नागौर. आमतौर पर शादियों में 500 से लेकर 1000 लोग तक जमा हो जाते हैं और अभी जब कोरोना काल है तो ये संख्या 100 से 200 तक मानी जा सकती है. आज से प्रदेश में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा शुरू हुआ है. जिसकी गाइडलाइन के मुताबिक शादी में 31 आदमियों की मौजूदगी ही होनी चाहिए.
कोरोना गाइडलाइन की पालना की बात करें तो नागौर जिले के पीह कस्बे के निवासी भागुराम चावला ने अपने दो बेटों की शादी को मिसाल बना दिया है. आपको यकीन तो नहीं होगा लेकिन चावला के दो बेटों की शादी महज 8 लोगों की मौजूदगी में सम्पन्न हो गई. एक तरफ शादियों में लोग तय संख्या से ज्यादा मेहमान बुलाकर कोरोना संक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं दूसरी ओर पीह कस्बे के निवासी भागूराम चावला प्रदेश के लोगों के लिए मिसाल बन गए है.
पुष्कर में आयोजित विवाह सम्मेलन में पीह निवासी इस परिवार की तरफ से दूल्हा-दुल्हन के अलावा उनके माता-पिता और परिजन सहित मिलाकर महज 8 लोग शामिल हुए. इस दौरान गाइडलाइन के मुताबिक मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा गया.
खास बात यह है कि विवाह संपन्न होने के बाद दूल्हे के परिवार की तरफ से शादी में बचाई गई 1 लाख 71 हजार रुपए की रकम को गौशाला को दान कर दी गई. भागुराम चावला ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए अपने दो बेटों लक्ष्मण चावला और सुखराम चावला का विवाह सादगी और बेहद कम लोगों की मौजूदगी में किया. दोनों की शादी अजमेर के केकड़ी की दो बहनों कविता और सुमन के साथ सम्पन्न हुआ. चारों की शादी पुष्कर में अखिल भारतीय खटीक महासभा के तत्वाधान में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में हुई. यहां कोरोना गाइडलाइन की पालना के साथ सादगी से हुए समारोह में न बैंड-बाजे के साथ बारात निकाली और न ही कोई भीड़ दिखी.
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इस दौरान दूल्हा- दुल्हन के माता-पिता और एक दो नजदीकी परिजनों को ही विवाह समारोह में आमंत्रित किया गया. पीह कस्बे के सरपंच अमरचंद जाजड़ा ने बताया कि एक सम्पन्न परिवार से होने के बावजूद कोरोना काल को देखते हुए मानव हित में भागुराम चावला और उनके परिवार ने अपने घर में हुई शादी को सादगी के साथ सम्पन्न किया. ये दूसरे लोगों के लिए एक मिसाल हैं.
शादी के बाद भागूराम चावला के बड़े बेटे गोवर्धन चावला ने अपने भाइयों कि शादी में बचाई गई 1 लाख 21 हजार रुपए और गोवर्धन के चाचा टीकमचंद चावला ने 51 हजार रुपए की राशि गांव की श्री गुरुदेव परमार्थ गौशाला को सौंपी.