नागौर. पार्क का नाम लेते ही बड़े-छोटे छायादार पेड़, फल-फूल से लदी पेड़ की शाखाएं और घास का हराभरा मैदान का चित्र सामने आने लगता है. बच्चों से लेकर बड़ों तक का मन पार्क जाने को लेकर उत्साहित रहता है. लेकिन नागौर में एक ऐसा पार्क तैयार करने की योजना है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक को अनुशासन का पाठ पढ़ाएगा. जी हां, हम बात कर रहे हैं एक ऐसे अनूठे पार्क की जिसे ट्रैफिक पार्क नाम दिया गया है.
इस पार्क में पेड़ों की जगह लोहे के बड़े पोल लगे होंगे. इन पोल पर लगे बोर्ड में यातायात के नियमों के साथ ही सड़क संकेतक लगे होंगे. इस पार्क की सड़क पर भी ऐसे निशान बने होंगे जो आमतौर पर किसी शहर की सड़क या राजमार्ग पर बने होते हैं. यहां आने वाले बच्चे हों या बड़े सभी खेल-खेल में या घूमते-फिरते यातायात के नियमों के बारे में जान सकेंगे. दरअसल, ट्रैफिक पार्क बनाने का उद्देश्य आमजन, खास तौर से बच्चों को यातायात के नियमों और सड़क पर लगे संकेतकों की पूरी जानकारी देना है. ताकि वे आते जाते सड़कों पर उन नियमों का पालन कर सकें. इस जानकारी का वाहन चलाते समय भी वह ध्यान रख सकेंगे. ताकि यातायात के नियमों के प्रति जागरूकता में बढ़ोतरी हो और हादसों पर भी लगाम लग सके.
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राज्य सरकार के बजट में की गई थी घोषणा
ट्रैफिक पार्क विकसित करने का मूल उद्देश्य यातायात नियमों और सड़क संकेतकों की जानकारी देकर सड़क हादसों में होने वाली जनहानि को कम करना है. नागौर जिला परिवहन अधिकारी ओमप्रकाश चौधरी बताते हैं कि ट्रैफिक पार्क की संकल्पना राज्य सरकार की बजट घोषणा में की गई थी. इसके तहत हर जिला मुख्यालय पर एक ट्रैफिक पार्क का निर्माण होगा. अब सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद नागौर जिला मुख्यालय पर ट्रैफिक पार्क बनाने की कवायद तेज कर दी गई है. इसके लिए जिला मुख्यालय पर करीब डेढ़ एकड़ जमीन चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है. हालांकि अभी इसका कुल बजट निर्धारित नहीं है. जमीन तय होने के बाद ही बजट फाइनल किया जाएगा.
10 दिन के भीतर जमीन मुहैया कराई जाएगी
जिला परिवहन अधिकारी ओमप्रकाश चौधरी बताते हैं कि नगर परिषद को ट्रैफिक पार्क के लिए जमीन मुहैया करवाने के लिए पत्र व्यवहार किया गया है. इसके साथ ही जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में यह मामला कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी के ध्यान में भी लाया गया है. उन्होंने 10 दिन के भीतर ट्रैफिक पार्क के लिए जमीन मुहैया करवाने का भरोसा दिलाया है. उनका कहना है कि नागौर में करीब डेढ़ एकड़ जमीन पर ट्रैफिक पार्क का निर्माण किया जाएगा. यातायात नियमों और सड़क संकेतों की जानकारी व्यवहारिक रूप से दी जाएगी.
संकेतकों के बारे में दी जाएगी जानकारी
इस ट्रैफिक पार्क में संकेतों के जरिए यह समझाया जाएगा कि पीली, लाल या हरी बत्ती जलने पर क्या किया जाना चाहिए. सड़क पार करते समय या सड़क पर चलते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही सड़क के किनारे संकेतक लगाकर सड़क पर वैसी ही आकृति बनाई जाएगी, जैसी आमतौर पर राजमार्गों या सड़कों पर होती है. आमतौर पर देखने में आता है कि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आने वाले वयस्कों से भी जब किसी सड़क संकेतक के बारे में पूछा जाता है तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाते हैं.
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बच्चों को भी आमतौर पर यातायात के नियमों और सड़क संकेतों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. इसका गंभीर परिणाम सड़क हादसों के रूप में सामने आता है. कई बार तो लोगों को जान से हाथ धोना पड़ जाता है. माना जा रहा है कि यह ट्रैफिक पार्क यातायात नियमों और सड़क संकेतकों की जानकारी के अभाव में होने वाली दुर्घटनाओं में कमी लाने में काफी मददगार साबित हो सकता है. हालांकि, परिवहन विभाग की ओर से समय-समय पर यातायात के नियमों की जानकारी देने के लिए विशेष अभियान चलाए जाते हैं. इसके साथ ही स्कूल और कॉलेज में जाकर भी विद्यार्थियों को यातायात संबंधी नियमों की जानकारी दी जाती है, लेकिन माना जा रहा है कि ट्रैफिक पार्क के माध्यम से यातायात नियमों के प्रति जागरूकता में बढ़ोतरी होगी और हादसों में कमी आएगी.
बात अगर नागौर जिले की करें तो यहां सालभर में कई हादसे होते हैं. जिनमें सैकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं और कितने ही लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं. कई बार यातायात नियमों की सही जानकारी नहीं होना या सड़क संकेतकों की समझ नहीं होना भी हादसों का मुख्य कारण रहता है. ऐसे में ट्रैफिक पार्क में आकर ज्यादा से ज्यादा लोग यातायात के नियमों और सड़क संकेतकों के प्रति जागरूक हों और आम जीवन में इस जानकारी का उपयोग कर सके.