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Ropeway in Rajasthan : झारखंड में हादसे के बाद राजस्थान के इस रोप-वे को क्यों किया गया शटडाउन...देखिए रिपोर्ट

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Published : Apr 13, 2022, 10:07 PM IST

झारखंड के हादसे ने (Jharkhand Ropeway Accident) राजस्थान के लोगों में भी डर पैदा कर दिया है. हालांकि, प्रदेश में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है, लेकिन रोप-वे संचालक सतर्क नजर आ रहे हैं और सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाने की बात कह रहे हैं. देखिए ये रिपोर्ट...

Ropeway Safety in Rajasthan
राजस्थान में रोप-वे की स्थिति...

उदयपुर. झारखंड के देवघर में त्रिकुट पहाड़ पर बने रोप-वे पर हुए हादसे में लोगों को बचाने का ऑपरेशन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन इस घटना की यादें रूह कांपने वाली हैं. इस दर्दनाक हादसे के बाद राजस्थान में संचालित होने वाले रोप-वे संचालकों ने क्या सबक लिया ? इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उदयपुर के मंशापूर्ण करणी माता रोप-वे पहुंची, जहां रोप-वे संचालकों से आपातकालीन स्थिति से निपटने और सुरक्षा इंतजाम को लेकर विशेष बातचीत की.

राजस्थान में रोप-वे चार जगह संचालित किया जाता है, जिनमें प्रमुख है मंशापूर्ण करणी माता रोप-वे (Manshapurn Karnimata Ropeway Udaipur) जिसकी लंबाई 378 मीटर है. रोप-वे संचालक कैलाश खंडेलवाल ने बताया कि फिलहाल करणी माता रोप-वे पर शटडाउन लिया गया है. जब हमने पूछा कि झारखंड के देवघर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद शटडाउन लिया गया क्या, तब संचालक ने बताया कि हर साल इसी महीने मेंटेनेंस के लिए शटडाउन लिया जाता है.

रोप-वे संचालकों ने क्या कहा...

उन्होंने बताया कि झारखंड के देवघर और उदयपुर के करणी माता रोप-वे में बड़ा अंतर है. इन दोनों ही रोप-वे के संचालन की अपनी अलग-अलग टेक्नोलॉजी है. रोप-वे पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि कोई अनहोनी होने पर वे लोगों की जल्द से जल्द मदद कर सकें. इसके साथ ही (Reality Check on Safety Measures in Udiapur) आपातकालीन स्थिति से पर्यटकों को अवगत कराने के लिए साउंड सिस्टम लगाया गया है. वहीं, इसके साथ इलेक्ट्रिसिटी फेल होने पर डीजे सेट लगाए हुए हैं, ताकि तुरंत ही इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई को दुरुस्त किया जा सके.

रोप-वे पर ट्रॉली और मशीनों को हर महीने मेंटेनेंस किया जाता है. वहीं, साल में एक बार कलेक्टर को अवगत कराकर पूरे रोप-वे को शटडाउन किया जाता है. इस शटडाउन के दौरान (Karni Mata Ropeway Shutdown for Maintenance) सभी चीजों को खोल करके उन्हें चेक किया जाता है. इस दौरान खराब होने पर उन्हें बदल दिया जाता है. करणी माता रोप-वे में 6 गेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें केबिन कभी भी रोप-वे से अलग नहीं हटती है. इसमें छह केबिन होते हैं.

पढ़ें : राजस्थान और ओडिशा में दो रोपवे परियोजनाएं, ₹ 50 करोड़ का निवेश

बड़ी संख्या में आते हैं देशी-विदेशी पर्यटक : गौरतलब है कि देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर नीली झीलों के शहर को निहारने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट उदयपुर पहुंचते हैं. ऐसे में उदयपुर आने वाले टूरिस्ट करणी माता रोप-वे का लुत्फ (Ropeway Safety in Rajasthan) लेने के लिए भी पहुंचते हैं. हर रोज 400 से 500 पर्यटक आते हैं. वहीं, टूरिस्ट सीजन में 1500 अधिक पर्यटक रोप-वे पर आते हैं.

आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए तैयार : रोप-वे संचालक ने आगे बताया कि यह बहुत छोटा रोप-वे है. यहां आपातकालीन स्थिति (Rajasthan Ropeway Operators are on Alert) होने पर लोगों का रेस्क्यू ट्रॉली के सारे किया जाता है. ऐसे में रोप-वे पर संचालित पूरी टीम आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए ट्रेंड रहती है.

पढ़ें : त्रिकूट रोपवे हादसे से ठीक पहले का वीडियो सामने आया

शटडाउन की सूचना कैसे देते हैं ? रोप-वे को शटडाउन करने से पूर्व जिला कलेक्टर को इस से अवगत कराया जाता है. इसलिए साल में एक बार (Udaipur Ropeway Reality Check) मेजर शटडाउन लिया जाता है, जिसमें सभी रोप-वे के सभी पार्ट्स को खोला जाता है और टेस्ट किया जाता है. ऐसे में अगर पार्ट्स खराब पाए जाते हैं तो उन्हें बदल दिया जाता है.

चौमूं में सामोद वीर हनुमान जी का Ropeway : रोप-वे का संचालन राजधानी जयपुर के सामोद के वीर हनुमान जी पर भी होता है. हालांकि, इस रोप-वे पर तत्कालीन जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने सुरक्षा कारणों को लेकर रोक लगा दी थी. शुरू होने के 34 दिन बाद रोप-वे का संचालन बंद हो गया था. तब से लेकर आज तक बंद ही पड़ा है. करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से एक निजी कंपनी ने रोप-वे का निर्माण करवाकर संचालन शुरू किया था, लेकिन पिछले 2 साल से रोप-वे बंद पड़ा है. इसके चलते श्रद्धालुओं को 1050 सीढ़ियां चढ़कर ही बालाजी के दर्शन करने पड़ रहे हैं.

Samod Veer Hanuman Ji Samod Ropeway
चौमूं में सामोद वीर हनुमान जी का रोप-वे

पढ़ें : देवघर का रोपवे हादसा : बचाई गई 60 लोगों की जान, जानिए कब क्या हुआ ?

जानकारी के मुताबिक 24 मई 2019 को सामोद के वीर हनुमान मंदिर जाने के लिए अरावली पर्वत श्रृंखला पर रोप-वे का संचालन शुरू हुआ था. इस रोप-वे का निर्माण कार्य 17 जुलाई 2016 में शुरू हुआ था. मंदिर तक जाने के लिए कुल 1050 सीढ़ियां बनी हुई हैं. सीढ़ियों के जरिए मंदिर पहुंचने के लिए 40 से 45 मिनट का समय लगता है, लेकिन रोप-वे के संचालन के बाद महज 5 से 7 मिनट का वक्त ही मंदिर पहुंचने में लग रहा था. रोप-वे के संचालन के समय 6 ट्रॉलियों का उपयोग शुरू किया गया था. प्रत्येक ट्रॉली में सात से आठ व्यक्ति बैठने की क्षमता है, लेकिन 28 जून 2019 को तत्कालीन जिला कलेक्टर जगरूप यादव ने सार्वजनिक निर्माण विभाग की तकनीकी एनओसी के अभाव में और रज्जू अधिनियम 1996 की धारा 7 का उल्लंघन मानकर इस रोप-वे को बंद करने के आदेश दिए थे. तब से लेकर आज तक यह रोप-वे बंद पड़ा है.

पढ़ें : जब रेस्क्यू करने आए कमांडो से बिहार के राकेश ने कहा- पहले पानी लेकर आइए, तब जाएंगे बाहर

हालांकि, यहां आने वाले श्रद्धालु चाहते हैं कि इस रोप-वे का संचालन जल्द ही शुरू किया जाए. उम्मीद भी जताई जा रही है कि जल्द ही (Samod Veer Hanuman Ji Samod Ropeway Condition) रोप-वे का संचलन शुरू होगा. जिला प्रसाशन ने 26 मानकों के निर्णय के आधार पर रोप-वे के संचालन को अनुमति देने का मन भी बना लिया था, लेकिन फिर से वह ठंडे बस्ते में चला गया. इस तरह प्रोजेक्ट्स पर सुरक्षा के लिहाज से ध्यान रखना होता है. समय-समय पर इसका मेंटेनेंस भी किया जाना चाहिए वरना झारखंड जैसे हादसे की पुनरावृति में समय नहीं लगता है.

