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श्रीगंगानगर: करोड़ों की लागत से बनी गंगनहर में उगे झाड़-झंखाड़ - किसानों को पानी

श्रीगंगानगर की जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगनहर को करोड़ों रुपए की लागत से पक्का किया गया था. लेकिन देखरेख के अभाव के चलते इसमें झाड़-झंखाड़ उग गए हैं. साथ ही तलहटी में मिट्टी जम जाने से पानी का प्रवाह भी कम हो गया है और जलस्तर भी नीचे चला गया है, जिससे किसानों को उचित पानी नहीं मिल पा रहा है.

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करोड़ों की लागत से बनी गंगनहर में उगे झाड़-झंखाड़
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Published : Jun 8, 2020, 11:50 AM IST

श्रीगंगानगर. करीब पांच साल पहले जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगनहर को करोड़ों रुपए की लागत से पक्का करने का कार्य पूरा हुआ. गंगनहर को सिंचाई विभाग द्वारा पक्का करने के बाद जिले की किसानों को उम्मीद बंधी थी कि उनके हिस्से का उन्हें पूरा पानी मिलना शुरू हो जाएगा. लेकिन सिंचाई विभाग की नाकामी के चलते किसान अब भी परेशान नजर आ रहे हैं.

करोड़ों की लागत से बनी गंगनहर में उगे झाड़-झंखाड़

गंगनहर में पानी चलने की निर्धारित क्षमता करीब 3000 क्यूसेक है. किसानों को उनके हिस्से का पानी पूरा नहीं मिलने का एक बड़ा कारण पंजाब में गंगनहर से पानी चोरी होना भी है. करोड़ों की लागत से नहर को पक्का करने के बाद पिछले 5 सालों में गंगनहर की सफाई नहीं होने से उनमें झाड़ झंखाड़ उगे गए हैं.

वहीं नहर की सफाई नहीं होने से तलहटी में मिट्टी की परत ने पानी की मात्रा कम कर दी है. नहर की तलहटी में मिट्टी जमने से बेड लेवल ऊपर आ गया है. जिसके चलते पानी की मात्रा ज्यादा होने पर नहर टूटने का खतरा बना रहता है. सिंचाई विभाग द्वारा नहर की सफाई नहीं करवाने से नहर में बड़े आकार में पेड़-पौधे भी उग गए हैं.

गंगनहर में जिले के किसानों का निर्धारित 3000 क्यूसेक पानी नहीं मिलने से अंतिम छोर के किसानों की फसल पानी के अभाव में खराब होती है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही ही कहेंगे कि हर साल नहर की साफ-सफाई के लिए करोड़ों रुपए का बजट मिलने के बाद भी गंगनहर की सफाई नहीं करवाई जा रही है.

किसानों को उनके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिलने से किसान अक्सर धरने प्रदर्शन करते रहते हैं, लेकिन सिंचाई विभाग अपनी जिम्मेदारियों से बचता रहता है. गंगनहर में निर्धारित मात्रा से पानी कम चलने के कारण यहां के किसानों को उनके हिस्से का पानी टेल पर (अंतिम छोर पर) नहीं मिल पाता है. वहीं पानी अधिक होने के कारण पंजाब के हुसेनीवाला बॉर्डर से पाकिस्तान की तरफ छोड़ना पड़ता है.

यह भी पढ़ें- EXCLUSIVE: राज्यसभा चुनाव में हमारे पास खोने को कुछ नहीं... लेकिन पाने को बहुत कुछ है- सतीश पूनिया

ऐसे में डैम में पानी पूरा होने के बावजूद भी अगर किसानों को निर्धारित मात्रा में उनके हिस्से का पानी नहीं दिया जाए, तो किसानों की बर्बादी होना स्वाभविक है. सिंचाई विभाग के अधिकारी हर बार नहर सफाई की बात कहते हुए किसानों को आश्वशन तो देते हैं, लेकिन नहर की सफाई नहीं करवाई जाती है. ऐसे में किसानों को उनकी फसलों में पानी नहीं मिलने से ना केवल फसल खराब होती है बल्कि उन्हें भारी नुकसान भी होता है.

श्रीगंगानगर. करीब पांच साल पहले जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगनहर को करोड़ों रुपए की लागत से पक्का करने का कार्य पूरा हुआ. गंगनहर को सिंचाई विभाग द्वारा पक्का करने के बाद जिले की किसानों को उम्मीद बंधी थी कि उनके हिस्से का उन्हें पूरा पानी मिलना शुरू हो जाएगा. लेकिन सिंचाई विभाग की नाकामी के चलते किसान अब भी परेशान नजर आ रहे हैं.

करोड़ों की लागत से बनी गंगनहर में उगे झाड़-झंखाड़

गंगनहर में पानी चलने की निर्धारित क्षमता करीब 3000 क्यूसेक है. किसानों को उनके हिस्से का पानी पूरा नहीं मिलने का एक बड़ा कारण पंजाब में गंगनहर से पानी चोरी होना भी है. करोड़ों की लागत से नहर को पक्का करने के बाद पिछले 5 सालों में गंगनहर की सफाई नहीं होने से उनमें झाड़ झंखाड़ उगे गए हैं.

वहीं नहर की सफाई नहीं होने से तलहटी में मिट्टी की परत ने पानी की मात्रा कम कर दी है. नहर की तलहटी में मिट्टी जमने से बेड लेवल ऊपर आ गया है. जिसके चलते पानी की मात्रा ज्यादा होने पर नहर टूटने का खतरा बना रहता है. सिंचाई विभाग द्वारा नहर की सफाई नहीं करवाने से नहर में बड़े आकार में पेड़-पौधे भी उग गए हैं.

गंगनहर में जिले के किसानों का निर्धारित 3000 क्यूसेक पानी नहीं मिलने से अंतिम छोर के किसानों की फसल पानी के अभाव में खराब होती है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही ही कहेंगे कि हर साल नहर की साफ-सफाई के लिए करोड़ों रुपए का बजट मिलने के बाद भी गंगनहर की सफाई नहीं करवाई जा रही है.

किसानों को उनके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिलने से किसान अक्सर धरने प्रदर्शन करते रहते हैं, लेकिन सिंचाई विभाग अपनी जिम्मेदारियों से बचता रहता है. गंगनहर में निर्धारित मात्रा से पानी कम चलने के कारण यहां के किसानों को उनके हिस्से का पानी टेल पर (अंतिम छोर पर) नहीं मिल पाता है. वहीं पानी अधिक होने के कारण पंजाब के हुसेनीवाला बॉर्डर से पाकिस्तान की तरफ छोड़ना पड़ता है.

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ऐसे में डैम में पानी पूरा होने के बावजूद भी अगर किसानों को निर्धारित मात्रा में उनके हिस्से का पानी नहीं दिया जाए, तो किसानों की बर्बादी होना स्वाभविक है. सिंचाई विभाग के अधिकारी हर बार नहर सफाई की बात कहते हुए किसानों को आश्वशन तो देते हैं, लेकिन नहर की सफाई नहीं करवाई जाती है. ऐसे में किसानों को उनकी फसलों में पानी नहीं मिलने से ना केवल फसल खराब होती है बल्कि उन्हें भारी नुकसान भी होता है.

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