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मेवाड़ की बेटी ने रचा इतिहास: अंतरराष्ट्रीय पैदल चाल प्रतियोगिता में भावना जाट ने भारत को 61 साल बाद दिलाया कांस्य पदक

राजस्थान की बेटी भावना जाट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. भावना ने विश्व स्तरीय पैदल चाल प्रतियोगिता में देश को 61 साल बाद पदक दिलाया है. भावना और उनकी टीम ने देश के लिए इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक (Bhawna Jat won bronze medal in racewalking) जीता है. भावना राजसमंद में स्थित एक छोटे से गांव काबरा की रहने वाली है.

Bhawna Jat won bronze medal in racewalking
मेवाड़ की बेटी ने फिर रचा इतिहास
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Published : Mar 9, 2022, 4:02 PM IST

उदयपुर. कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे बुलंद हों, तो हर मंजिल हासिल की जा सकती है. राजस्थान के राजसमंद जिले की एक छोटे से गांव की रहने वाली भावना जाट ने अपने मजबूत इरादों के दम पर एक बार फिर से भारत का नाम का रोशन किया है. भावना जाट ने पैदल चाल प्रतियोगिता में 61 वर्ष बाद भारत के लिए पदक जीता (Bhawna Jat helped India won medal after 61 years) है. भावना ने मस्कट के ओमान मे आयोजित 20 किलोमीटर पैदल चाल में अपने साथी खिलाड़ियों रवीना एवं मुनिता प्रजापति के साथ भाग लिया.

इन तीनों भारतीय खिलाड़ियों ने अपने अदम्य खेल का परिचय देते हुए भारत की झोली में कांस्य पदक डाला है. महिला पैदल चाल में यह पदक 61 वर्ष बाद भारत को मिला है. प्रतियोगिता में चीन ने स्वर्ण और ब्राजील ने रजत पदक जीता है. भावना ने बताया कि बेंगलुरु में आयोजित शिविर में रहकर इस प्रतियोगिता की तैयारी की. टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं जीतने के बाद से लगातार भावना दिन रात प्रयास कर रही थी.

पढ़ें: CA Results 2021 : राजस्थान की बेटी राधिका ने लहराया परचम, पूरे देश में बनी टॉपर

भावना राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर रेलमगरा उपखंड क्षेत्र के एक छोटे से गांव काबरा की रहने वाली हैं. भावना ने झारखंड के रांची में आयोजित वॉकिंग प्रतियोगिता जीतकर टोक्यो ओलंपिक में भाग लिया था. बता दें कि भावना ने 20 किलोमीटर वॉकिंग प्रतियोगिता को 1 घंटे 29 मिनट और 54 सेकेंड में पूरा किया था. लेकिन कठिन संघर्ष के बाद भी भावना टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाई थी.

पढ़ें: वसुंधरा राजे ने की राजस्थान की बेटी स्वाति राठौड़ की हौसला अफजाई

किसान है भावना के पिता: भावना के पिता शंकरलाल जाट किसान हैं. भावना के दो भाई हैं. गरीबी से संघर्ष करते हुए भावना यहां तक पहुंची. शुरुआती दिनों में भावना को इतनी सुविधा नहीं मिल पाई जितनी मिलनी चाहिए थी. लेकिन उसके बावजूद भी भावना ने अपने नाम एक नया कीर्तिमान स्थापित किया.

पढ़ें: वर्ल्डकप शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स चैंपियनशिप दो गोल्ड जीतने वाली राजस्थान की बेटी निशा कंवर का पैतृक गांव में स्वागत

100 मीटर दौड़ स्पर्धा से शुरू की शुरुआत: भावना जाट के शारीरिक शिक्षक ने बताया कि 1 दिन गांव के ही विद्यालय में शारीरिक शिक्षा की क्लास चल रही थी. तभी भावना ने शिक्षक हीरालाल से पूछा कि क्या इस 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में वह भाग ले सकती हैं. तब हीरालाल ने भावना को मौका दिया और उसकी प्रतिभा को देखते हुए उन्होंने उसे कई अन्य प्रतियोगिताओं में भी शिरकत करने का मौका दिया. जिसके कारण भावना पहले राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर तक अपना हुनर दिखाने में सफल रही.

