सीकर. शेखावाटी के हृदय स्थल सीकर नगर से 16 किमी दूर दक्षिण में स्थित हर्ष पर्वत पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक दृष्टि से प्रसिद्ध, सुरम्य एवं रमणीक प्राकृतिक स्थल है. हर्ष पर्वत की ऊंचाई लगभग 3100 फीट है. यह प्रदेश में माउंट आबू के बाद सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता है. 1018 में चौहान राजा सिंह राज ने हर्ष नगरी और हर्षनाथ मंदिर की स्थापना करवाई थी.
शेखावाटी के सबसे बड़े पर्यटक स्थल हर्ष पर्वत पर जाना अब खतरे से कम नहीं है. हर्ष पर्वत पर टूटी सड़क से कभी भी हादसा हो सकता है. यहां बारिश के पानी के कारण कई स्थानों पर चट्टान खिसक कर सड़क तक आ गई है. वहीं, सड़क टूटी होने के कारण प्रशासन की ओर से इस पर्यटन स्थल को बंद कर दिया गया है.
सड़क की मरम्मत करने के बजाय या इसे दोबारा बनाने की जहमत नहीं उठाने वाले प्रशासन ने रास्ते में पुलिस चौकी बनाकर इसके ऊपर जाने पर पाबंदी लगा दी. साथ ही यह आदेश निकाल दिया कि लोग केवल पैदल वहां तक जा सकते हैं. वहीं, जिस रास्ते से पैदल जाने की बात की जा रही है वह बहुत ज्यादा खस्ताहाल है और कुछ दिन पहले ही एक 14 महीने के बच्चे की मौत हो चुकी है.
प्रशासन ने ठीक करने की नहीं उठाई जहमत
जानकारी के मुताबिक हर्ष पर्वत की करीब 8 किलोमीटर की सड़क लंबे समय से खस्ताहाल थी. कई स्वयंसेवी संस्थानों ने जब इस मामले को उठाया और हादसों का खतरा बताया तो प्रशासन ने इसे ठीक करने की जहमत नहीं उठाई बल्कि रास्ते में पुलिस की चेकपोस्ट लगा दी और ऊपर जाने पर पाबंदी लगा दी.
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बरसात के सीजन हर साल जहां लाखों पर्यटक हर्ष पर्वत पर आते थे, वहीं इस बार केवल सन्नाटा पसरा हुआ है. जो लोग जाना चाहते हैं उन्हें ऊपर नहीं जाने दिया जाता है. कई वर्षों से इस सड़क को बनाने की मांग चल रही थी लेकिन हर बार इसकी थोड़ी बहुत मरम्मत करवाकर चालू कर लिया जाता था. लेकिन इस बार ना तो मरमत करवाई और ना ही दोबारा सड़क बनवाई, बस रास्ते में पुलिस चौकी बनाकर जाना ही बंद कर दिया.
1100 साल पुराना है मंदिर
हर्ष पर्वत पर पर्यटकों के साथ-साथ हजारों श्रद्धालु जात जडूले के लिए आते हैं. यहां पर करीब 11 साल पुराना हर्षनाथ भैरव जी का मंदिर है और इसकी मान्यता दूर-दूर तक है. देश के कई इलाकों से यहां पर श्रद्धालु आते हैं. खस्ताहाल सड़क की वजह से श्रद्धालु यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं और उन्हें भी रास्ते में ही रोक दिया जाता है.
माउंट आबू के बाद सबसे ऊंची चोटी
हर्ष पर्वत अरावली पर्वत माला का ही हिस्सा है और राजस्थान में माउंट आबू के गुरु शिखर के बाद यह दूसरी सबसे ऊंची चोटी है. इसलिए इसका पर्यटन महत्व भी काफी ज्यादा है और बरसात के सीजन में तो यह इलाका हिमाचल से कम नहीं होता है.
कई बड़े प्रोजेक्ट बने लेकिन पूरे नहीं हुए
हर्ष पर्वत पर जाने के लिए सड़क और अन्य सुविधाओं के विकास के लिए पिछली भाजपा सरकार में 6 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली थी, लेकिन इसका बजट आज तक स्वीकृत नहीं हो पाया. मौजूदा सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर कभी ध्यान ही नहीं दिया और यहां के जनप्रतिनिधियों ने भी यह मुद्दा नहीं उठाया. इसी वजह से आज यह पर्यटन स्थल बंद है.
इसके अलावा वसुंधरा सरकार के समय यहां पर रोपवे लगाने का प्रोजेक्ट बनाया गया था, लेकिन उस पर भी आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई. हर्ष पर्वत पर कई सरकारी कार्यालय भी हैं, जिसमें पुरातत्व विभाग का कार्यालय, पुलिस का वायरलेस कार्यालय, वन विभाग की चेकपोस्ट आदि शामिल है. लेकिन यहां जाने वाले कर्मचारियों को भी वाहन ले जाने की अनुमति नहीं है और इसीलिए जाना मुश्किल हो रहा है.