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पद्म श्री अवार्ड से नवाजे जायेंगे पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू, लगा चुके हैं 11 हजार पौधे - नागौर न्यूज

इस साल गणतंत्र दिवस पर नागौर के पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू को भी पद्म श्री अवार्ड से नवाजा जायेगा. उनको यह अवार्ड पर्यावरण में उनके बेहतरीन योगदान के लिये दिया जाएगा. आइये जानते हैं उनसे जुड़ कुछ रोचक बातें-

environmental lover Himmatram Bambhu, हिम्मताराम भाम्भू को पद्म श्री अवार्ड
पर्यावरण प्रेमी हिममताराम भामू को पद्म श्री अवार्ड
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Published : Jan 26, 2020, 8:49 PM IST

नागौर. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिए जाने वाले देश के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक पद्म श्री अवार्ड की घोषणा कर दी गई है. इनमें जिले के पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू का नाम भी शामिल है. हिम्मताराम ने अपना संपूर्ण जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया है.

रेगिस्तान में हरियाली के लिए संघर्ष करने वाले हैं पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू, जो वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं. भाम्भू को सूखे रेगिस्तान में लाखों पेड़ लगाने का श्रेय जाता है. वह पशु-पक्षियों के संरक्षण के कार्य को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक बुराइयों की जड़ से समाप्त करने के लिए भी लगातार जुटे रहते हैं.

पद्म श्री अवार्ड से नवाजे जायेंगे पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू, लगा चुके हैं 11 हजार पौधे

बालपन से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर जगी ललक

जिले के सुखवासी गांव में 14 फरवरी 1956 को हिम्मताराम भाम्भू का जन्म हुआ था. उन्होंने 1975 में 19 साल की उम्र में अपनी दादी के कहने पर गांव सुखवासी में पीपल का पौधा रोप कर उसकी देखभाल की, तब से ही उनके मन में पर्यावरण संरक्षण और जीव रक्षा का बीज अंकुरित हुआ. उनके हाथ से लगा पीपल का पौधा आज विशाल पेड़ बन चुका है, इसके साथ ही मन में फूटा पर्यावरण संरक्षण का बीज आज फलीभूत हुआ है.

पढ़ें-सरकारी नौकरी छोड़ कृषि को अपना जीवन देने वाले सुंडाराम को पद्म श्री से किया जायेगा सम्मानित

मिल चुके हैं कई सम्मान

हिम्मताराम भाम्भू का पूरा जीवन वन्य जीव रक्षा और पेड़ पौधे लगाने में रहा. उन्होंने पूरे जिले में अभियान चलाकर जिला अस्पताल हो या सरकारी भूमि उन्होंने हमेशा पौधारोपण करके शुरुआत की है. उन्हें जिला स्तर से लेकर प्रदेश लेवल पर कई सम्मान मिल चुके हैं.

11000 पौधे लगा रेगिस्तान में लाये हरियाली

भाम्भू ने अपनी खुद की जमीन पर 6 हेक्टर में अभी तक 11000 पौधे लगाकर हरिमा गांव के दौरों में वन पौधशाला भी तैयार की, जहां हजारों पक्षी का बसेरा है. इसे पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र का नाम दिया गया है.

पढे़ें- पद्म श्री पुरस्कार की घोषणा, प्रदेश के 5 लोगों का नाम भी शामिल

हिम्मताराम भाम्भू को पिछले दिनों राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में बुलाया गया था, जहां 3 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में उन्होंने रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव रक्षा के विषय पर भविष्य के रूपरेखा उनको बताई.

2030 तक 2 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य

हिम्मताराम भाम्भू ने पद्म श्री अवार्ड की घोषणा के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि अब उनका लक्ष्य 2030 तक 2 लाख पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाना है. साथ ही देश में प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अभियान चलाना है. वहीं इस खबर से जिले भर से लोग हिम्मताराम भाम्भू को बधाई दे रहें हैं. वहीं इस दौरान भाम्भू ने पूरे विश्व में पर्यावरण असंतुलन को लेकर चिंता जाहिर की.

नागौर. गणतंत्र दिवस के मौके पर दिए जाने वाले देश के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक पद्म श्री अवार्ड की घोषणा कर दी गई है. इनमें जिले के पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू का नाम भी शामिल है. हिम्मताराम ने अपना संपूर्ण जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया है.

रेगिस्तान में हरियाली के लिए संघर्ष करने वाले हैं पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू, जो वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं. भाम्भू को सूखे रेगिस्तान में लाखों पेड़ लगाने का श्रेय जाता है. वह पशु-पक्षियों के संरक्षण के कार्य को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक बुराइयों की जड़ से समाप्त करने के लिए भी लगातार जुटे रहते हैं.

पद्म श्री अवार्ड से नवाजे जायेंगे पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू, लगा चुके हैं 11 हजार पौधे

बालपन से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर जगी ललक

जिले के सुखवासी गांव में 14 फरवरी 1956 को हिम्मताराम भाम्भू का जन्म हुआ था. उन्होंने 1975 में 19 साल की उम्र में अपनी दादी के कहने पर गांव सुखवासी में पीपल का पौधा रोप कर उसकी देखभाल की, तब से ही उनके मन में पर्यावरण संरक्षण और जीव रक्षा का बीज अंकुरित हुआ. उनके हाथ से लगा पीपल का पौधा आज विशाल पेड़ बन चुका है, इसके साथ ही मन में फूटा पर्यावरण संरक्षण का बीज आज फलीभूत हुआ है.

