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Special : संचालन के बाद भी नहीं सुधरे सीकर रोडवेज के हालात, रोजाना लाखों का नुकसान

कोरोना वायरस का कहर राजस्थान रोडवेज पर भी देखने को मिला है. लॉकडाउन के चलते काफी समय तक बसें बंद रहीं. हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि जब बसों का संचालन शुरू हुआ तब भी स्थिति सुधर नहीं पाई. ऐसे में सीकर रोडवेज को भी प्रतिदिन 10 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

सीकर समाचार, sikar news
सीकर रोडवेज को रोजाना 10 लाख तक का नुकसान
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Published : Sep 15, 2020, 6:53 PM IST

सीकर. पहले से ही घाटे में चल रही राजस्थान रोडवेज को कोरोना वायरस ने भी बड़ा झटका दिया है. लॉकडाउन की वजह से काफी समय तक बसें बंद रहीं और जब संचालन शुरू हुआ, इसके बाद से अब तक हालात ज्यादा नहीं सुधर पाए. सीकर डिपो की बात करें तो रोडवेज की काफी बसें बंद पड़ी हैं और अकेले डिपो में हर दिन 10 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं, जो बसें चल रही हैं उनमें भी आमदनी नहीं हो रही, जितनी होनी चाहिए थी.

सीकर रोडवेज को रोजाना 10 लाख तक का नुकसान...

डिपो से बसों की संचालन की बात की जाए तो यहां से कोरोना वायरस के दौर से पहले 119 रूट पर बसें संचालित हो रही थी. लॉकडाउन में सभी रोडवेज की बसें बंद हो गईं और उसके बाद धीरे-धीरे इसे वापस शुरू किया गया, लेकिन अभी भी 57 रूटों पर ही रोडवेज की बसें चल रही हैं. सीकर डिपो की रोडवेज बसें हर दिन लॉकडाउन से पहले 48 हजार किलोमीटर चल रही थी, लेकिन फिलहाल 24 हजार किलोमीटर ही गाड़ियां चल रही हैं.

पढ़ें- Special: सीकर में YouTube और TV के जरिए योग सीखकर मासूम बन गया योग साधक, कहलाने लगा जूनियर रामदेव

सीकर आगार की आय की बात करें तो पहले हर दिन करीब 16 लाख रुपये की आय हो रही थी, वहीं अब केवल 6 लाख रुपये ही हर दिन आ रहे हैं. यानी कि हर दिन 10 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है और इस वजह से रोडवेज की हालत और ज्यादा खस्ता हो रही है. जबकि 127 में से 70 बसें चल रही हैं. ऐसे में आय काफी कम हो रही है.

सीकर समाचार, sikar news
कोरोना के चलते नहीं है यात्री भार...

सीकर डिपो के मुख्य प्रबंधक इंदिरा गोदारा का कहना है कि पहले से ही रोडवेज घाटे में चल रही थी और उसके बाद भी उम्मीद के मुताबिक पैसा नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यात्री भार नहीं बढ़ रहा है.

यह है बसों की स्थिति...

सीकर डिपो की बात करें तो यहां पर रोडवेज की 127 बसें हैं. इसके साथ-साथ 12 बसें अनुबंधित लगी हुई थी. फिलहाल, रोडवेज की 70 बसें चल रही हैं और अनुबंधित बस एक भी नहीं चल रही. दूसरे राज्यों की बस सेवा अभी तक केवल दिल्ली और हरियाणा तक शुरू हो पाई है.

सीकर समाचार, sikar news
सीकर रोडवेज को भी हो रहा भारी नुकसान...

पढ़ें- Special: जोधपुर में लोगों की सेहत से हो रहा खिलवाड़, खाद्य पदार्थों में बढ़ा मिलावट का स्तर

अतिरिक्त पैकेज की मांग कर रहे कर्मचारी...

सीकर कर्मचारी यूनियन के सचिव सांवरमल यादव का कहना है कि पहले से ही रोडवेज घाटे में चल रही थी और उसके बाद कोरोना का कहर आ गया. हमारी सरकार से मांग है कि रोडवेज के लिए अतिरिक्त पैकेज की घोषणा करे. इसके साथ-साथ रोडवेज का टोल टैक्स भी माफ किया जाए, जिससे कि घाटे से उबर सके.

