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Special: 'घर में बची हुई दवाइयां कचरे में नहीं फेंके...हमें दें' - Sriganganagar District Hospital

अगर आपके घर में दवाइयां बच जाए तो वो महंगी दवाइयां कचरे में नहीं फेंके, हमें दे. एक ऐसी ही अनूठी पहल श्रीगंगानगर जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट की एक टीम ने चलाई है. इस पहल से मरीजों को काफी राहत मिल रही है. साथ ही विभाग का बजट भी बचाया जा रहा है.

Initiative of Sriganganagar District Hospital,  Sriganganagar District Hospital
दवाइयां कचरे में नहीं फेंके हमें दें
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Published : Mar 29, 2021, 10:07 PM IST

श्रीगंगानगर. कुछ दवाइयां एक्सपायर होने के बाद खराब हो जाती है, लेकिन कुछ दवाइयां बीमारी ठीक होने के बाद बच जाती हैं. ये दवाइयां आपके ना सही लेकिन किसी और के काम जरूर आ सकती है. अगर आपके घर में दवाइयां बच जाए तो वो महंगी दवाइयां कचरे में नहीं फेंके, हमें दे. एक ऐसी ही अनूठी पहल श्रीगंगानगर जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट ने चलाई है.

दवाइयां कचरे में नहीं फेंके हमें दें

अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए आने वाले गरीब और जरूरतमंद रोगियों के लिए राज्य सरकार की ओर से निशुल्क दवा योजना चलाई गई है. सरकार की यह योजना काफी कारगर साबित हो रही है. वहीं, श्रीगंगानगर जिला अस्पताल ने एक ऐसी अनूठी पहल की है, जिसके तहत रोगियों के पास से बची हुई दवाइयां वापस लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाई जा रही है.

पढ़ें- SPECIAL : राजस्थान में फल-फूल रही हैं फर्जी संस्थाएं...सरकार निगहबानी करे, मेहरबानी नहीं

बच रहा विभाग का बजट

फार्मासिस्ट की इस पहल से ना केवल राज्य सरकार के मेडिकल विभाग का बजट बचाया जा रहा है, बल्कि जरूरत की दवाइयां कचरे में फेंकने से बचाई जा रही है. जिला अस्पताल और उप स्वास्थ्य केंद्रों पर मेडिसिन बैंक बनाए गए हैं. जब कोई बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है और उसके पास दवाइयां बच जाती है तो वो उसे इस बैंक में डाल देता है.

बता दें, जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट टीम ने मिलकर जिला अस्पताल पीएमओ के निर्देश पर यह अनूठी पहल शुरू की है. फार्मासिस्ट विजय शर्मा का कहना है कि ऐसे गरीब और जरूरतमंद मरीज जो रुपयों के अभाव में अपनी दवाई नहीं खरीद पाते हैं, उनके लिए यह पहल शुरू की गई है. इस पहल के तहत दवाइयों को स्टोर किया जा रहा है. उनका कहना है कि अस्पताल में आने वाले लोगों में जागरूकता भी आ रही है.

अस्पताल में आए विकास ने बताया कि वह कुछ दिन पहले बीमार हो गया था और जिला अस्पताल में चेकअप करवाने आया. डॉक्टर ने 15 दिन की दवाई लिखी, लेकिन मैं 7 दिन में ही ठीक हो गया. इसके बाद मैंने अपनी बची हुई दवाई मेडिसिन बैंक में डाल दिया. इससे दवाइयां किसी और के काम आ सकेगी.

गरीब को मिलेगा फायदा

महिला रोगी ने बताया कि दवाइ इस्तेमाल करने के बाद अगर बच जाती है तो उसको जिला अस्पताल में बने मेडिसिन बैंक में डाल दें, ताकि यह किसी और जरूरतमंद गरीब रोगी के काम आ सकेगा. उन्होंने कहा कि कचरे में डालने से दवाइयां वेस्ट हो जाएगी, लेकिन इससे किसी गरीब को फायदा मिलेगा.

पढ़ें- SPECIAL : रोडवेज कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर नहीं मिल रही जमा पूंजी...ईटीवी भारत पर छलका दर्द

फार्मासिस्ट गुलशन छाबड़ा का कहना है कि कोई भी मरीज जब अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आता है तो उनको डॉक्टरों की ओर से 5 या 7 दिन की दवाई लिखी जाती है, लेकिन मरीज तीसरे दिन ठीक हो जाता है. मरीज फार्मासिस्ट की ओर से दिए गए दिये गए निर्देश को अच्छे से पालन करता है और रेगुलर रूटीन में वह 3 दिन दवाई लेता है तो ठीक हो जाता है. ऐसे में वह ठीक होने के बाद बची हुई दवाई को कचरे में डालता है. महंगी दवाइयों को कचरे में डालने से रोकने के लिए जिला अस्पताल की ओर से 'मेडिसिन बैंक' मुहिम चलाई गई है.

