नागौर. जिला कलेक्ट्रेट सभागार कक्ष में नागौर अतिरिक्त जिला कलेक्टर मनोज कुमार की अध्यक्षता में पालनहार योजना की समीक्षा बैठक आयोजित की गई. नागौर जिले की वर्तमान 32 पालनहार के आवेदन पेंडिंग होने पर नाराजगी जताई. वहीं 517 पालनहार योजना के दस्तावेजों की जांच की जा रही है. साथ ही 229 दस्तावेजों की कमी से पालनहार योजना के आवेदन वर्तमान में पेंडिंग चल रहे हैं. इनकी जांच के बाद ही स्वीकृति जारी होगी.
जानकारी के अनुसार यह समस्या पात्र अभ्यर्थियों के शिक्षा विभाग और आंगनबाड़ी केंद्रों के अध्ययन प्रमाण पत्र जमा नहीं होने की वजह से सामने आ रही है, इसलिए बड़ी संख्या में बच्चों की राशि अटकी हुई है. इससे बच्चों को योजना के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा. पालन और योजना का लाभ लेने के लिए संबंधित बच्चों का रजिस्ट्रेशन एसएसओ पोर्टल पर कराना अनिवार्य है.
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ये है योजना
अनाथ पालनहार योजना में जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो जाती है या माता-पिता को न्यायिक आदेशों के तहत आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा हो चुकी है या फिर माता-पिता की दोनों में से एक की मृत्यु हो गई हो, ऐसे प्रत्येक अनाथ बच्चों के लिए 500 रुपए स्कूल में दाखिल होने से लेकर 6 से 18 साल कर तक 1 हजार रुपए की राशि दी जाती है. इसके अतिरिक्त प्रत्येक संतान के कपड़े और जूते के लिए 2 हजार हर साल अलग से दिए जाते हैं.
2 साल पहले नागौर जिले ने पूरे प्रदेश में पालनहार योजना में प्रथम स्थान प्राप्त किया था, लेकिन अब हालात बदले हुए नजर आते हैं. कई जांच के नाम पर कई दस्तावेजों की कमी और अधिकारी की उदासीनता के चलते पालनहार के कई मामले वर्तमान में पेंडिंग चल रहे हैं.