नागौर. राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में लोक पर्व त्योहारों का खास योगदान रहा है, लेकिन कोरोना काल में जहां लोगों की दिनचर्या बदली है. वहीं पारंपरिक लोकपर्वों का उल्लास भी फीका पड़ा है. ऐसा ही एक लोक पर्व है ऊब छठ. भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की छठ ऊब छठ के रूप में मनाई जाती है. इस मौके पर महिलाएं व्रत रखती हैं और मंदिरों में कथा सुनती हैं. फिर रात को चंद्रदर्शन के बाद व्रत खोलती हैं. इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंदिरों के कपाट दर्शनार्थियों के लिए बंद हैं. इसके चलते महिलाओं ने घर पर ही कथा सुनी हैं.
नागौर के ऐतिहासिक बंशीवाला मंदिर में ऊब छठ के मौके पर शहर की महिलाएं और युवतियां दर्शन कर कथा सुनती हैं. यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है, लेकिन इस बार यह परंपरा कोरोना काल की भेंट चढ़ गई. फिलहाल शहरी इलाकों के मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद हैं. इसके चलते ऊब छठ के मौके पर भी बंशीवाला मंदिर के कपाट आमजन के लिए बंद रहे. हर बार कथा सुनने के लिए महिलाओं और युवतियों का मेला लगता था. वह भी इस बार नहीं लगा और मंदिर का पांडाल सुना रहा.
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पुजारी दीक्षांत नारायण का कहना है कि कोरोना काल में सरकार के निर्देशों की पालना करते हुए मंदिर के कपाट आमजन के लिए बंद है. उब छठ के मौके पर महिलाएं कथा सुनने आती हैं, वे भी मंदिर नहीं आ पाई हैं. ऊब छठ की कथा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ऑनलाइन सुनाई गई है. उनका कहना है कि सरकार के निर्देशों की पालना में सुबह-शाम मंदिर में सिर्फ पुजारी पूजा-अर्चना कर रहे हैं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए ही रोज ऑनलाइन दर्शन करवाए जा रहे हैं.