सीकर. राजस्थान में सियासत के समीकरण पल-पल बदल रहे हैं. प्रदेश में चल रहे सियासी उठापटक के बीच मंगलवार को सबसे बड़ी घोषणा हुई, जिसमें राजस्थान कांग्रेस में कभी 'नंबर दो' का रुतबा रखने वाले सचिन पायलट को ना केवल उपमुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा है, बल्कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी उनकी अप्रत्याशित विदाई हो गई.
राजस्थान काग्रेस अध्यक्ष पद से सचिन पायलट की बर्खास्तगी के बाद सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ विधानसभा के विधायक गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वैसे तो गोविंद सिंह डोटासरा काफी समय तक कांग्रेस के संगठन में रहे, लेकिन सक्रिय राजनीति की बात की जाए तो महज 15 साल में वे यहां तक पहुंच गए. उनकी सफलता में उनके राजनीतिक गुरु चौधरी नारायण सिंह का सबसे बड़ा योगदान रहा है.
सीकर जिले की राजनीति में चौधरी नारायण सिंह और गोविंद सिंह डोटासरा को गुरु-चेला माना जाता हैं. खास बात यह है कि गुरु और चेला दोनों ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद तक पहुंचे और दोनों ही प्रदेश में मंत्री भी रहे.
डोटासरा की राजनीति चौधरी नारायण सिंह के जरिए हुई शुरू
सीकर के राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि गोविंद सिंह डोटासरा की राजनीति चौधरी नारायण सिंह के जरिए ही शुरू हुई और आज यहां तक पहुंचाने में सबसे बड़ा योगदान नारायण सिंह का है. विशेषज्ञों का कहना है कि अपने राजनीतिक जीवन के 60 साल पूरे कर चुके चौधरी नारायण सिंह ने सीकर की कांग्रेस और प्रदेश की कांग्रेस में काफी उठापटक देखे हैं. लेकिन सीकर से प्रदेश अध्यक्ष तक पहुंचने वाले 2 ही लोग हैं, एक गुरु और एक चेला और दोनों की चर्चा जोरों पर हैं.
2004 में अध्यक्ष बने थे नारायण सिंह
गोविंद सिंह डोटासरा के राजनीतिक गुरु चौधरी नारायण सिंह 17 जनवरी 2004 को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने थे. इसके बाद 12 अप्रैल 2005 तक वे इस पद पर रहे. इसके साथ-साथ वे प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं और 8 बार विधायक रहे हैं.
डोटासरा को इस वजह से माना जाता है नारायण सिंह का शिष्य
गोविंद सिंह डोटासरा सीकर कोर्ट में वकालत करते थे और कांग्रेस संगठन से जुड़े हुए थे. 2005 में पंचायत चुनाव के वक्त उन्होंने राजनीति में उतरने की सोची. उस वक्त चौधरी नारायण सिंह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे और उन्होंने ही गोविंद सिंह डोटासरा को पंचायत समिति सदस्य का टिकट दिया.
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इसके बाद चुनाव में गोविंद सिंह डोटासरा की जीत हुई और वे पंचायत समिति सदस्य बन गए. पंचायत समिति सदस्य बन जाने के बाद नारायण सिंह ने ही डोटासरा को पार्टी का टिकट देकर प्रधान बनाया. प्रधान बनने के बाद 2008 में उन्हें कांग्रेस से विधानसभा का टिकट दिलाया और पहली बार डोटासरा विधायक बन गए.
वहीं, 2011 में गोविंद सिंह डोटासरा को सीकर जिला कांग्रेस कमेटी का जिला अध्यक्ष बनाने में भी नारायण सिंह का अहम योगदान रहा है. इसके बाद गोविंद सिंह डोटासरा लगातार राजनीति की सीढियां चढ़ते गए और आज वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं.
दोनों ही पंचायती राज चुनाव से आए
गोविंद सिंह डोटासरा और चौधरी नारायण सिंह दोनों ही पंचायती राज चुनाव से राजनीति में आगे बढ़े. नारायण सिंह की बात करें तो उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ग्राम पंचायत के वार्ड पंच से की थी. इसके बाद वे सरपंच फिर प्रधान और उसके बाद जिला प्रमुख बने. गोविंद सिंह डोटासरा ने भी अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत पंचायत चुनाव से ही और उन्होंने भी सबसे पहले पंचायत समिति सदस्य का चुनाव लड़ा था.
पंचायत चुनाव के जरिए राजनीति में किया प्रवेश
एक शिक्षक के बेटे गोविंद सिंह डोटासरा वकालत से पंचायत चुनाव के जरिए राजनीति में प्रवेश कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पहुंचे हैं. 1 अक्टूबर 1964 को सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में जन्मे डोटासरा को लंबा सियासी अनुभव है. डोटासरा सीकर के लक्ष्मणगढ़ से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं. डोटासरा ने राजस्थान विश्वविद्यालय से B.Com और LLB की पढ़ाई की है. उन्होंने 2005 में कांग्रेस के टिकट पर लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की. वह लक्ष्मणगढ़ पंचायत के प्रधान भी रहे. वह 7 साल तक सीकर जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज रहे. उन्होंने युवा कांग्रेस के लिए भी काम किया.
2008 में डोटासरा को पहली बार लक्ष्मणगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी का टिकट मिला, यहां भी उन्होंने जीत हासिल की. 2008 से वह लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के बाद उन्हें राज्य का शिक्षा मंत्री बनाया गया था. इससे पहले उन्होंने 14वीं राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के उप मुख्य सचेतक का पद संभाला.