उदयपुर. वल्लभनगर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है. वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र राजस्थान की हॉट सीट में से एक है क्योंकि आप , भाजपा और कांग्रेस के अलावा जनता सेना का भी प्रमुख मुकाबला देखा जा रहा है. एक बार फिर सभी राजनीतिक कयासों पर विराम लगते हुए तीनों पार्टियां मैदान में हैं. भाजपा और कांग्रेस में टिकट के बंटवारे को लेकर गुटबाजी भी शुरू हो चुकी है.
एक बार फिर से कांग्रेस ने शक्तावत परिवार पर विश्वास जताया है. वल्लभनगर के राजनीतिक इतिहास में शक्तावत परिवार का खासा दबदबा देखने को मिला है. यहां पर कांग्रेस के टिकट शक्तावत परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आती है.
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वल्लभनगर में कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाब सिंह शक्तावत को पार्टी ने कई बार टिकट देकर मैदान में उतारा है. इसमें वे 6 बार विधानसभा भी पहुंचे हैं. इतना ही नहीं, गुलाब सिंह शक्तावत गृह राज्यमंत्री के पद पर भी रहे हैं. गुलाब सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र गजेंद्र सिंह शक्तावत को पार्टी ने तीन बार मैदान में उतारा जिसमें उन्हें दो बार जीत मिली. विगत महीनों में कोरोना संक्रमण के कारण उनका निधन हो गया था. ऐसे में इस सीट पर एक बार फिर से उपचुनाव हो रहा है.
हालांकि लंबे समय तक इस सीट के सियासी समीकरणों को समझें तो यहां इस बार देवेंद्र सिंह शक्तावत जो गजेंद्र सिंह शक्तावत के बड़े भाई हैं. वह भी मैदान में थे. लेकिन उन पर पार्टी ने विश्वास न जताते हुए गजेंद्र सिंह शेखावत की पत्नी प्रीति को मैदान में उतारा है. प्रीति शक्तावत के अब तक के राजनैतिक सफर की बात करें तो वह पहली बार चुनावी रण में उतरी हैं. प्रीति शक्तावत के राजनीतिक परिपेक्ष को देखा जाए तो उनकी माता भगवती झाला भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष रही हैं. साथ बड़ी सादड़ी से प्रधान भी रही और फिर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में बड़ी सादड़ी से विधायक का चुनाव भी लड़ा.
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लेकिन 1996 में शादी के बाद से ही वे कांग्रेस पार्टी में सक्रिय भूमिका में नजर आई. हालांकि इस दौरान वे किसी पद पर नहीं रहीं लेकिन पहले अपने ससुर गुलाब सिंह शक्तावत और उसके बाद पति गजेंद्र सिंह के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका में नजर आई थीं. हालांकि प्रीति शक्तावत अभी तक किसी बड़े पद पर नहीं रहीं लेकिन उन्हें शक्तावत परिवार की राजनीतिक विरासत हासिल होने के कारण कांग्रेस ने उन पर विश्वास जताया है.
गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद प्रीति जनता पर कितना विश्वास कायम कर पाती हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. क्योंकि प्रीति शक्तावत के विरोध में भाजपा के अलावा परिवार के अन्य सदस्य और गजेंद्र सिंह शक्तावत के बड़े भाई देवेंद्र सिंह शक्तावत भी विरोध कर रहे हैं. ऐसे में शक्तावत परिवार की आपसी गुटबाजी में कांग्रेस के लिए वल्लभनगर पर कब्जा जमा पाना बड़ी चुनौती होगी.