नियम-कायदों में उलझी रोडवेज...

कोरोना वायरस की वजह से वैसे भी लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बचते हैं. इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि रोडवेज में सीट से ज्यादा यात्री बिठाने पर पाबंदी है. जबकि निजी बसें मनमर्जी से यात्रियों को लेकर जा रहे हैं. वहीं, रोडवेज बसों को सीट पूरी होने के बाद यात्रियों को छोड़ना पड़ता है.

सीकर. पहले से ही घाटे में चल रही राजस्थान रोडवेज को कोरोना वायरस ने भी बड़ा झटका दिया है. लॉकडाउन की वजह से काफी समय तक बसें बंद रहीं और जब संचालन शुरू हुआ, इसके बाद से अब तक हालात ज्यादा नहीं सुधर पाए. सीकर डिपो की बात करें तो रोडवेज की काफी बसें बंद पड़ी हैं और अकेले डिपो में हर दिन 10 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं, जो बसें चल रही हैं उनमें भी आमदनी नहीं हो रही, जितनी होनी चाहिए थी.

सीकर रोडवेज को रोजाना 10 लाख तक का नुकसान...

डिपो से बसों की संचालन की बात की जाए तो यहां से कोरोना वायरस के दौर से पहले 119 रूट पर बसें संचालित हो रही थी. लॉकडाउन में सभी रोडवेज की बसें बंद हो गईं और उसके बाद धीरे-धीरे इसे वापस शुरू किया गया, लेकिन अभी भी 57 रूटों पर ही रोडवेज की बसें चल रही हैं. सीकर डिपो की रोडवेज बसें हर दिन लॉकडाउन से पहले 48 हजार किलोमीटर चल रही थी, लेकिन फिलहाल 24 हजार किलोमीटर ही गाड़ियां चल रही हैं.

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सीकर आगार की आय की बात करें तो पहले हर दिन करीब 16 लाख रुपये की आय हो रही थी, वहीं अब केवल 6 लाख रुपये ही हर दिन आ रहे हैं. यानी कि हर दिन 10 लाख रुपये का नुकसान हो रहा है और इस वजह से रोडवेज की हालत और ज्यादा खस्ता हो रही है. जबकि 127 में से 70 बसें चल रही हैं. ऐसे में आय काफी कम हो रही है.

सीकर समाचार, sikar news
कोरोना के चलते नहीं है यात्री भार...

सीकर डिपो के मुख्य प्रबंधक इंदिरा गोदारा का कहना है कि पहले से ही रोडवेज घाटे में चल रही थी और उसके बाद भी उम्मीद के मुताबिक पैसा नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यात्री भार नहीं बढ़ रहा है.

यह है बसों की स्थिति...

सीकर डिपो की बात करें तो यहां पर रोडवेज की 127 बसें हैं. इसके साथ-साथ 12 बसें अनुबंधित लगी हुई थी. फिलहाल, रोडवेज की 70 बसें चल रही हैं और अनुबंधित बस एक भी नहीं चल रही. दूसरे राज्यों की बस सेवा अभी तक केवल दिल्ली और हरियाणा तक शुरू हो पाई है.

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सीकर रोडवेज को भी हो रहा भारी नुकसान...

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अतिरिक्त पैकेज की मांग कर रहे कर्मचारी...

सीकर कर्मचारी यूनियन के सचिव सांवरमल यादव का कहना है कि पहले से ही रोडवेज घाटे में चल रही थी और उसके बाद कोरोना का कहर आ गया. हमारी सरकार से मांग है कि रोडवेज के लिए अतिरिक्त पैकेज की घोषणा करे. इसके साथ-साथ रोडवेज का टोल टैक्स भी माफ किया जाए, जिससे कि घाटे से उबर सके.

नियम-कायदों में उलझी रोडवेज...

कोरोना वायरस की वजह से वैसे भी लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से बचते हैं. इसके अलावा एक समस्या यह भी है कि रोडवेज में सीट से ज्यादा यात्री बिठाने पर पाबंदी है. जबकि निजी बसें मनमर्जी से यात्रियों को लेकर जा रहे हैं. वहीं, रोडवेज बसों को सीट पूरी होने के बाद यात्रियों को छोड़ना पड़ता है.

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