इंडियन रेलवे में करती है नौकरी: परिवार की आर्थिक तंगी के बावजूद भी भावना ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. लेकिन अभी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी. वर्तमान में कोलकाता में इंडियन रेलवे में नौकरी करते हुए खेलों में भाग ले रही है. भावना के की इस उपलब्धि पर राजस्थान विधानसभा स्पीकर डॉ सीपी जोशी ने उन्हें बधाई दी है और उज्जवल भविष्य की कामना की है.

उदयपुर. कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे बुलंद हों, तो हर मंजिल हासिल की जा सकती है. राजस्थान के राजसमंद जिले की एक छोटे से गांव की रहने वाली भावना जाट ने अपने मजबूत इरादों के दम पर एक बार फिर से भारत का नाम का रोशन किया है. भावना जाट ने पैदल चाल प्रतियोगिता में 61 वर्ष बाद भारत के लिए पदक जीता (Bhawna Jat helped India won medal after 61 years) है. भावना ने मस्कट के ओमान मे आयोजित 20 किलोमीटर पैदल चाल में अपने साथी खिलाड़ियों रवीना एवं मुनिता प्रजापति के साथ भाग लिया.

इन तीनों भारतीय खिलाड़ियों ने अपने अदम्य खेल का परिचय देते हुए भारत की झोली में कांस्य पदक डाला है. महिला पैदल चाल में यह पदक 61 वर्ष बाद भारत को मिला है. प्रतियोगिता में चीन ने स्वर्ण और ब्राजील ने रजत पदक जीता है. भावना ने बताया कि बेंगलुरु में आयोजित शिविर में रहकर इस प्रतियोगिता की तैयारी की. टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं जीतने के बाद से लगातार भावना दिन रात प्रयास कर रही थी.

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भावना राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर रेलमगरा उपखंड क्षेत्र के एक छोटे से गांव काबरा की रहने वाली हैं. भावना ने झारखंड के रांची में आयोजित वॉकिंग प्रतियोगिता जीतकर टोक्यो ओलंपिक में भाग लिया था. बता दें कि भावना ने 20 किलोमीटर वॉकिंग प्रतियोगिता को 1 घंटे 29 मिनट और 54 सेकेंड में पूरा किया था. लेकिन कठिन संघर्ष के बाद भी भावना टोक्यो ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाई थी.

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किसान है भावना के पिता: भावना के पिता शंकरलाल जाट किसान हैं. भावना के दो भाई हैं. गरीबी से संघर्ष करते हुए भावना यहां तक पहुंची. शुरुआती दिनों में भावना को इतनी सुविधा नहीं मिल पाई जितनी मिलनी चाहिए थी. लेकिन उसके बावजूद भी भावना ने अपने नाम एक नया कीर्तिमान स्थापित किया.

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100 मीटर दौड़ स्पर्धा से शुरू की शुरुआत: भावना जाट के शारीरिक शिक्षक ने बताया कि 1 दिन गांव के ही विद्यालय में शारीरिक शिक्षा की क्लास चल रही थी. तभी भावना ने शिक्षक हीरालाल से पूछा कि क्या इस 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में वह भाग ले सकती हैं. तब हीरालाल ने भावना को मौका दिया और उसकी प्रतिभा को देखते हुए उन्होंने उसे कई अन्य प्रतियोगिताओं में भी शिरकत करने का मौका दिया. जिसके कारण भावना पहले राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर तक अपना हुनर दिखाने में सफल रही.

इंडियन रेलवे में करती है नौकरी: परिवार की आर्थिक तंगी के बावजूद भी भावना ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. लेकिन अभी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होने के कारण उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी. वर्तमान में कोलकाता में इंडियन रेलवे में नौकरी करते हुए खेलों में भाग ले रही है. भावना के की इस उपलब्धि पर राजस्थान विधानसभा स्पीकर डॉ सीपी जोशी ने उन्हें बधाई दी है और उज्जवल भविष्य की कामना की है.

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