पढ़ें-सरकारी नौकरी छोड़ कृषि को अपना जीवन देने वाले सुंडाराम को पद्म श्री से किया जायेगा सम्मानित

मिल चुके हैं कई सम्मान

हिम्मताराम भाम्भू का पूरा जीवन वन्य जीव रक्षा और पेड़ पौधे लगाने में रहा. उन्होंने पूरे जिले में अभियान चलाकर जिला अस्पताल हो या सरकारी भूमि उन्होंने हमेशा पौधारोपण करके शुरुआत की है. उन्हें जिला स्तर से लेकर प्रदेश लेवल पर कई सम्मान मिल चुके हैं.

11000 पौधे लगा रेगिस्तान में लाये हरियाली

भाम्भू ने अपनी खुद की जमीन पर 6 हेक्टर में अभी तक 11000 पौधे लगाकर हरिमा गांव के दौरों में वन पौधशाला भी तैयार की, जहां हजारों पक्षी का बसेरा है. इसे पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र का नाम दिया गया है.

पढे़ें- पद्म श्री पुरस्कार की घोषणा, प्रदेश के 5 लोगों का नाम भी शामिल

हिम्मताराम भाम्भू को पिछले दिनों राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में बुलाया गया था, जहां 3 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में उन्होंने रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव रक्षा के विषय पर भविष्य के रूपरेखा उनको बताई.

2030 तक 2 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य

हिम्मताराम भाम्भू ने पद्म श्री अवार्ड की घोषणा के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि अब उनका लक्ष्य 2030 तक 2 लाख पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाना है. साथ ही देश में प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अभियान चलाना है. वहीं इस खबर से जिले भर से लोग हिम्मताराम भाम्भू को बधाई दे रहें हैं. वहीं इस दौरान भाम्भू ने पूरे विश्व में पर्यावरण असंतुलन को लेकर चिंता जाहिर की.

Intro:पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भामू को पदम श्री अवार्ड

नागौर शहर के हिम्मताराम भामू को पदम श्री अवार्ड से नवाजे जाने की खबर के बाद नागौर जिले में खुशी की लहर है ।पर्यावरण संरक्षण , जीव रक्षा जैसे ज्वलंत मुद्दों पर उन्हें पदम श्री अवार्ड से नवाजा जाएगा ।


Body:हर साल गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर दिए जाने वाले देश के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक पदम श्री अवार्ड की घोषणा कर दी गई है पदम श्री अवार्ड इस साल 21 लोगों को मिलेगा इसमें से चार राजस्थान के निवासी हैं इनमें से एक नागौर जिले के पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भामू को पदम श्री अवार्ड से नवाजा जाएगा
रेगिस्तान में हरियाली के लिए संघर्ष करने वाले हैं पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भामू ने खुद को पर्यावरण संरक्षण के लिए बरसों से जोक रखा है,। हिम्मताराम भामू को सूखे रेगिस्तान में लाखों पेड़ लगाने का श्रेय जाता है । वह पशु पक्षियों के संरक्षण के कार्य को बढ़ावा देने के साथ ही सामाजिक बुराइयों की जड़ से समाप्त करने के लिए भी लगातार जुटे रहते हैं । नागौर जिले के सुखवासी गांव में 14 फरवरी 1956 को हिम्मताराम भामू का जन्म हुआ था हिम्मताराम भामू ने 1975 में 19 साल की उम्र में अपनी दादी के कहने पर गांव सुखवासी में पीपल का पौधा रोप कर उसकी देखभाल की उनके मन में पर्यावरण संरक्षण और जीव रक्षा का बीज अंकुरित हुआ। उनके हाथ से लगा पीपल का पौधा आज विशाल पेड़ बन चुका है इसके साथ ही मन में फूटा पर्यावरण संरक्षण का बीज आज विशाल वर्ष बन चुका है उन्होंने अपनी खुद की जमीन पर 6 हेक्टर में 11,000 पौधे लगाकर हरिमा गांव के दौरों में वन पौधशाला भी तैयार की गई जहां हजारों पक्षी का बसेरा है । इसे पर्यावरण प्रशिक्षण केंद्र का नाम दिया गया है

हिम्मताराम भामू को पिछले दिनों महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति भवन में बुलाया आया था उन्होंने 3 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में देश के प्रथम नागरिक रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीव रक्षा के विषय पर भविष्य के रूपरेखा उन्होंने बताई

हिम्मताराम भामू पदम श्री अवार्ड की घोषणा के बाद ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि अब उनका लक्ष्य 2030 तक 2 लाख पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनाना है साथ ही देश में प्लास्टिक मुक्त करने के लिए अभियान चलाना है। हिम्मताराम भामू को पदम श्री अवार्ड श्री मिलने की खबर जैसे नागौर जिले भर में आज तो हिम्मताराम भामू को बधाई देने का दौर शुरू हो गया जिले भर में हिम्मताराम भामू को पदम श्री मिलने को लेकर खुशी देखी जा रही है वहीं इस बारे में हिम्मताराम भामू का कहना है कि पूरे विश्व में पर्यावरण असंतुलन को लेकर उन्होंने चिंता जाहिर की




Conclusion:हिम्मताराम भामू का पूरा जीवन वन्य जीव रक्षा और पेड़ पौधे लगाने तक पूरे जिले में अभियान चलाया उन्होंने जिला अस्पताल हो या सरकारी भूमि उन्होंने हमेशा पौधारोपण करके शुरुआत की है हिम्मताराम भामू को जिला स्तर से लेकर प्रदेश लेवल पर सम्मानित हो चुके हैं
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