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Special: कोटा में यूपी के वोटर, इन मुद्दों पर बनेगी यूपी में सरकार... बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर दी यह राय - UP election issues shared by students

उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर कोटा में पढ़ रहे यूपी के बच्चों ने अपनी राय रखी है. चुनाव में मतदान करने जाने वाले इन बच्चों का कहना है कि प्रदेश में पिछले सालों में स्थितियां सुधरी हैं, लेकिन अभी भी काम करने की बहुत गुंजाइश है. कोविड-19 की स्थिति के चलते करीब 10 हजार बच्चे यहां पर अभी भी मौजूद हैं. आइए जानते हैं क्या कहना है इन बच्चों का यूपी चुनाव (UP students on Assembly election) पर...

UP voters in Kota
कोटा में यूपी के वोटर
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Published : Feb 1, 2022, 8:11 PM IST

Updated : Feb 2, 2022, 10:02 AM IST

कोटा. शिक्षा नगरी कोटा को मिनी इंडिया कहा जाता है. यहां देशभर से मेडिकल और इंजीनियरिंग के एंट्रेंस की तैयारी करने के लिए लाखों की संख्या में बच्चे आते हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के भी बड़ी संख्या में बच्चे होते हैं. यूपी के करीब 20 हजार बच्चे कोटा में पढ़ने आते हैं. कोविड-19 की स्थिति के चलते करीब 10 हजार बच्चे यहां पर अभी भी मौजूद हैं. जिनमें से अधिकांश मतदान करने उत्तर प्रदेश जाएंगे. यूपी में कैसी सरकार ये लोग देखना चाहते हैं. किन मुद्दों को लेकर यह वोट करेंगे. इस पर ईटीवी भारत से बच्चों से बातचीत की. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का सामने आया है.

इन बच्चों का कहना है कि बेरोजगारी की काफी समस्या है. दूसरा मुद्दा शिक्षा है, जो इन बच्चों के लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है. इन बच्चों ने शिक्षा को लेकर ही सबसे ज्यादा सवाल उठाए हैं. इनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में अच्छे स्कूल और शिक्षण संस्थान स्थापित हों, जिनकी टॉप रैंकिंग हो. कुछ बच्चों ने चिकित्सा सुविधाएं सुधारने पर भी अपनी राय दी है. इसके अलावा कानून व्यवस्था, सड़कें, नए प्रोजेक्ट व इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सुधारने की जरूरत बताई है. भ्रष्टाचार भी इन बच्चों की नजर में एक मुद्दा (UP election issues shared by students) है.

कोटा में यूपी के वोटर, इन मुद्दों पर बनेगी यूपी में सरकार

टॉप रैंकिंग वाले एजुकेशन इंस्टीट्यूट खोले जाएंः गोरखपुर निवासी आकाश मिश्रा का कहना है कि शिक्षा ही यूपी के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है. जब तक प्रदेश में गवर्नमेंट एजुकेशन इंस्टिट्यूट अच्छे नहीं होंगे, तब तक कॉमन मैन को अच्छी शिक्षा नहीं मिल सकती है. बीते कुछ सालों में शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन भी हुआ है. कोविड-19 के चलते डेढ़ साल अपने घर उत्तर प्रदेश रहा हूं. एजुकेशन सिस्टम में रिफॉर्म हो रहा है. इसे बरकरार रखने और सुधार के प्रयास लगातार होने चाहिए. उत्तर प्रदेश में हाई क्वालिटी एजुकेशन इंस्टिट्यूट बने यह स्कूली स्तर पर ही नहीं कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के हो. इनकी रैंकिंग भी टॉप लेवल की होनी चाहिए.

पढ़ें: कोटा: चित्तौड़गढ़ से यूपी जाने को साइकिल से मजबूर हुए मजदूर

हॉस्पिटलों की स्थिति में भी हो सुधारः मेरठ की रहने वाली प्राची का कहना है कि हॉस्पिटलों की स्थिति काफी खराब है. सरकारी अस्पतालों में अच्छा हाइजीन और मरीजों की पूरी केयर होनी चाहिए. अस्पतालों में स्टाफ की काफी कमी है, यह पद तुरंत भरे जाएं. लोगों को घर के नजदीक इलाज नहीं मिलता है. ऐसे में छोटे-छोटे स्वास्थ्य केंद्र भी खोले जाएं. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और गलत हरकतें भी बंद होनी चाहिए. अभी भी ऐसे मामले आते हैं उन पर रोक लगे. स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा जैसे तीन महत्वपूर्ण कदम सरकार को उठाने चाहिए. लड़ाई दंगे का माहौल नहीं होना चाहिए.गोरखपुर के संजीव कुमार यादव का कहना है कि बाढ़ उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है.

