श्रीगंगानगर. जिप्सम की परत हटाने के लिए परमिट जारी करने की एवज में 50000 रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किए गए खनिज अभियंता व कनिष्ठ सहायक को न्यायालय ने 22 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए हैं. डीएसपी वेद प्रकाश लखोटिया ने बताया कि एसीबी ने गुरुवार रात को जरनैल सिंह की शिकायत पर छगनलाल व हरीनिवास को 20000 रुपए की रिश्वत लेते हुए उनके कार्यालय में गिरफ्तार किया था.
देर रात तक चली कार्रवाई के बाद शुक्रवार को एसीबी टीम ने पकड़े गए रिश्वतखोर खनिज विभाग के दोनों अधिकारियों को भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में पेश किया गया. जहां मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश दिए हैं. वहीं दोनों की जमानत प्रार्थना पत्र पर न्यायालय में कल सुनवाई की जाएगी.
सुदामा नगर में सहायक अभियंता कार्यालय में एसीबी ने गुरुवार रात को कार्रवाई की थी. खनिज विभाग के सहायक अभियंता जोधपुर में भगत की कोठी एरिया में पीली टंकी के पास हाल रिद्धि सिद्धि कॉलोनी किराएदार छगनलाल और कनिष्ठ सहायक हरि नारायण महेंद्रगढ़ जिले के सुंदरा गांव हाल 3E छोटी नजदीक 100 फुट रोड के खिलाफ एसीबी कार्यालय में रिशवत मांगने की शिकायत मिली थी.
शिकायतकर्ता ने बताया कि खनिज विभाग के सहायक अभियंता उसकी फाइल पास करने के बदले 50000 रुपए की रिश्वत मांग रहे हैं. शिकायत का गोपनीय तरीके से तत्काल सत्यापन करवाया गया. इसमें आरोपी कनिष्ठ सहायक अभियंता छगनलाल ने कनिष्ठ सहायक हरिनिवास से 30000 में सौदा तय करने को कहा. सत्यापन के दौरान परिवादी से 10000 ले लिए. इसके बाद एसीबी टीम ने आरोपियों को ट्रैप करने की योजना बनाई.
पढ़ें- किसान को जिप्सम पट्टा जारी करने के लिए अधिकारी मांग रहे थे रिश्वत, एसीबी ने दबोचा
अधिकारियों ने शेष राशि 20000 देने के लिए नोटों पर रसायन लगाकर परिवादी को भेजा. इशारा मिलते ही एसीबी टीम ने आरोपियों के कार्यालय में छापा मारकर कनिष्ठ सहायक और सहायक को गिरफ्तार कर लिया. किसान ने 28 सितंबर 2018 को खेत से जिप्सम निकालने के लिए परमिट आवेदन किया था. विभाग के कर्मचारियों ने उसे इस फाइल के दस्तावेज पूरे करवाने को 2 साल में 20 से अधिक बार चक्कर लगवाए.
बार-बार फाइल में कमियां निकाल कर परेशान किया जा रहा था. अब जब फाइल की सभी कमियां पूरी कर दी गईं तो स्वीकृति के लिए 50000 की रिश्वत मांगी. हालांकि मामले में गहनता से जांच करने व आरोपियों से पूछताछ के लिए एसीबी टीम ने न्यायालय से 2 दिन का रिमांड मांगा था, लेकिन एसीबी न्यायालय ने रिमांड देने से इनकार करते हुए उन्हें जेल भेज दिया.