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स्पेशल : सीएम के आदेश भी बौने...72 साल की दिव्यांग को पेंशन के लिए टेकना पड़ा कलेक्टर की चौखट पर माथा - कलेक्टर की चौखट

ग्राम पंचायत...एसडीएम...बीडीओ के कई चक्कर काटने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं होने पर 72 साल की एक वृद्धा को कलेक्टर की चौखट चूमनी पड़ी.

old age pension, नागौर आलनियावास
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Published : Sep 26, 2019, 11:19 PM IST

नागौर. आंखों की मंद रोशनी के सहारे जिंदगी काट रही 72 साल की प्रकाशी आचार्य को सिस्टम ने चक्कर काटने के लिए मजबूर कर दिया. जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय से 22 दिन पहले ही संबंधित अधिकारियों को समस्या के निदान के लिए निर्देश जारी हो गए थे.

आंखों की मंद रोशनी के सहारे प्रकाशी को पेंशन की जरूरत, काटने पड़ रहे अफसरों के चक्कर

परिवादी को राहत देने की बजाय नागौर जिले के रियांबड़ी एसडीएम, बीडी और संबंधित ग्राम पंचायत में ने बार-बार चक्कर कटवाए. सरकारी सिस्टम में छोटी से छोटी समस्याओं को बड़ा कर देने की कहानी है नागौर के आलनियावास गांव की है. जहां कि 72 साल की दिव्यांग प्रकाशी आचार्य की पेंशन चल रही थी.

पढ़ेंः उपचुनाव में RLP-BJP के बीच गठबंधन का हुआ औपचारिक एलान, जल्द होगी उम्मीदवारों की घोषणा

लेकिन 15 माह पूर्व भौतिक सत्यापन के दौरान रियां बड़ी विकास अधिकारी ने राजस्थान से बाहर होने का नोट लगाकर दिव्यांग की पेंशन जून 2018 से बंद कर दी. जन्मजात दिव्यांग प्रकाशी आचार्य तब से अपनी पेंशन पुनः चालू करवाने के लिए चक्कर काटने को मजबूर है.

मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में भी प्रकाशी ने गुहार लगाई. सीएमओ से निर्देश भी जारी हुए लेकिन प्रकाशी को कहीं भी उम्मीद कि किरण नजर नहीं आई. 22 दिन बीत जाने के बाद भी किसी अधिकारी ने प्रकाशी के पुनः सत्यापान की जहमत तक नहीं उठाई. ऐसे में वो अपने 75 साल के भाई के साथ नागौर कलेक्ट्रेट पहुंची और माथा टेक कर गुहार लगाई.

पढ़ेंः राजस्थान में राजनीतिक भ्रष्टाचार चरम पर, बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय राजनीतिक भ्रष्टाचार की चरम सीमा : हनुमान बेनीवाल

वहीं जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने मामले की गंभीरता को लेते हुए जिला कोषाधिकारी को पूरे मामले की जांच और वृद्धावस्था पेंशन चालू करवाने के निर्देश दिए हैं. ये कहानी केवल 72 साल की दिव्यांग प्रकाशी की नहीं है. नागौर जिले में भौतिक सत्यापन के अभाव में 90 हजार 964 दिव्यांग, विधवा और अन्य वृद्ध भी इस समयस्या से जूझ रहे हैं जिनकी वर्तमान में पेंशन बंद कर दी गई है.

नागौर. आंखों की मंद रोशनी के सहारे जिंदगी काट रही 72 साल की प्रकाशी आचार्य को सिस्टम ने चक्कर काटने के लिए मजबूर कर दिया. जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय से 22 दिन पहले ही संबंधित अधिकारियों को समस्या के निदान के लिए निर्देश जारी हो गए थे.

आंखों की मंद रोशनी के सहारे प्रकाशी को पेंशन की जरूरत, काटने पड़ रहे अफसरों के चक्कर

परिवादी को राहत देने की बजाय नागौर जिले के रियांबड़ी एसडीएम, बीडी और संबंधित ग्राम पंचायत में ने बार-बार चक्कर कटवाए. सरकारी सिस्टम में छोटी से छोटी समस्याओं को बड़ा कर देने की कहानी है नागौर के आलनियावास गांव की है. जहां कि 72 साल की दिव्यांग प्रकाशी आचार्य की पेंशन चल रही थी.

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लेकिन 15 माह पूर्व भौतिक सत्यापन के दौरान रियां बड़ी विकास अधिकारी ने राजस्थान से बाहर होने का नोट लगाकर दिव्यांग की पेंशन जून 2018 से बंद कर दी. जन्मजात दिव्यांग प्रकाशी आचार्य तब से अपनी पेंशन पुनः चालू करवाने के लिए चक्कर काटने को मजबूर है.

मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में भी प्रकाशी ने गुहार लगाई. सीएमओ से निर्देश भी जारी हुए लेकिन प्रकाशी को कहीं भी उम्मीद कि किरण नजर नहीं आई. 22 दिन बीत जाने के बाद भी किसी अधिकारी ने प्रकाशी के पुनः सत्यापान की जहमत तक नहीं उठाई. ऐसे में वो अपने 75 साल के भाई के साथ नागौर कलेक्ट्रेट पहुंची और माथा टेक कर गुहार लगाई.

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वहीं जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने मामले की गंभीरता को लेते हुए जिला कोषाधिकारी को पूरे मामले की जांच और वृद्धावस्था पेंशन चालू करवाने के निर्देश दिए हैं. ये कहानी केवल 72 साल की दिव्यांग प्रकाशी की नहीं है. नागौर जिले में भौतिक सत्यापन के अभाव में 90 हजार 964 दिव्यांग, विधवा और अन्य वृद्ध भी इस समयस्या से जूझ रहे हैं जिनकी वर्तमान में पेंशन बंद कर दी गई है.

Intro:72 saal ki vardha ko 15 maah se penshan ka intjaar...आंखों की मद रोशनी के सहारे दिव्यांग प्रकाशी को पेंशन की जरूरत...पेंशन की गुहार लगाने आई बुजुर्ग दिव्यांग
महिला ने कलेक्टर की चौखट पर लेटी

एकर... नागौर कलेक्ट्रेट में दिव्यांग बुजुर्ग महिला पेंशन के लिए सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से महीनों तक भटकाने के बाद शासन की विसफलता कहने में कोई दो राय नहीं होगी यह भी तय जब परिवादी मुख्यमंत्री के निवास पर होने वाली जनसुनवाई में अपनी पीड़ा व्यक्त करें और मुख्यमंत्री कार्यालय से संबंधित अधिकारियों को 22 दिन पहले निर्देश जारी किए .. परिवादी को राहत देने की बजाय.. रिया बड़ी के SDM.. BDO.. संबंधित ग्राम पंचायत में ने बार बार चक्कर कटवाए तो अब सरकारी कार्यशैली पर सवाल निशान लगना वाजबी है..


Body: सरकारी सिस्टम में छोटी से छोटी समस्याओं को बड़ा कर देने की कहानी है आलनियावास की.. 72 साल की दिव्यांग प्रकाशी आचार्य की 15 माह पूर्व भौतिक सत्यापन के दौरान ग्राम सेवक के समक्ष पेश किए गए आवेदन में वृद्धावस्था पेंशन को पुन चालू कराने की गुहार लगाई लेकिन रियां बड़ी विकास अधिकारी ने नोट लगाकर दिव्यांग प्रकाश आचार्य को राजस्थान से बाहर होने का हवाला देकर वृद्धावस्था की पेंशन बंद कर दी । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर रिया बड़ी एसडीएम तक गुहार लगाने के बाद अब जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव को पुन वृद्धावस्था पेंशन चालू कराने की मांग की गई है 75 साल के भाइयों के साथ जिला कलेक्टर की चौखट पर माथा टेक कर फरियाद लगाई गई है जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला कोष कार्यालय के कोषाधिकारी किशोर कुमार को पूरे मामले की जांच और पुन वृद्धावस्था पेंशन चालू करवाने के निर्देश दिए गए मामले में रिया बड़ी के एसडीएम.. विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत को गंभीर लापरवाही सामने आई है ..जन्मजात दिव्यांग प्रकाश आचार्य को पेंशन जून महीने 2018 में पेंशन बंद कर दी गई थी.. बार-बार चक्कर लगाने के बाद ना तो आवेदन का सत्यापन किया गया ना ही सुधार करने की जहमत उठाई अब कलेक्टर दिनेश कुमार यादव से फरियाद की है..नागौर जिले में भौतिक सत्यापन के अभाव में 90 हजार 964 विकलांग विधवा और अन्य प्रकार की वर्तमान में पेंशन बंद कर दी गई है जिनका सत्यापन होना अभी बाकी है सबसे ज्यादा पेंशन के मामले डेगाना और सबसे कम के पेंटिंग लाडनू में बताए जा रहे हैं


Conclusion:नागौर के शहरी क्षेत्र में 33% और ग्रामीण इलाकों में 30% पेंशन के मामले आज भी धूल फांक रहे हैं और पेंडिंग के अभाव में भौतिक सत्यापन नहीं हो पा रहा ऐसे में जरूरत है कि लालफीता शी ठोस कदम उठाए ताकि जिन जरूरतमंदों को पेंशन की जरूरत है उन्हें समय पर लाभ मिल पाए

बाईट शिवचंद भाई

बाईट किशोर कुमार गावड़िया कोषाधिकारी नागौर
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