ETV Bharat / city

SPECIAL : शेखावाटी में बिखरने लगे चंग धमाल के रंग...धुलंडी तक चलेगा मस्ती और हुड़दंग का दौर - Fun of phagun in rajasthan

राजस्थान का शेखावाटी अंचल अपनी सांस्कृतिक परंपराओं और कलाओं के लिए देश में विख्यात है. यहां के लोक कलाकार हर लोकपर्व पर अपनी कलाओं से लोगों का मन मोह लेते हैं. होली का त्योहार यहां जिस मस्ती और उमंग के साथ मनाया जाता है वह एक अलग ही पहचान रखता है. फाल्गुन के मस्ती भरे माहौल में यहां के कलाकारों की प्रस्तुतियां देखने लायक होती हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शेखावाटी में बिखरने लगे चंग धमाल के रंग
author img

By

Published : Mar 12, 2021, 7:38 PM IST

Updated : Mar 12, 2021, 7:56 PM IST

सीकर. शेखावाटी के चंग धमाल और गींदड़ नृत्य देशभर में अलग पहचान लिए हैं. बांसुरी की मधुर बयार के साथ चंग धमाल पर नाचते-गाते रसिये होली की मस्ती को दोगुना कर देते हैं. शिवरात्रि का पर्व संपन्न होने के साथ ही यहां गांव-गांव और गली-मोहल्लों में चंग धमाल के कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

शेखावाटी में बिखरने लगे चंग धमाल के रंग

पहले तो यह दौर बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता था. लेकिन पिछले कुछ बरसों में शिवरात्रि के बाद से ही चंग धमाल परवान चढने लगे हैं. होली के तीन दिन पहले आने वाली एकादशी तक चंग धमाल के कार्यक्रम चलते हैं. इसके बाद गींदड़ नृत्य शुरू हो जाता है. जो धुलंडी तक चलता है. शिवरात्रि का पर्व जाने के बाद अब गली-गली में चंग धमाल शुरू हो गया है.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शेखावाटी में बिखरने लगे चंग धमाल के रंग

शेखावाटी अंचल के सीकर, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, मंडावा, रतनगढ़, रामगढ़, राजलदेसर, चूरू और झुंझुनू सहित कई इलाकों में होली के पर्व पर लोक कलाकारों की खास प्रस्तुतियां देखने को मिलती हैं. बसंत पंचमी के दिन कुछ जगह कलाकार चंग ढप बजाकर इसकी शुरुआत कर देते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
धुलंडी तक चलेगा मस्ती और हुड़दंग का दौर

पढ़ें- सदियों पुरानी लोक कला को चाहिए 'संजीवनी'...क्योंकि कठपुतली अभी जिंदा है

लेकिन शिवरात्रि के बाद तो देर रात तक गली मोहल्लों में ये कार्यक्रम देखने को मिलते हैं. चंग थाप और बांसुरी की मधुर धुन पर मंत्रमुग्ध लोग देर रात तक इन्हें देखने के लिए जमा रहते हैं. यहां घर-घर में होली के लोक कलाकार हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शेखावाटी अंचल अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के लिए है विख्यात

चंग धमाल पर इस तरह होते हैं आयोजन

होली के त्योहार पर शेखावाटी इलाके में धमाल (एक तरह के लोक गीत) गाये जाते हैं. इसके गाने वाले कलाकार हाथों में चंग लेकर गोल घेरे में नाचते हैं और चंग बजाते हैं. इनके बीच में खड़े कलाकार बांसुरी बजाते हैं और लोकगीतों की धुने बजाते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
फाल्गुन का मस्ती भरा माहौल

यहां की बांसुरी की धुन भी अलग तरह की होती है और चंग बजाने वालों के साथ पूरा तालमेल बिठाकर ही बजाई जाती है. गांव की चौपालों पर देर रात तक चंग ढप के आयोजन चलते हैं. यहां हर गांव में बांसुरी बजाने वाले कलाकार हैं और चंग बजाने वालों की तो बड़ी तादाद है.

पढ़ें- 9 साल से बेड़ियों में जकड़ा है विमंदित लालचंद...गरीब परिजन नहीं उठा सकते इलाज का खर्च

गींदड़ नृत्य भी होता है तीन दिन

फाल्गुन शुक्ल एकादशी को चंग ढप के कार्यक्रम बंद हो जाते हैं और गींदड़ नृत्य शुरू हो जाता है. गींदड़ नृत्य एक तरह से डांडिया की तरह ही खेला जाता है. दोनों हाथों में डंडे लिए कलाकार गोल घेरे में आपस में इन्हें टकराते हुए घूमते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शिवरात्रि के बाद से चंग धमाल की धूम

इसको गेड़ कहा जाता है. गेड़ के बीच में एक छोटा स्टेज बनाया जाता है. जिस पर नगाड़ा बजाया जाता है. नगाड़े साथ साथ बीच में कलाकार बांसुरी बजाते हैं और गाना गाते हैं. नगाडा़, बांसुरी और गानों का तालमेल ऐसा होता है कि गींदड़ नृत्य करने वाले कलाकर झूमते रहते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
फाल्गुन शुक्ल एकादशी को थमेगी चंग पर थाप

प्रस्तुति देने देश के कोने-कोने तक जाते हैं कलाकार

शेखावाटी के उद्योगपती पूरे देशभर में फैले हुए हैं. कोलकाता मुंबई जैसे महानगरों में तो यहां के लोग बड़ी तादाद में रह रहे हैं. होली पर यहां के कलाकार वहां भी पहुंच जाते हैं और वहां चंग ढप और गींदड़ के कार्यक्रम आयोजित होते हैं. धुलंडी के दिन रंग खेलने के बाद ये कार्यक्रम बंद हो जाते हैं.

