्किड एक बरसाती पौधा है जो केवल वर्षा ऋतु ते दौरान ही नजर आता है. सर्दी व गर्मी में यह कंद के रूप में भूमि में रहकर वर्षा का इंतजार करता है. मानसून आते ही इसके प्रायः चार पत्तियां आती हैं तथा जुलाई के अंतिम सप्ताह में एक अशाखित पुष्पकम नजर आने लगता है, जिसमें गंदले सफेद रंग के फूल खिलने लगते हैं. यह ऑर्किड भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, सिक्किम, मेघालय, असम, नागालैंड, मणीपुर, पश्चिमी बंगाल, बिहार, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं अंडमान में पाया जाता है. भारत के बाहर यह नेपाल, भूटान, श्रीलंका, बंगलादेश, म्यामार, चीन, फिलीपिंस, मलेशिया, थाइलैंड, इंडोनेशिया एवं न्यू गिनी में पाया जाता है.

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