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स्पेशल स्टोरी: सीकर के इस मंदिर में जलती है औरंगजेब की जलाई अखंड ज्योत

सीकर के जीण माता धाम नवरात्र के दौरान साल में दो बार मेला लगता है और हर मेले में पांच लाख श्रद्धालु दर्शन करते हैं. इस बार का नवरात्र मेला 29 सितंबर से शुरू होगा. वहीं, जीण माता धाम को लेकर कई मान्यताएं हैं. मंदिर में एक अखंड ज्योत भी है. इसके बारे में कहा जाता जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने ये अखंड ज्योत जलाई थी.

सीकर से स्पेशल स्टोरी, Sikar Jeen Mata Dham
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Published : Sep 23, 2019, 7:55 PM IST

सीकर. जिले का जीण माता धाम में नवरात्र की शुरुआत से ही मेले का आयोजन होगा. लाखों श्रद्धालु यहां मां जीण के दर्शन करेंगे. खास बात ये है कि इस मंदिर में नवरात्र के दौरान साल में दो बार मेला लगता है और हर मेले में पांच लाख श्रद्धालु दर्शन करते हैं. इस बार का नवरात्र मेला 29 सितंबर से शुरू होगा.

माना जाता है कि मंदिर 10 हजार साल से ज्यादा पुराना है. साथ ही इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. मंदिर में एक अखंड ज्योत भी है. इसके बारे में कहा जाता जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने ये अखंड ज्योत जलाई थी, क्योंकि उसे यहां पस्त होना पड़ा था. साथ ही बताया जाता है कि इस मंदिर में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी पूजा-अर्चना की थी. यह मंदिर सिद्ध पीठ है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: एक ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने से होती है हर मनोकामना पूरी

हालांकि जीण माता मंदिर के निर्माण को लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसको लेकर कोई भी शिलालेख या अन्य साक्ष्य नहीं है. बताया जाता है कि करीब साढे़ सात हजार साल पहले मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था.

जीण माता धाम में 29 सितंबर से शुरू होगा नवरात्र मेला

औरंगजेब पर किया था हमला
बताया जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब देशभर के मंदिरों को तोड़ता हुआ सीकर के हर्षनाथ भैरू जी पहुंचा था. हर्षनाथ भैरव मंदिर को खंडित करने के बाद औरंगजेब जीण माता पहुंचा था. इस दौरान जब औरंगजेब ने जीण माता मंदिर को खंडित करने की कोशिश की तो जीण माता की कृपा से उसकी सेना पर भंवरों ने हमला कर दिया. पूरी सेना को वहां से जान बचाकर भागना पड़ा. इसलिए इसे भंवरों वाली माता भी कहा जाता है. इसके बाद औरंगजेब ने यहां मंदिर में माफी मांगी और एक अखंड ज्योत जलाई, जो आज तक चल रही है

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्टः बारिश बनी आफत, अन्नदाता अब सरकार के भरोसे

पॉलिथीन मुक्त होगा परिसर
इस बार जीण माता मेले में कहीं भी पॉलीथिन का उपयोग नहीं होगा. मंदिर परिसर में किसी भी तरह की पॉलीथिन काम में नहीं ली जा सकेगी. प्रसाद विक्रेताओं को इसके लिए पाबंद किया गया है. इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से पूरे जीण माता का कस्बे को सीसीटीवी से कवर किया गया है. इस बार छाया की भी विशेष व्यवस्था की गई है और काफी दूर तक टीन शेड लगाए गए हैं.

सीकर. जिले का जीण माता धाम में नवरात्र की शुरुआत से ही मेले का आयोजन होगा. लाखों श्रद्धालु यहां मां जीण के दर्शन करेंगे. खास बात ये है कि इस मंदिर में नवरात्र के दौरान साल में दो बार मेला लगता है और हर मेले में पांच लाख श्रद्धालु दर्शन करते हैं. इस बार का नवरात्र मेला 29 सितंबर से शुरू होगा.

माना जाता है कि मंदिर 10 हजार साल से ज्यादा पुराना है. साथ ही इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. मंदिर में एक अखंड ज्योत भी है. इसके बारे में कहा जाता जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने ये अखंड ज्योत जलाई थी, क्योंकि उसे यहां पस्त होना पड़ा था. साथ ही बताया जाता है कि इस मंदिर में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी पूजा-अर्चना की थी. यह मंदिर सिद्ध पीठ है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: एक ऐसा मंदिर जहां दर्शन करने से होती है हर मनोकामना पूरी

हालांकि जीण माता मंदिर के निर्माण को लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. मंदिर का निर्माण कब हुआ, इसको लेकर कोई भी शिलालेख या अन्य साक्ष्य नहीं है. बताया जाता है कि करीब साढे़ सात हजार साल पहले मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ था.