दवाई को एक्सपायरी होने से बचा सकते हैं

फार्मासिस्ट दीपिका गुप्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में राज्य सरकार का काफी बजट खर्च होता है. ऐसे में रोगियों को लाभ मिलता रहे, इसके लिए मेडिसिन बैंक में बची हुई दवाइयों को डालकर उसको एक्सपायरी होने से बचा सकते हैं.

जिला अस्पताल का विभाग मेडिसिन बैंक को हर हफ्ते खाली कर सभी दवाइयां चेक कर फिर से दूसरे मरीजों को दे देते हैं ताकि रोगी को लाभ मिल सके. ऐसे में अनूठी पहल मरीजों को काफी राहत दे रही है.

श्रीगंगानगर. कुछ दवाइयां एक्सपायर होने के बाद खराब हो जाती है, लेकिन कुछ दवाइयां बीमारी ठीक होने के बाद बच जाती हैं. ये दवाइयां आपके ना सही लेकिन किसी और के काम जरूर आ सकती है. अगर आपके घर में दवाइयां बच जाए तो वो महंगी दवाइयां कचरे में नहीं फेंके, हमें दे. एक ऐसी ही अनूठी पहल श्रीगंगानगर जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट ने चलाई है.

दवाइयां कचरे में नहीं फेंके हमें दें

अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए आने वाले गरीब और जरूरतमंद रोगियों के लिए राज्य सरकार की ओर से निशुल्क दवा योजना चलाई गई है. सरकार की यह योजना काफी कारगर साबित हो रही है. वहीं, श्रीगंगानगर जिला अस्पताल ने एक ऐसी अनूठी पहल की है, जिसके तहत रोगियों के पास से बची हुई दवाइयां वापस लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाई जा रही है.

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बच रहा विभाग का बजट

फार्मासिस्ट की इस पहल से ना केवल राज्य सरकार के मेडिकल विभाग का बजट बचाया जा रहा है, बल्कि जरूरत की दवाइयां कचरे में फेंकने से बचाई जा रही है. जिला अस्पताल और उप स्वास्थ्य केंद्रों पर मेडिसिन बैंक बनाए गए हैं. जब कोई बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है और उसके पास दवाइयां बच जाती है तो वो उसे इस बैंक में डाल देता है.

बता दें, जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट टीम ने मिलकर जिला अस्पताल पीएमओ के निर्देश पर यह अनूठी पहल शुरू की है. फार्मासिस्ट विजय शर्मा का कहना है कि ऐसे गरीब और जरूरतमंद मरीज जो रुपयों के अभाव में अपनी दवाई नहीं खरीद पाते हैं, उनके लिए यह पहल शुरू की गई है. इस पहल के तहत दवाइयों को स्टोर किया जा रहा है. उनका कहना है कि अस्पताल में आने वाले लोगों में जागरूकता भी आ रही है.

अस्पताल में आए विकास ने बताया कि वह कुछ दिन पहले बीमार हो गया था और जिला अस्पताल में चेकअप करवाने आया. डॉक्टर ने 15 दिन की दवाई लिखी, लेकिन मैं 7 दिन में ही ठीक हो गया. इसके बाद मैंने अपनी बची हुई दवाई मेडिसिन बैंक में डाल दिया. इससे दवाइयां किसी और के काम आ सकेगी.

गरीब को मिलेगा फायदा

महिला रोगी ने बताया कि दवाइ इस्तेमाल करने के बाद अगर बच जाती है तो उसको जिला अस्पताल में बने मेडिसिन बैंक में डाल दें, ताकि यह किसी और जरूरतमंद गरीब रोगी के काम आ सकेगा. उन्होंने कहा कि कचरे में डालने से दवाइयां वेस्ट हो जाएगी, लेकिन इससे किसी गरीब को फायदा मिलेगा.

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फार्मासिस्ट गुलशन छाबड़ा का कहना है कि कोई भी मरीज जब अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आता है तो उनको डॉक्टरों की ओर से 5 या 7 दिन की दवाई लिखी जाती है, लेकिन मरीज तीसरे दिन ठीक हो जाता है. मरीज फार्मासिस्ट की ओर से दिए गए दिये गए निर्देश को अच्छे से पालन करता है और रेगुलर रूटीन में वह 3 दिन दवाई लेता है तो ठीक हो जाता है. ऐसे में वह ठीक होने के बाद बची हुई दवाई को कचरे में डालता है. महंगी दवाइयों को कचरे में डालने से रोकने के लिए जिला अस्पताल की ओर से 'मेडिसिन बैंक' मुहिम चलाई गई है.

दवाई को एक्सपायरी होने से बचा सकते हैं

फार्मासिस्ट दीपिका गुप्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में राज्य सरकार का काफी बजट खर्च होता है. ऐसे में रोगियों को लाभ मिलता रहे, इसके लिए मेडिसिन बैंक में बची हुई दवाइयों को डालकर उसको एक्सपायरी होने से बचा सकते हैं.

जिला अस्पताल का विभाग मेडिसिन बैंक को हर हफ्ते खाली कर सभी दवाइयां चेक कर फिर से दूसरे मरीजों को दे देते हैं ताकि रोगी को लाभ मिल सके. ऐसे में अनूठी पहल मरीजों को काफी राहत दे रही है.

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