उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर में शुक्रवार को जगदीश चौक स्थित मंदिर से भगवान जगन्नाथ (Bhagwan jagannath yatra in udaipur) की विशाल रथयात्रा शुरू हुई. भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों का कुशलक्षेम जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकले तो भक्तों की भारी भीड़ दर्शन को उमड़ पड़ी. हजारों की संख्या में भक्त जगदीश चौक पर एकत्र हुए. दोपहर 3 बजे पारंपरिक अंदाज में जगन्नाथ द्वारे-द्वारे दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले. जगन्नाथपुरी के तर्ज पर निकलने वाली इस दिव्य और भव्य रथ यात्रा में शामिल होने के लिए सुबह से ही भक्तों का रेला जगदीश मंदिर पहुंचने लगा.
दोपहर 3 बजे भगवान जगन्नाथ रजत पालकी में सवार होकर निज मंदिर से बाहर निकले. इसके बाद मंदिर के चारों ओर परिक्रमा के बाद भगवान रजत रथ पर सवार होने के लिए भक्तों के साथ मंदिर के बाहर पहुंचे. इस दौरान भगवान जगदीश के जयकारों से पूरा प्रांगण गूंज उठा. हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं में भगवान के रथ के छूने के लिए होड़ सी मची रही.
चांदी के नए रथ पर निकले भगवान जगन्नाथ: इस बार भगवान जगदीश चांदी के नए रथ पर सवार हुए. भगवान जगन्नाथ के रजत रथ का फूल मालाओं से आकर्षक श्रंगार किया गया था. वहीं श्रद्धालु भगवान को शृंगार के बाद मनमोहक छवि में देखने के लिए आतुर दिखे. इस दौरान भगवान जगदीश की आरती की गई जिसके बाद रजत रथ को हजारों श्रद्धालु खींचते हुए नगर भ्रमण कराने के लिए ले गए. नाचते गाते हुए भक्त भगवान के रथ को खींचते हुए आगे बढ़ रहे थे.
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कोरोना संक्रमण के चलते दो वर्ष बाद निकली यात्रा
कोरोना के 2 साल बाद भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण पर निकले. ऐसे में भक्तों में भी खासा उत्साह नजर आ रहा था. हालांकि कन्हैया लाल हत्याकांड के बाद शहर में चौतरफा तनाव का माहौल देखा जा रहा था. इस बीच इस धार्मिक आयोजन की वजह से जिले में तनाव भी कुछ कम होता दिखाई दिया. वहीं सुरक्षा के लिहाज से चप्पे-चप्पे पर पुलिस जवानों की तैनाती की गई. स्वयं एडीजे दिनेश एमएन ने भी अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के साथ रथ यात्रा के दौरान मोर्चा संभाले रखा. इसके अलावा संवेदनशील इलाकों पर पुलिस की ओर से विशेष जाप्ते को तैनात किया गया है ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे. इस दौरान करीब 8 आईपीएस अधिकारी और 2,000 से अधिक पुलिस के जवान तैनात किए गए.
निकाली गईं 15 झांकियां: इस बार भगवान की इस रथयात्रा में अगवाई अलग-अलग 15 झांकियों के साथ की जा रही है. रथ यात्रा में आयोजन समिति के सदस्य पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए. रथ यात्रा मार्ग पर भगवान का स्वागत भक्तों ने पुष्प वर्षा के साथ किया. वहीं भगवान के भजनों पर भक्त झूमते नजर आए. भगवान जगन्नाथ जब अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए उनके घर तक पहुंचे तो श्रद्धालुओं ने भी पलक पावड़े बिछा कर भव्य स्वागत किया. इस दौरान पुरी रथ यात्रा मार्ग पर जय कन्हैया लाल के जयकारे गूंजते रहे.
इस मार्ग से निकल रही रथ यात्रा...
रथयात्रा जगदीश चौक से प्रारंभ हुई जो कि शहर के घंटाघर, धान मंडी, सूरजपोल, रंगनिवास के साथ ही अन्य स्थानों से होती हुई वापस जगदीश मंदिर पहुंचेगी.
इस बार नए रथ पर सवार हुए भगवान जगदीश.