यूपी के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में हो आमूलचूल परिवर्तनः बरेली निवासी रोमी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है. इस पूरे सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है. अभी भी पर्याप्त ट्रेनें यूपी के लोगों को नहीं मिल पाती हैं. ट्रेनों में भीड़ जैसे हालात रहते हैं. कई जगहों पर तो आने जाने के लिए सप्ताह में केवल एक ही ट्रेन मिल रही है. एजुकेशन में बालिकाएं आगे आ रही हैं, लेकिन अब स्पोर्ट्स में भी उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए. सरकार को चाहिए कि बालिकाओं को मोटिवेट करें, ताकि वह आगे जाकर देश का नाम रोशन करें.

कोटा में यूपी के वोटर, इन मुद्दों पर बनेगी यूपी में सरकार-2

पढ़ें: कोटा के कोचिंग संस्थानों में विदेशी फर्म करेगी 9000 करोड़ का निवेश, बनेगी 33 फीसदी की पार्टनर

क्वालिटी रोड की जरूरत: कानपुर निवासी उत्कर्ष मिश्रा का कहना है कि सरकार रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्चा तो कर रही है, लेकिन दोबारा वैसी ही खराब खस्ताहाल सड़कें हो जाती है. इनकी क्वालिटी में सुधार होना चाहिए. कानपुर में मेट्रो चालू हुई है, लेकिन मेरा यह मानना है कि मेट्रो की जगह अगर गवर्नमेंट स्कूल या एजुकेशन सिस्टम पर इन्वेस्ट करते, तो उससे सिस्टम इंप्रूव होता. बच्चों को फायदा मिलता. यूपी में प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा है. साफ-सफाई भी कई शहरों में नहीं रहती है, गंदगी का आलम रहता है. सरकार को इस पर भी काम करना चाहिए.

गुंडाराज पर लगाम लगी, भ्रष्टाचार पर काफी काम बाकी: प्रयागराज यूपी के अभिषेक त्रिपाठी गुंडाराज पर लगाम लगाने को ही मुद्दा मानते हैं. प्रयागराज में पढ़ाई के दौरान उनके स्कूल में ही मारपीट जैसे मामले सामने आते थे. इस पर लगाम लगी है. गुंडागर्दी का सिस्टम कम हुआ है, लेकिन अभी भी लूटपाट, चैन स्नैचिंग जैसी कई बातें नॉर्मल है. भ्रष्टाचार भी काफी चरम पर है. मेरे गांव के नजदीक एक पुलिया 7 साल में भी बनकर तैयार नहीं हुई है. ऐसे में इस तरह से सरकार को अच्छा काम करना होगा और सिस्टम को मजबूत कर निर्माण के समय सीमा भी तय करवानी होगी.

पढ़ें: NEET UG 2021: मेडिकल काउंसलिंग में ऑल इंडिया कोटा के तहत राउंड-1 की काउंसलिंग का शेड्यूल संशोधित, चॉइस फिलिंग के लिए एक और मौका

पलायन कर लौटे लोगों को मिले रोजगार: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर निवासी जितेंद्र कुमार का कहना है कि कोविड-19 के चलते पूरे भारत से ही उत्तर प्रदेश के लोग वापस पलायन कर लौटे हैं. अधिकांश लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. इन सभी लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाए. इस तरह की स्थिति हो कि इन्हें दूसरे राज्यों में पलायन कर रोजगार के लिए नहीं जाना पड़े. सरकार को नए उद्योग स्थापित करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि रोजगार बढ़े. बरेली निवासी अंजलि का कहना है कि यूपी में कई बार भर्तियां निकलती हैं, लेकिन उन्हें रोक लिया जाता है. कई बार सालों तक परीक्षा नहीं होती है. कई वैकेंसी में तो परीक्षा होने के बाद भी उन्हें रद्द कर दिया जाता है. ऐसे में सबसे बड़ा मुद्दा ही बेरोजगारी है.

रोजगार देने के लिए सरकार खोले स्टार्टअप: उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी अविनाश कुमार शर्मा का कहना है कि चुनाव आते ही 5 साल बाद नेता वोट मांगने के लिए आ जाते हैं, लेकिन पुराने वादे पूरे नहीं होते हैं. मेरे इलाके में बिजली की काफी समस्या है. इसे दूर करना चाहिए. कानून व्यवस्था अखिलेश सरकार में थोड़ी सुधरी थी, इसके बाद योगी सरकार ने काफी सुधार उसमें कर दिया है, लेकिन अभी भी परीक्षाओं के सेंटर काफी दूर आते हैं. सबसे बड़ी समस्या रोजगार के कम संसाधन हैं. सरकार को खुद नए स्टार्टअप खोलने चाहिए या ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए, जिससे कि लोग उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप खोलें और वहां अच्छे रोजगार मिले.

