उदयपुर. कोटा जिले में छोटे बच्चों की उपचार के दौरान हुई मौत का सिलसिला थमा ही नहीं था, कि अब उदयपुर में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति देखने को मिल रही है. उदयपुर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराणा भूपाल में रोजाना 3 से 5 बच्चों की मौत हो रही है. हालांकि इस पूरे आंकड़े को अस्पताल प्रशासन की ओर से छुपाया जा रहा है और राज्य सरकार का हवाला देते हुए इस पूरे मामले को मीडिया से दूर रखने की बात कही जा रही है.
लेक सिटी उदयपुर में भी छोटे बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. पिछले 1 महीने की बात करें तो उदयपुर संभाग के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सालय महाराणा भूपाल में प्रतिदिन 3 से 5 बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आया है. इस पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने बाल चिकित्सालय के अधीक्षक डॉक्टर सुभाष गोयल से बात करनी चाही तो उन्होंने राज्य सरकार का हवाला देते हुए कहा, कि ''मुझे सरकार से मीडिया से दूरी बनाने की बात कही गई है. ऐसे में मैं आप लोगों को कुछ भी बताने के लिए असमर्थ हूं''.
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इस पूरे मामले पर आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल लाखन पोसवाल ने अपनी बात रखी और कहा, कि उदयपुर में छोटे बच्चों की मौत का प्रमुख कारण अंतिम समय पर यहां आए बीमार बच्चे हैं. जिन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है. पोसवाल ने कहा, कि हमारे चिकित्सालय में हर सुविधा उपलब्ध है. सुविधाओं और डॉक्टर की कमी से किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है.
आपको बता दें, कि उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय प्रशासन की ओर से मीडिया को पिछले महीनों में हुई छोटे बच्चों की मौत का आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है. कहा जा रहा है, कि राज्य सरकार से इस आंकड़े को जारी करने के लिए मना कर दिया गया है. जबकि इससे पूर्व हर महीने यह आंकड़ा सार्वजनिक किया जाता था. वहीं इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक आंकड़ा भी सामने आया, जिसके अनुसार पिछले 1 साल में आरएनटी मेडिकल कॉलेज में लगभग 1128 बच्चों की मौत हो चुकी है. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस पूरी रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया है.
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अब देखना होगा, उदयपुर संभाग के सबसे बड़े चिकित्सालय महाराणा भूपाल में छोटे बच्चों की मौत को रोकने के लिए राज्य सरकार क्या कारगर रणनीति बनाती है. साथ ही नन्हे बच्चों के बढ़ते मौत के आंकड़े पर सरकार कैसे अंकुश लगा पाती है.