पिछले 25 सालों से भगवान जगदीश का व्रत में सवार होकर भ्रमण कराने की परंपरा निभाई जा रही है.इस बार रथयात्रा के लिए विशेष रथ का निर्माण किया गया.इस दिव्य रथ को बनाने में करीब 2 साल का वक्त लगा.कोरोना के कालखंड में भी इशरत बनाने का काम जारी रहा 28 खंडों को मिलाकर रक्त का निर्माण किया गया.इसमें करीब 90 किलो चांदी का प्रयोग किया गया. रत की लंबाई 8 फिट और ऊंचाई 21 फीट रखी गई.
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400 साल पुरानी परंपरा...
भगवान जगदीश की रथ यात्रा की परंपरा करीब 400 वर्ष पुरानी है. मंदिर स्थापना के साथ शुरू इस रथयात्रा की परंपरा आज भी बखूबी जारी है. पहले जहां मंदिर परिसर में ही भगवान की रथ यात्रा का आयोजन होता था लेकिन दो दशकों से रथ यात्रा को भव्य स्वरूप दिया गया. ऐसे में भगवान जगदीश अपने भक्तों का कुशलक्षेम जानने नगर भ्रमण पर निकलने लगे. कोरोना के 2 साल में यह यात्रा निज मंदिर में ही निकाली गई लेकिन हालात सुधरने के साथ जब शुक्रवार को रथ यात्रा निकली तो शाही ठाट बाट के साथ इस यात्रा का आयोजन किया गया.
गोविंद देवजी मंदिर परिसर में मनाया भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव
जयपुर. आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को देशभर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जा रही है. राजधानी जयपुर में बड़े आयोजन की बजाए आराध्य गोविंद देवजी मंदिर परिसर में ही रथयात्रा महोत्सव मनाया गया. जहां गौर गोविंद के विग्रह को चांदी के रथ में विराजमान कर गर्भ गृह के पश्चिम द्वार से ठाकुरजी को चांदी के रथ में विराजमान करा निज मंदिर की परिक्रमा करवाई गई. शहर आराध्य गोविंद देवजी मंदिर प्रांगण में मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी रथयात्रा महोत्सव मनाया गया. यहां बड़ी संख्या में भक्तों का दर्शन के लिए तांता लगा रहा. वहीं माध्व गौड़ीय संप्रदाय के वैष्णव जन हरिनाम संकीर्तन करते रथ यात्रा के साथ चलते हुए दिखे.
जानकारी के अनुसार गौर गोविंद का विग्रह अष्ट धातु का है जो गोविंद देवजी के दायीं ओर प्रतिष्ठित है. ये विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के नीलाचंल से अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य रूप गोस्वामी के पास भिजवाया था. वहीं पानों का दरीबा स्थित आचार्य पीठ सरस निकुंज पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सानिध्य में रथ महोत्सव मनाया गया. शृंगार झांकी के बाद में एक घंटे राजभोग झांकी तक भक्तों को रथयात्रा के दर्शन कराए गए.
उधर, जगतपुरा स्थित कृष्ण बलराम मंदिर, हरे कृष्णा मूवमेंट जगतपुरा की ओर से शाम चार बजे निकलने वाली जगन्नाथ रथयात्रा नहीं निकाली गई. एमआईरोड स्थित खासा कोठी सर्किल से शुरू होकर शहीद स्मारक के रास्ते निकलने वाली यात्रा को धारा 144 लागू होने से यात्रा को रद्द कर दिया गया है. शाम को मंदिर में पारंपरिक रथ यात्रा और पूजा-अर्चना की गई.
कन्हैया लाल की हत्या के बाद प्रदेश की गहलोत सरकार ने कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों को उदयपुर भेजा है. एडीजी श्रीनिवास जगा को भी सरकार ने उदयपुर में तैनात किया है. शुक्रवार को ईटीवी भारत से बातचीत में श्रीनिवास ने कहा कि फिलहाल स्थिति सामान्य है. हर्षोल्लास के साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है. शांतिपूर्वक जगन्नाथ यात्रा शहर भर में निकाली जा रही है. लोगों के भरपूर सहयोग और पुलिस के इंतजाम से आयोजन सफल बनाया जा रहा है.