ETV Bharat / city

सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के बाद डीडवाना में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की पक्षी प्रेमियों ने की मांग

author img

By

Published : Nov 22, 2019, 5:50 PM IST

सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत के बाद अब डीडवाना झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई है. बता दें कि डीडवाना में सुदूर साइबेरिया और ठंडे प्रदेशों से फ्लेमिंगो और कुरजां जैसे पक्षी हर साल प्रवास के लिए आते हैं.

डीडवाना में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की मांग, Demand for protection of migratory birds in Didwana

नागौर. प्रदेश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत का मामला सामने आने के बाद अब डीडवाना झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई है. डीडवाना में सुदूर साइबेरिया और ठंडे प्रदेशों से फ्लेमिंगो और कुरजां जैसे पक्षी हर साल प्रवास के लिए आते हैं.

डीडवाना में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की पक्षी प्रेमियों ने की मांग

बता दें कि सांभर झील में 18 हजार से ज्यादा स्थानीय और प्रवासी पक्षी एवियन बोटूलिज्म के कारण काल का ग्रास बन चुके हैं. अभी भी सांभर झील के इलाके से पक्षियों के शव निकालने का सिलसिला जारी है. इस बीच डीडवाना के नमक की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी प्रवास पर पहुंचने लग गए हैं. वहीं, सर्दियों में डीडवाना आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों में चिंता है.

पढ़ें- सांभर झील में पक्षियों की मौत के बाद अब 'घना' में अलर्ट जारी, कर्मचारियों को सचेत रहने के निर्देश के साथ पशुपालन विभाग को लिखा पत्र

जानकारी के अनुसार डीडवाना के खारे पानी की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी हर साल सर्दियों में प्रवास के लिए आते हैं. यहां ठंड के मौसम में उन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता है. सांभर झील में पक्षी त्रासदी के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बनाने की मंशा जाहिर की है.

ऐसे में डीडवाना के पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों का मानना है कि प्रदेश के वेटलैंड अथॉरिटी में सांभर झील के साथ ही गुढ़ा साल्ट, डीडवाना की नमक झील और पचपदरा व खींचन इलाके को शामिल इन साइट्स को संरक्षित किया जाए. तो भविष्य में सांभर झील जैसी किसी भी त्रासदी से बचा जा सकता है.

पढ़ें- स्पेशल: करीब 25 हजार से अधिक पक्षियों की मौत बनी पहेली, वन मंत्री ने कहा- बीजेपी ने ही इस तरह की कंपनियों को दिया था काम

आमतौर पर डीडवाना झील में प्रवासी पक्षी नवंबर महीने के अंत में आते हैं और फरवरी तक रुकते हैं. लेकिन कुछ सालों से इनका प्रवास भी अनियमित हो रहा है. पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इसका प्रमुख कारण हो सकता है.

नागौर. प्रदेश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत का मामला सामने आने के बाद अब डीडवाना झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई है. डीडवाना में सुदूर साइबेरिया और ठंडे प्रदेशों से फ्लेमिंगो और कुरजां जैसे पक्षी हर साल प्रवास के लिए आते हैं.

डीडवाना में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा की पक्षी प्रेमियों ने की मांग

बता दें कि सांभर झील में 18 हजार से ज्यादा स्थानीय और प्रवासी पक्षी एवियन बोटूलिज्म के कारण काल का ग्रास बन चुके हैं. अभी भी सांभर झील के इलाके से पक्षियों के शव निकालने का सिलसिला जारी है. इस बीच डीडवाना के नमक की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी प्रवास पर पहुंचने लग गए हैं. वहीं, सर्दियों में डीडवाना आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों में चिंता है.

पढ़ें- सांभर झील में पक्षियों की मौत के बाद अब 'घना' में अलर्ट जारी, कर्मचारियों को सचेत रहने के निर्देश के साथ पशुपालन विभाग को लिखा पत्र

जानकारी के अनुसार डीडवाना के खारे पानी की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी हर साल सर्दियों में प्रवास के लिए आते हैं. यहां ठंड के मौसम में उन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता है. सांभर झील में पक्षी त्रासदी के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बनाने की मंशा जाहिर की है.

ऐसे में डीडवाना के पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों का मानना है कि प्रदेश के वेटलैंड अथॉरिटी में सांभर झील के साथ ही गुढ़ा साल्ट, डीडवाना की नमक झील और पचपदरा व खींचन इलाके को शामिल इन साइट्स को संरक्षित किया जाए. तो भविष्य में सांभर झील जैसी किसी भी त्रासदी से बचा जा सकता है.

पढ़ें- स्पेशल: करीब 25 हजार से अधिक पक्षियों की मौत बनी पहेली, वन मंत्री ने कहा- बीजेपी ने ही इस तरह की कंपनियों को दिया था काम

आमतौर पर डीडवाना झील में प्रवासी पक्षी नवंबर महीने के अंत में आते हैं और फरवरी तक रुकते हैं. लेकिन कुछ सालों से इनका प्रवास भी अनियमित हो रहा है. पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इसका प्रमुख कारण हो सकता है.

Intro:राजस्थान में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत का मामला सामने आने के बाद अब डीडवाना झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई है। डीडवाना में सुदूर साइबेरिया और ठंडे प्रदेशों से फ्लेमिंगो और कुरजां जैसे पक्षी हर साल प्रवास के लिए आते हैं।Body:नागौर. सांभर झील में 18 हजार से ज्यादा स्थानीय और प्रवासी पक्षी एवियन बोटूलिज्म के कारण काल का ग्रास बन चुके हैं। अभी भी सांभर झील के इलाके से पक्षियों के शव निकालने का सिलसिला जारी है। इस बीच डीडवाना की नमक की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी प्रवास पर पहुंचने लग गए हैं। सर्दियों में डीडवाना आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों में चिंता है। आपको बता दें कि डीडवाना में खारे पानी की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी हर साल सर्दियों में प्रवास के लिए आते हैं। यहां ठंड के मौसम में उन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता है। सांभर झील में पक्षी त्रासदी के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बनाने की मंशा जाहिर की है। ऐसे में डीडवाना के पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों का मानना है कि प्रदेश के वेटलैंड्स अथॉरिटी में सांभर झील के साथ ही गुढ़ा साल्ट, डीडवाना की नमक झील और पचपदरा व खींचन इलाके को शामिल इन साइट्स को संरक्षित किया जाए। तो भविष्य में सांभर झील जैसी किसी भी त्रासदी से बचा जा सकता है।Conclusion:आमतौर पर डीडवाना झील में प्रवासी पक्षी नवम्बर के अंत अंत में आते हैं और फरवरी तक रुकते हैं। लेकिन कुछ सालों से इनका प्रवास भी अनियमित हो रहा है। पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इसका प्रमुख कारण हो सकता है।
.....
बाईट- अरुण व्यास, पर्यावरण और पक्षी विशेषज्ञ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.