सीकर. शेखावाटी के चंग धमाल और गींदड़ नृत्य देशभर में अलग पहचान लिए हैं. बांसुरी की मधुर बयार के साथ चंग धमाल पर नाचते-गाते रसिये होली की मस्ती को दोगुना कर देते हैं. शिवरात्रि का पर्व संपन्न होने के साथ ही यहां गांव-गांव और गली-मोहल्लों में चंग धमाल के कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. देखिये यह खास रिपोर्ट...

शेखावाटी में बिखरने लगे चंग धमाल के रंग

पहले तो यह दौर बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता था. लेकिन पिछले कुछ बरसों में शिवरात्रि के बाद से ही चंग धमाल परवान चढने लगे हैं. होली के तीन दिन पहले आने वाली एकादशी तक चंग धमाल के कार्यक्रम चलते हैं. इसके बाद गींदड़ नृत्य शुरू हो जाता है. जो धुलंडी तक चलता है. शिवरात्रि का पर्व जाने के बाद अब गली-गली में चंग धमाल शुरू हो गया है.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शेखावाटी में बिखरने लगे चंग धमाल के रंग

शेखावाटी अंचल के सीकर, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, मंडावा, रतनगढ़, रामगढ़, राजलदेसर, चूरू और झुंझुनू सहित कई इलाकों में होली के पर्व पर लोक कलाकारों की खास प्रस्तुतियां देखने को मिलती हैं. बसंत पंचमी के दिन कुछ जगह कलाकार चंग ढप बजाकर इसकी शुरुआत कर देते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
धुलंडी तक चलेगा मस्ती और हुड़दंग का दौर

पढ़ें- सदियों पुरानी लोक कला को चाहिए 'संजीवनी'...क्योंकि कठपुतली अभी जिंदा है

लेकिन शिवरात्रि के बाद तो देर रात तक गली मोहल्लों में ये कार्यक्रम देखने को मिलते हैं. चंग थाप और बांसुरी की मधुर धुन पर मंत्रमुग्ध लोग देर रात तक इन्हें देखने के लिए जमा रहते हैं. यहां घर-घर में होली के लोक कलाकार हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शेखावाटी अंचल अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के लिए है विख्यात

चंग धमाल पर इस तरह होते हैं आयोजन

होली के त्योहार पर शेखावाटी इलाके में धमाल (एक तरह के लोक गीत) गाये जाते हैं. इसके गाने वाले कलाकार हाथों में चंग लेकर गोल घेरे में नाचते हैं और चंग बजाते हैं. इनके बीच में खड़े कलाकार बांसुरी बजाते हैं और लोकगीतों की धुने बजाते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
फाल्गुन का मस्ती भरा माहौल

यहां की बांसुरी की धुन भी अलग तरह की होती है और चंग बजाने वालों के साथ पूरा तालमेल बिठाकर ही बजाई जाती है. गांव की चौपालों पर देर रात तक चंग ढप के आयोजन चलते हैं. यहां हर गांव में बांसुरी बजाने वाले कलाकार हैं और चंग बजाने वालों की तो बड़ी तादाद है.

पढ़ें- 9 साल से बेड़ियों में जकड़ा है विमंदित लालचंद...गरीब परिजन नहीं उठा सकते इलाज का खर्च

गींदड़ नृत्य भी होता है तीन दिन

फाल्गुन शुक्ल एकादशी को चंग ढप के कार्यक्रम बंद हो जाते हैं और गींदड़ नृत्य शुरू हो जाता है. गींदड़ नृत्य एक तरह से डांडिया की तरह ही खेला जाता है. दोनों हाथों में डंडे लिए कलाकार गोल घेरे में आपस में इन्हें टकराते हुए घूमते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
शिवरात्रि के बाद से चंग धमाल की धूम

इसको गेड़ कहा जाता है. गेड़ के बीच में एक छोटा स्टेज बनाया जाता है. जिस पर नगाड़ा बजाया जाता है. नगाड़े साथ साथ बीच में कलाकार बांसुरी बजाते हैं और गाना गाते हैं. नगाडा़, बांसुरी और गानों का तालमेल ऐसा होता है कि गींदड़ नृत्य करने वाले कलाकर झूमते रहते हैं.

Folk Culture of Shekhawati,  The blaze of Shekhawati, Gindar folk dance in Sikar
फाल्गुन शुक्ल एकादशी को थमेगी चंग पर थाप

प्रस्तुति देने देश के कोने-कोने तक जाते हैं कलाकार

शेखावाटी के उद्योगपती पूरे देशभर में फैले हुए हैं. कोलकाता मुंबई जैसे महानगरों में तो यहां के लोग बड़ी तादाद में रह रहे हैं. होली पर यहां के कलाकार वहां भी पहुंच जाते हैं और वहां चंग ढप और गींदड़ के कार्यक्रम आयोजित होते हैं. धुलंडी के दिन रंग खेलने के बाद ये कार्यक्रम बंद हो जाते हैं.

Last Updated : Mar 12, 2021, 7:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.