नागौर. प्रदेश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील में हजारों पक्षियों की मौत का मामला सामने आने के बाद अब डीडवाना झील में आने वाले प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने पुख्ता इंतजाम करने की मांग उठाई है. डीडवाना में सुदूर साइबेरिया और ठंडे प्रदेशों से फ्लेमिंगो और कुरजां जैसे पक्षी हर साल प्रवास के लिए आते हैं.
बता दें कि सांभर झील में 18 हजार से ज्यादा स्थानीय और प्रवासी पक्षी एवियन बोटूलिज्म के कारण काल का ग्रास बन चुके हैं. अभी भी सांभर झील के इलाके से पक्षियों के शव निकालने का सिलसिला जारी है. इस बीच डीडवाना के नमक की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी प्रवास पर पहुंचने लग गए हैं. वहीं, सर्दियों में डीडवाना आने वाले हजारों प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों में चिंता है.
जानकारी के अनुसार डीडवाना के खारे पानी की झील में सुदूर साइबेरिया से फ्लेमिंगो और ठंडे प्रदेशों से कुरजां पक्षी हर साल सर्दियों में प्रवास के लिए आते हैं. यहां ठंड के मौसम में उन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता है. सांभर झील में पक्षी त्रासदी के बाद प्रदेश सरकार ने वेटलैंड अथॉरिटी बनाने की मंशा जाहिर की है.
ऐसे में डीडवाना के पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों का मानना है कि प्रदेश के वेटलैंड अथॉरिटी में सांभर झील के साथ ही गुढ़ा साल्ट, डीडवाना की नमक झील और पचपदरा व खींचन इलाके को शामिल इन साइट्स को संरक्षित किया जाए. तो भविष्य में सांभर झील जैसी किसी भी त्रासदी से बचा जा सकता है.
आमतौर पर डीडवाना झील में प्रवासी पक्षी नवंबर महीने के अंत में आते हैं और फरवरी तक रुकते हैं. लेकिन कुछ सालों से इनका प्रवास भी अनियमित हो रहा है. पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इसका प्रमुख कारण हो सकता है.