उदयपुर. झारखंड के देवघर में त्रिकुट पहाड़ पर बने रोप-वे पर हुए हादसे में लोगों को बचाने का ऑपरेशन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन इस घटना की यादें रूह कांपने वाली हैं. इस दर्दनाक हादसे के बाद राजस्थान में संचालित होने वाले रोप-वे संचालकों ने क्या सबक लिया ? इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उदयपुर के मंशापूर्ण करणी माता रोप-वे पहुंची, जहां रोप-वे संचालकों से आपातकालीन स्थिति से निपटने और सुरक्षा इंतजाम को लेकर विशेष बातचीत की.

राजस्थान में रोप-वे चार जगह संचालित किया जाता है, जिनमें प्रमुख है मंशापूर्ण करणी माता रोप-वे (Manshapurn Karnimata Ropeway Udaipur) जिसकी लंबाई 378 मीटर है. रोप-वे संचालक कैलाश खंडेलवाल ने बताया कि फिलहाल करणी माता रोप-वे पर शटडाउन लिया गया है. जब हमने पूछा कि झारखंड के देवघर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद शटडाउन लिया गया क्या, तब संचालक ने बताया कि हर साल इसी महीने मेंटेनेंस के लिए शटडाउन लिया जाता है.

रोप-वे संचालकों ने क्या कहा...

उन्होंने बताया कि झारखंड के देवघर और उदयपुर के करणी माता रोप-वे में बड़ा अंतर है. इन दोनों ही रोप-वे के संचालन की अपनी अलग-अलग टेक्नोलॉजी है. रोप-वे पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि कोई अनहोनी होने पर वे लोगों की जल्द से जल्द मदद कर सकें. इसके साथ ही (Reality Check on Safety Measures in Udiapur) आपातकालीन स्थिति से पर्यटकों को अवगत कराने के लिए साउंड सिस्टम लगाया गया है. वहीं, इसके साथ इलेक्ट्रिसिटी फेल होने पर डीजे सेट लगाए हुए हैं, ताकि तुरंत ही इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई को दुरुस्त किया जा सके.

रोप-वे पर ट्रॉली और मशीनों को हर महीने मेंटेनेंस किया जाता है. वहीं, साल में एक बार कलेक्टर को अवगत कराकर पूरे रोप-वे को शटडाउन किया जाता है. इस शटडाउन के दौरान (Karni Mata Ropeway Shutdown for Maintenance) सभी चीजों को खोल करके उन्हें चेक किया जाता है. इस दौरान खराब होने पर उन्हें बदल दिया जाता है. करणी माता रोप-वे में 6 गेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें केबिन कभी भी रोप-वे से अलग नहीं हटती है. इसमें छह केबिन होते हैं.

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बड़ी संख्या में आते हैं देशी-विदेशी पर्यटक : गौरतलब है कि देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर नीली झीलों के शहर को निहारने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट उदयपुर पहुंचते हैं. ऐसे में उदयपुर आने वाले टूरिस्ट करणी माता रोप-वे का लुत्फ (Ropeway Safety in Rajasthan) लेने के लिए भी पहुंचते हैं. हर रोज 400 से 500 पर्यटक आते हैं. वहीं, टूरिस्ट सीजन में 1500 अधिक पर्यटक रोप-वे पर आते हैं.

आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए तैयार : रोप-वे संचालक ने आगे बताया कि यह बहुत छोटा रोप-वे है. यहां आपातकालीन स्थिति (Rajasthan Ropeway Operators are on Alert) होने पर लोगों का रेस्क्यू ट्रॉली के सारे किया जाता है. ऐसे में रोप-वे पर संचालित पूरी टीम आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए ट्रेंड रहती है.