कोटा. शिक्षा नगरी कोटा को मिनी इंडिया कहा जाता है. यहां देशभर से मेडिकल और इंजीनियरिंग के एंट्रेंस की तैयारी करने के लिए लाखों की संख्या में बच्चे आते हैं. इनमें उत्तर प्रदेश के भी बड़ी संख्या में बच्चे होते हैं. यूपी के करीब 20 हजार बच्चे कोटा में पढ़ने आते हैं. कोविड-19 की स्थिति के चलते करीब 10 हजार बच्चे यहां पर अभी भी मौजूद हैं. जिनमें से अधिकांश मतदान करने उत्तर प्रदेश जाएंगे. यूपी में कैसी सरकार ये लोग देखना चाहते हैं. किन मुद्दों को लेकर यह वोट करेंगे. इस पर ईटीवी भारत से बच्चों से बातचीत की. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का सामने आया है.

इन बच्चों का कहना है कि बेरोजगारी की काफी समस्या है. दूसरा मुद्दा शिक्षा है, जो इन बच्चों के लिए सबसे ज्यादा मायने रखती है. इन बच्चों ने शिक्षा को लेकर ही सबसे ज्यादा सवाल उठाए हैं. इनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में अच्छे स्कूल और शिक्षण संस्थान स्थापित हों, जिनकी टॉप रैंकिंग हो. कुछ बच्चों ने चिकित्सा सुविधाएं सुधारने पर भी अपनी राय दी है. इसके अलावा कानून व्यवस्था, सड़कें, नए प्रोजेक्ट व इंफ्रास्ट्रक्चर को भी सुधारने की जरूरत बताई है. भ्रष्टाचार भी इन बच्चों की नजर में एक मुद्दा (UP election issues shared by students) है.

कोटा में यूपी के वोटर, इन मुद्दों पर बनेगी यूपी में सरकार

टॉप रैंकिंग वाले एजुकेशन इंस्टीट्यूट खोले जाएंः गोरखपुर निवासी आकाश मिश्रा का कहना है कि शिक्षा ही यूपी के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा है. जब तक प्रदेश में गवर्नमेंट एजुकेशन इंस्टिट्यूट अच्छे नहीं होंगे, तब तक कॉमन मैन को अच्छी शिक्षा नहीं मिल सकती है. बीते कुछ सालों में शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन भी हुआ है. कोविड-19 के चलते डेढ़ साल अपने घर उत्तर प्रदेश रहा हूं. एजुकेशन सिस्टम में रिफॉर्म हो रहा है. इसे बरकरार रखने और सुधार के प्रयास लगातार होने चाहिए. उत्तर प्रदेश में हाई क्वालिटी एजुकेशन इंस्टिट्यूट बने यह स्कूली स्तर पर ही नहीं कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के हो. इनकी रैंकिंग भी टॉप लेवल की होनी चाहिए.

पढ़ें: कोटा: चित्तौड़गढ़ से यूपी जाने को साइकिल से मजबूर हुए मजदूर

हॉस्पिटलों की स्थिति में भी हो सुधारः मेरठ की रहने वाली प्राची का कहना है कि हॉस्पिटलों की स्थिति काफी खराब है. सरकारी अस्पतालों में अच्छा हाइजीन और मरीजों की पूरी केयर होनी चाहिए. अस्पतालों में स्टाफ की काफी कमी है, यह पद तुरंत भरे जाएं. लोगों को घर के नजदीक इलाज नहीं मिलता है. ऐसे में छोटे-छोटे स्वास्थ्य केंद्र भी खोले जाएं. महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और गलत हरकतें भी बंद होनी चाहिए. अभी भी ऐसे मामले आते हैं उन पर रोक लगे. स्वास्थ्य, सुरक्षा और शिक्षा जैसे तीन महत्वपूर्ण कदम सरकार को उठाने चाहिए. लड़ाई दंगे का माहौल नहीं होना चाहिए.गोरखपुर के संजीव कुमार यादव का कहना है कि बाढ़ उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है.