जीण माता धाम में 29 सितंबर से शुरू होगा नवरात्र मेला

औरंगजेब पर किया था हमला
बताया जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब देशभर के मंदिरों को तोड़ता हुआ सीकर के हर्षनाथ भैरू जी पहुंचा था. हर्षनाथ भैरव मंदिर को खंडित करने के बाद औरंगजेब जीण माता पहुंचा था. इस दौरान जब औरंगजेब ने जीण माता मंदिर को खंडित करने की कोशिश की तो जीण माता की कृपा से उसकी सेना पर भंवरों ने हमला कर दिया. पूरी सेना को वहां से जान बचाकर भागना पड़ा. इसलिए इसे भंवरों वाली माता भी कहा जाता है. इसके बाद औरंगजेब ने यहां मंदिर में माफी मांगी और एक अखंड ज्योत जलाई, जो आज तक चल रही है

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्टः बारिश बनी आफत, अन्नदाता अब सरकार के भरोसे

पॉलिथीन मुक्त होगा परिसर
इस बार जीण माता मेले में कहीं भी पॉलीथिन का उपयोग नहीं होगा. मंदिर परिसर में किसी भी तरह की पॉलीथिन काम में नहीं ली जा सकेगी. प्रसाद विक्रेताओं को इसके लिए पाबंद किया गया है. इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से पूरे जीण माता का कस्बे को सीसीटीवी से कवर किया गया है. इस बार छाया की भी विशेष व्यवस्था की गई है और काफी दूर तक टीन शेड लगाए गए हैं.

Intro:सीकर
सीकर जिले का जीण माता धाम। नवरात्र की शुरुआत से ही यहां पर मेले का आयोजन होगा लाखों श्रद्धालु मां जीण के दर्शन करेंगे। खास बात यह है कि इस मंदिर में नवरात्र के दौरान साल में दो बार मिला लगता है और हर मेले में पांच लाख श्रद्धालु दर्शन करते हैं। इस बार का नवरात्र मेला 29 सितंबर से शुरू होगा। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं। मंदिर में एक अखंड ज्योत है जिसको लेकर बताया गया है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने यह अखंड ज्योत जलाई थी क्योंकि उसे यहां पस्त होना पड़ा था।


Body:क्या है मंदिर का इतिहास?
सीकर के जीण माता मंदिर के निर्माण को लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। मंदिर का निर्माण कब हुआ इसको लेकर कोई भी शिलालेख या अन्य साक्ष्य नहीं है। आज से करीब साढे सात हजार साल पहले मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ उसके साक्ष्य मंदिर में मौजूद है। माना जा रहा है कि मंदिर 10 साल से ज्यादा पुराना है। बताया जाता है कि इस मंदिर में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी पूजा-अर्चना की थी। यह मंदिर सिद्ध पीठ है और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

औरंगजेब पर किया था हमला
बताया जाता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब देशभर के मंदिरों को तोड़ता हुआ सीकर के हर्षनाथ भैरू जी पहुंचा था। यहां पर हर्षनाथ भैरव मंदिर को खंडित करने के बाद औरंगजेब जीण माता पहुंचा था। बताया जाता है कि औरंगजेब ने जब जीण माता मंदिर को खंडित करने की कोशिश की थी। जब औरंगजेब मंदिर की तरफ बढ़ा जीण माता की कृपा से उसकी सेना पर भंवरों ने हमला कर दिया। पूरी सेना को वहां से जान बचाकर भागना पड़ा इसलिए इसे भँवरों वाली माता भी कहा जाता है। इसके बाद औरंगजेब ने यहां मंदिर में माफी मांगी और एक अखंड ज्योत जलाई जो आज तक चल रही है।

नवरात्र में पांच लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान
जीण माता मंदिर में साल में दो बार मेला लगता है और दोनों मिले नवरात्र के दौरान लगते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान मेले में करीब 500000 श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।

पॉलिथीन मुक्त होगा परिसर, इस बार यह व्यवस्थाएं
इस बार जीण माता मेले में कहीं भी पॉलीथिन का उपयोग नहीं होगा मंदिर परिसर में किसी भी तरह की पॉलीथिन काम में नहीं ली जा सकेगी। प्रसाद विक्रेताओं को इसके लिए पाबंद किया गया है। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से पूरे जीण माता का कस्बे को सीसीटीवी से कवर किया गया है। इस बार छाया की भी विशेष व्यवस्था की गई है और काफी दूर तक तीन शेड लगाए गए हैं।


Conclusion:बाईट
1 धनंजय पाराशर,पुजारी
2 रजत पाराशर,पुजारी
3 सुरेंद्र, व्यवस्थापक

पीटीसी

नोट: खबर डेस्क से मांगी गई थी
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