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श्रीगंगानगर: स्थाई लोक अदालत ने बैंक के खिलाफ सुनाया फैसला - श्रीगंगानगर स्थाई लोक अदालत

श्रीगंगानगर की स्थाई लोक अदालत ने एक्सिस बैंक के खिलाफ एक मामले में फैसला सुनाया है. दरअसल परिवादी ने सोने का कड़ा गिरवी रखकर एक्सिस बैंक से ढाई लाख रुपए का लोन लिया था. लेकिन बैंक ने बिना सूचना के कड़ा नीलाम कर दिया था. मामले पर अदालत ने बैंक की पूरी प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए पीड़ित को राहत दी.

Sriganganagar Permanent Lok Adalat, श्रीगंगानगर न्यूज
स्थाई लोक अदालत ने बैंक के खिलाफ सुनाया फैसला
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Published : Jan 4, 2020, 8:01 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले की स्थाई लोक अदालत ने एक्सिस बैंक के खिलाफ एक मामले में फैसला सुनाया है. जिसमें अदालत ने बैंक को 1 लाख 35 हजार 305 रुपए पीड़ित को भुगतान करने के आदेश दिए हैं. अगर बैंक ने 2 माह में भुगतान नहीं किया तो बैंक को 10 प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ेगा.

स्थाई लोक अदालत ने बैंक के खिलाफ सुनाया फैसला

जानकारी के अनुसार इंदिरा कॉलोनी निवासी परिवादी दीपक मेहता ने 19 मार्च 2019 को परिवाद अधिवक्ता के माध्यम से स्थाई लोक अदालत में पेश किया था. जिस पर जिला स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी नरेश चुघ, सदस्य जेपी गौतम और अधिवक्ता अजय मेहता की पीठ ने निर्णय सुनाया है.

बता दें कि पीड़ित परिवादी ने 150.8 ग्राम का सोने का कड़ा गिरवी रखकर एक्सिस बैंक से ढाई लाख रुपए का लोन लिया था. लेकिन बैंक ने बिना सूचना दिए ही कड़ा नीलाम कर दिया. जिस पर पीड़ित परिवादी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. एक साल तक चले मामले पर अदालत ने बैंक की पूरी प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए पीड़ित को राहत दी.

पढ़ें- दुष्कर्म और देह व्यापार के मामले में पति-पत्नी सहित तीन को मिली आजीवन कारावास की सजा

अदालत ने अपने निर्णय में बैंक को नीलामी के बाद बढ़े 98305 रुपए, 25 हजार रुपए आर्थिक नुकसान पेटे,10हजार रुपए मानसिक पीड़ा पेटे और 2500 रुपए परिवाद शुल्क के परिवादी को भुगतान किए जाने के आदेश दिए हैं. न्यायालय की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि परिवादी दीपक मेहता ने जिला मुख्यालय पर जवाहर नगर एरिया में एक्सिस बैंक से 27 फरवरी 2017 को अपना सोने का 150.8 ग्राम वजनी कड़ा गिरवी रखा था.

श्रीगंगानगर. जिले की स्थाई लोक अदालत ने एक्सिस बैंक के खिलाफ एक मामले में फैसला सुनाया है. जिसमें अदालत ने बैंक को 1 लाख 35 हजार 305 रुपए पीड़ित को भुगतान करने के आदेश दिए हैं. अगर बैंक ने 2 माह में भुगतान नहीं किया तो बैंक को 10 प्रतिशत ब्याज भी देना पड़ेगा.

स्थाई लोक अदालत ने बैंक के खिलाफ सुनाया फैसला

जानकारी के अनुसार इंदिरा कॉलोनी निवासी परिवादी दीपक मेहता ने 19 मार्च 2019 को परिवाद अधिवक्ता के माध्यम से स्थाई लोक अदालत में पेश किया था. जिस पर जिला स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी नरेश चुघ, सदस्य जेपी गौतम और अधिवक्ता अजय मेहता की पीठ ने निर्णय सुनाया है.

बता दें कि पीड़ित परिवादी ने 150.8 ग्राम का सोने का कड़ा गिरवी रखकर एक्सिस बैंक से ढाई लाख रुपए का लोन लिया था. लेकिन बैंक ने बिना सूचना दिए ही कड़ा नीलाम कर दिया. जिस पर पीड़ित परिवादी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. एक साल तक चले मामले पर अदालत ने बैंक की पूरी प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए पीड़ित को राहत दी.

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अदालत ने अपने निर्णय में बैंक को नीलामी के बाद बढ़े 98305 रुपए, 25 हजार रुपए आर्थिक नुकसान पेटे,10हजार रुपए मानसिक पीड़ा पेटे और 2500 रुपए परिवाद शुल्क के परिवादी को भुगतान किए जाने के आदेश दिए हैं. न्यायालय की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि परिवादी दीपक मेहता ने जिला मुख्यालय पर जवाहर नगर एरिया में एक्सिस बैंक से 27 फरवरी 2017 को अपना सोने का 150.8 ग्राम वजनी कड़ा गिरवी रखा था.