पढ़ें : त्रिकूट रोपवे हादसे से ठीक पहले का वीडियो सामने आया

शटडाउन की सूचना कैसे देते हैं ? रोप-वे को शटडाउन करने से पूर्व जिला कलेक्टर को इस से अवगत कराया जाता है. इसलिए साल में एक बार (Udaipur Ropeway Reality Check) मेजर शटडाउन लिया जाता है, जिसमें सभी रोप-वे के सभी पार्ट्स को खोला जाता है और टेस्ट किया जाता है. ऐसे में अगर पार्ट्स खराब पाए जाते हैं तो उन्हें बदल दिया जाता है.

चौमूं में सामोद वीर हनुमान जी का Ropeway : रोप-वे का संचालन राजधानी जयपुर के सामोद के वीर हनुमान जी पर भी होता है. हालांकि, इस रोप-वे पर तत्कालीन जिला कलेक्टर जगरूप सिंह यादव ने सुरक्षा कारणों को लेकर रोक लगा दी थी. शुरू होने के 34 दिन बाद रोप-वे का संचालन बंद हो गया था. तब से लेकर आज तक बंद ही पड़ा है. करीब 6 करोड़ रुपये की लागत से एक निजी कंपनी ने रोप-वे का निर्माण करवाकर संचालन शुरू किया था, लेकिन पिछले 2 साल से रोप-वे बंद पड़ा है. इसके चलते श्रद्धालुओं को 1050 सीढ़ियां चढ़कर ही बालाजी के दर्शन करने पड़ रहे हैं.

Samod Veer Hanuman Ji Samod Ropeway
चौमूं में सामोद वीर हनुमान जी का रोप-वे

पढ़ें : देवघर का रोपवे हादसा : बचाई गई 60 लोगों की जान, जानिए कब क्या हुआ ?

जानकारी के मुताबिक 24 मई 2019 को सामोद के वीर हनुमान मंदिर जाने के लिए अरावली पर्वत श्रृंखला पर रोप-वे का संचालन शुरू हुआ था. इस रोप-वे का निर्माण कार्य 17 जुलाई 2016 में शुरू हुआ था. मंदिर तक जाने के लिए कुल 1050 सीढ़ियां बनी हुई हैं. सीढ़ियों के जरिए मंदिर पहुंचने के लिए 40 से 45 मिनट का समय लगता है, लेकिन रोप-वे के संचालन के बाद महज 5 से 7 मिनट का वक्त ही मंदिर पहुंचने में लग रहा था. रोप-वे के संचालन के समय 6 ट्रॉलियों का उपयोग शुरू किया गया था. प्रत्येक ट्रॉली में सात से आठ व्यक्ति बैठने की क्षमता है, लेकिन 28 जून 2019 को तत्कालीन जिला कलेक्टर जगरूप यादव ने सार्वजनिक निर्माण विभाग की तकनीकी एनओसी के अभाव में और रज्जू अधिनियम 1996 की धारा 7 का उल्लंघन मानकर इस रोप-वे को बंद करने के आदेश दिए थे. तब से लेकर आज तक यह रोप-वे बंद पड़ा है.

पढ़ें : जब रेस्क्यू करने आए कमांडो से बिहार के राकेश ने कहा- पहले पानी लेकर आइए, तब जाएंगे बाहर

हालांकि, यहां आने वाले श्रद्धालु चाहते हैं कि इस रोप-वे का संचालन जल्द ही शुरू किया जाए. उम्मीद भी जताई जा रही है कि जल्द ही (Samod Veer Hanuman Ji Samod Ropeway Condition) रोप-वे का संचलन शुरू होगा. जिला प्रसाशन ने 26 मानकों के निर्णय के आधार पर रोप-वे के संचालन को अनुमति देने का मन भी बना लिया था, लेकिन फिर से वह ठंडे बस्ते में चला गया. इस तरह प्रोजेक्ट्स पर सुरक्षा के लिहाज से ध्यान रखना होता है. समय-समय पर इसका मेंटेनेंस भी किया जाना चाहिए वरना झारखंड जैसे हादसे की पुनरावृति में समय नहीं लगता है.

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