यूपी के ट्रांसपोर्ट सिस्टम में हो आमूलचूल परिवर्तनः बरेली निवासी रोमी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है. इस पूरे सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है. अभी भी पर्याप्त ट्रेनें यूपी के लोगों को नहीं मिल पाती हैं. ट्रेनों में भीड़ जैसे हालात रहते हैं. कई जगहों पर तो आने जाने के लिए सप्ताह में केवल एक ही ट्रेन मिल रही है. एजुकेशन में बालिकाएं आगे आ रही हैं, लेकिन अब स्पोर्ट्स में भी उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए. सरकार को चाहिए कि बालिकाओं को मोटिवेट करें, ताकि वह आगे जाकर देश का नाम रोशन करें.

कोटा में यूपी के वोटर, इन मुद्दों पर बनेगी यूपी में सरकार-2

पढ़ें: कोटा के कोचिंग संस्थानों में विदेशी फर्म करेगी 9000 करोड़ का निवेश, बनेगी 33 फीसदी की पार्टनर

क्वालिटी रोड की जरूरत: कानपुर निवासी उत्कर्ष मिश्रा का कहना है कि सरकार रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्चा तो कर रही है, लेकिन दोबारा वैसी ही खराब खस्ताहाल सड़कें हो जाती है. इनकी क्वालिटी में सुधार होना चाहिए. कानपुर में मेट्रो चालू हुई है, लेकिन मेरा यह मानना है कि मेट्रो की जगह अगर गवर्नमेंट स्कूल या एजुकेशन सिस्टम पर इन्वेस्ट करते, तो उससे सिस्टम इंप्रूव होता. बच्चों को फायदा मिलता. यूपी में प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा है. साफ-सफाई भी कई शहरों में नहीं रहती है, गंदगी का आलम रहता है. सरकार को इस पर भी काम करना चाहिए.

गुंडाराज पर लगाम लगी, भ्रष्टाचार पर काफी काम बाकी: प्रयागराज यूपी के अभिषेक त्रिपाठी गुंडाराज पर लगाम लगाने को ही मुद्दा मानते हैं. प्रयागराज में पढ़ाई के दौरान उनके स्कूल में ही मारपीट जैसे मामले सामने आते थे. इस पर लगाम लगी है. गुंडागर्दी का सिस्टम कम हुआ है, लेकिन अभी भी लूटपाट, चैन स्नैचिंग जैसी कई बातें नॉर्मल है. भ्रष्टाचार भी काफी चरम पर है. मेरे गांव के नजदीक एक पुलिया 7 साल में भी बनकर तैयार नहीं हुई है. ऐसे में इस तरह से सरकार को अच्छा काम करना होगा और सिस्टम को मजबूत कर निर्माण के समय सीमा भी तय करवानी होगी.

पढ़ें: NEET UG 2021: मेडिकल काउंसलिंग में ऑल इंडिया कोटा के तहत राउंड-1 की काउंसलिंग का शेड्यूल संशोधित, चॉइस फिलिंग के लिए एक और मौका

पलायन कर लौटे लोगों को मिले रोजगार: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर निवासी जितेंद्र कुमार का कहना है कि कोविड-19 के चलते पूरे भारत से ही उत्तर प्रदेश के लोग वापस पलायन कर लौटे हैं. अधिकांश लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. इन सभी लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जाए. इस तरह की स्थिति हो कि इन्हें दूसरे राज्यों में पलायन कर रोजगार के लिए नहीं जाना पड़े. सरकार को नए उद्योग स्थापित करवाने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि रोजगार बढ़े. बरेली निवासी अंजलि का कहना है कि यूपी में कई बार भर्तियां निकलती हैं, लेकिन उन्हें रोक लिया जाता है. कई बार सालों तक परीक्षा नहीं होती है. कई वैकेंसी में तो परीक्षा होने के बाद भी उन्हें रद्द कर दिया जाता है. ऐसे में सबसे बड़ा मुद्दा ही बेरोजगारी है.

रोजगार देने के लिए सरकार खोले स्टार्टअप: उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी अविनाश कुमार शर्मा का कहना है कि चुनाव आते ही 5 साल बाद नेता वोट मांगने के लिए आ जाते हैं, लेकिन पुराने वादे पूरे नहीं होते हैं. मेरे इलाके में बिजली की काफी समस्या है. इसे दूर करना चाहिए. कानून व्यवस्था अखिलेश सरकार में थोड़ी सुधरी थी, इसके बाद योगी सरकार ने काफी सुधार उसमें कर दिया है, लेकिन अभी भी परीक्षाओं के सेंटर काफी दूर आते हैं. सबसे बड़ी समस्या रोजगार के कम संसाधन हैं. सरकार को खुद नए स्टार्टअप खोलने चाहिए या ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए, जिससे कि लोग उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप खोलें और वहां अच्छे रोजगार मिले.

Last Updated : Feb 2, 2022, 10:02 AM IST
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