Intro:श्रीगंगानगर : जिस बैंक से व्यक्ति ने अपना 150.8 ग्राम सोने का कड़ा गिरवी रखकर ढाई लाख रुपए लोन लिया था। उसी बैंक ने बिना परिवादी को सूचित किए यह कड़ा नीलाम कर दिया। इससे बैंक की रिकवरी तो हो गई,लेकिन पीड़ित ने अदालत की शरण में जाकर न्याय की मांग की।एक साल तक चले इस मामले में अब जिला स्थाई लोक अदालत ने निर्णय सुनाया है। इसमें बैंक की पूरी प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए पीड़ित को राहत दी है।अदालत ने बैंक को 1लाख 35हजार 305 रुपए का पीडित को भुगतान करने के आदेश दिए हैं।अगर बैंक ने दो माह में उक्त भुगतान पीड़ित को नहीं किया तो 10% ब्याज भी देना पड़ेगा। यह निर्णय जिला स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी नरेश चुघ,सदस्य जेपी गौतम और अधिवक्ता अजय मेहता की पीठ ने सुनाया है। परिवादी इंदिरा कॉलोनी निवासी दीपक मेहता ने 19 मार्च 2019 को यह परिवाद अधिवक्ता के माध्यम से स्थाई लोक अदालत में पेश किया था।




Body:अदालत ने अपने निर्णय में बैंक को नीलामी के बाद बढ़े 98305रुपए,25हजार रुपए आर्थिक नुकसान पेटे,10हजार रुपए मानसिक पीड़ा पेटे और 2500 रुपए परिवाद शुल्क के परिवादी को भुगतान किए जाने के आदेश दिए हैं।न्यायालय की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि परिवादी दीपक मेहता ने जिला मुख्यालय पर जवाहर नगर एरिया में एक्सिस बैंक से 27 फरवरी 2017 को अपना सोने का 150.8 ग्राम वजनी कड़ा गिरवी रखा।

इसके बदले बैंक से 2 लाख 61 हजार रुपए का लोन लिया। 29 अक्टूबर 2018 को बैंक ने सोने के कड़े को नीलाम कर अपनी मूल रकम और ब्याज किस्त की वसूली कर ली। इस पर परिवादी ने जिला स्थाई लोक अदालत में 19 मार्च 2019 को परिवाद पेश किया।इसमें परिवादी ने अदालत को बताया कि उसके सोने के कड़े की बाजार कीमत करीब साडे पांच लाख रुपए थी। इसे बैंक में गिरवी रखकर 2 लाख 61हजार रुपए का लोन लिया गया था। नीलामी की अवधि तक परिवादी की तरफ बैंक का बकाया 2 लाख 66हजार रुपए ही था। बैंक ने परिवादी को बिना सूचित किए ही उसके सोने के कड़े को 3 लाख 75हजार 950 में नीलाम कर अपना बकाया वसूल लिया और नीलामी से प्राप्त रकम में से वसूली के बाद 98304 अधिक थे जो परिवादी को नही लौटाये।


परिवाद में जिला स्थाई लोक अदालत के सामने तक रखें कि बैंक ने दीपक मेहता को सोने का कड़ा नीलाम करने से पहले 3 बार नोटिस भेजे इसमें 6 सितंबर 2018 को 17 सितंबर 27 सितंबर को नोटिस से सूचित किया गया कि 7 अक्टूबर 2018 को सोने का कड़ा नीलामी की जाएगी। लेकिन दीपक मेहता ने बैंक की ओर से दिए गए तर्कों के जवाब में बताया कि बैंक की ओर से उसको कोई नोटिस नहीं मिला। जो पत्र बैंक ने अदालत में पेश किए उसमें पता ही गलत लिखा था।दूसरा बैंक ने जयपुर के स्थानीय समाचार पत्र में नीलामी का नोटिस छपाया जबकि नीलामी श्रीगंगानगर में होनी थी। उस समाचार पत्र का जिले में सरकुलेशन ही नहीं है। तीसरा पीड़ित जनवरी 2018 में बकाया किस्तों के रुपए लेकर जमा करवाने गया था लेकिन सर्वर बंद होने के कारण कुछ नहीं बताया और फरवरी में गया तो सूचना दी कि कड़ा नीलाम कर दिया गया है।

बाईट : अजय मेहता,अधिवक्ता।




Conclusion:बैंक द्वारा सोने के कड़े को नीलाम करने पर अदालत ने बैंक के खिलाफ सुनाया फैसला।
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