श्रीगंगानगर. एक तरफ देश में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल कम करके ऑर्गेनिक को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है. वहीं, कृषक भारती को-ऑपरेटिव के अधिकारी देश में जैविक खेती से अन्न की आपूर्ति नहीं होने की बात कहते हुए अधिक से अधिक पेस्टिसाइड बेचने पर जोर दे रहे हैं.
कृभकों के अधिकारियों की मानें तो देश में 1-2 फीसदी किसान ही जैविक खेती अपना सकते हैं. हालांकि अधिकारी कहते हैं कि किसानों के मन में ऑर्गेनिक खेती करने का ख्याल जरूर है, लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है. मतलब साफ की पेस्टिसाइड बेचने के लिए अधिकारी ही किसानों को ऑर्गेनिक खेती पर जोर देने की बजाय डीएपी और यूरिया जैसी पेस्टिसाइड खाद का इस्तेमाल अधिक करने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि किसान ऑर्गेनिक खेती की तरफ कैसे बढ़ पाएगा.
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जिले में एक दिवसीय सहकार संगोष्ठी में श्रीगंगानगर और चूरू जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों के व्यवस्थापकों को प्रशिक्षण देते हुए कृभको अधिकारियों ने बताया कि किसानों को इनपुट्स के बारे में जानकारी कैसे और कब दी जाए. समितियों के व्यवस्थापकों को संपूर्ण रूप से जानकारी देते हुए बताया गया कि किसान सहकारी समितियों के व्यवस्थापक से सीधा संपर्क करते हैं. ऐसे में व्यवस्थापकों को ट्रेनिंग देना अति आवश्यक है, जिससे व्यवस्थापक किसान को जानकारी दे सके.
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उन्होंने बताया कि किसान को समय पर खाद वितरित किया जा सके. इसके लिए पोस मशीन के द्वारा खाद वितरण की प्रक्रिया अपनाई जा रही है. भारत सरकार की नीति के तहत किसान को खाद लेने में किसी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े. उसे देखते हुए कृभको ने संगोष्ठी का आयोजन किया, जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके. उन्होंने बताया कि पोस मशीन से किसानों को खाद वितरण किया जाने लगा है. कृभको के अधिकारियों की मानें तो देश में 250 लाख मिलियन टन की जरूरत को जैविक खेती से पूरा नहीं किया जा सकता है. ऐसे में पेस्टीसाइड खरीदना जरूरी है, जिससे ज्यादा उत्पादन हो सके.