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कोटा : मरीज की मौत के बाद बचे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते पकड़े गए दो भाई

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Published : May 15, 2021, 9:12 AM IST

Updated : May 15, 2021, 7:02 PM IST

प्रदेश में इन-दिनों रेमडेसिविर की कालाबजारी जोरो पर है. जहां कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने कार्रवाई करते हुए 10 हजार रुपए में इंजेक्शन बेचने वाले दो भाइयों को गिरफ्तार किया है.

महंगे रेमडेसिविर बेचते दो भाई गिरफ्तार, Two brothers arrested for selling expensive Remadecivir
महंगे रेमडेसिविर बेचते दो भाई गिरफ्तार

कोटा. कोरोना मरीजों को लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी जमकर हो रही है. ऐसे में कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को इस संबंध में एक सूचना मिली. जिसके बाद उन्होंने मरीज के परिजन बनकर इंजेक्शन बेचने वाले युवक से बात की और पुलिस के जरिए डिकॉय ऑपरेशन किया. जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा कर दो भाइयों को गिरफ्तार किया है.

महंगे रेमडेसिविर बेचते दो भाई गिरफ्तार

दोनों भाई यह मूलतः बूंदी और केशोरायपाटन इलाके के निमोदा गांव निवासी हैं, जो कोटा शहर के महावीर नगर इलाके में रह रहे थे. इनमें एक मनोज कुमार रैगर निजी अस्पताल में नर्सिंग कर्मी है, तो दूसरा राकेश कुमार रैगर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के सामने निजी लैब में कार्यरत युवक है. पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह इंजेक्शन निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद मनोज ने रख लिए थे.

पढ़ें- कालाबाजारी करने वालों की शिकायत पुलिस हेल्पलाइन 100 पर करें, सरकार करेगी सख्त कार्रवाई: CM गहलोत

डॉ. सरदाना के अनुसार मेडिकल कॉलेज के अनुसार एक मरीज के परिजन ने शिकायत की थी कि उनका मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती है, उससे बाहर से ही जांच करवाई जा रही है और दवाइयां भी बाहर से ही मंगवाई जा रही है. जिसके बाद खुद मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने फोन पर उस युवक से बातचीत की.

बातचीत में डॉ. सरदाना ने खुद को मरीज हीरालाल का परिजन रमेश बताया. लगातार तीन से चार बार हुई बातचीत में निजी लैब कार्मिक राकेश कुमार रैगर 20 हजार रुपए में दो इंजेक्शन देने के लिए तैयार हो गया. इस बारे में कोटा शहर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन को डॉ. विजय सरदाना ने सूचना दी. जिसके बाद पुलिस एक्टिव हो गई.

पढ़ें- Rajasthan Corona Update: 14,289 नए मामले आए सामने, 155 मरीजों की मौत

बातचीत में हुआ शक

डॉ. सरदाना ने कहा कि फोन पर बातचीत के दौरान राकेश को शक हो गया था. उन्होंने कहा कि ट्रूकॉलर पर आपके डॉक्टर लिखा आ रहा है, तब उन्होंने कहा कि वे फिजियोथैरेपिस्ट हैं और उन्हें कोई भी मदद नहीं कर पा रहा है. एडिशनल एसपी प्रवीण जैन के निर्देश पर पुलिस निरीक्षक और डीएसटी टीम के प्रभारी नीरज गुप्ता इंजेक्शन लेने के लिए पहुंचे. उनका हुलिया ही डॉ. विजय सरदाना ने इंजेक्शन के लिए दलाली कर रहे राकेश कुमार रैगर को बताया.

पुलिस ने धर-दबोचा

राकेश कुमार ने इंजेक्शन देने के लिए एलआईसी बिल्डिंग के नजदीक बुलाया. जिस पर नीरज गुप्ता पहुंच गए. उसने अपने भाई नर्सिंग कर्मी मनोज कुमार रैगर को इंजेक्शन लेकर बुलाया, जब मनोज इंजेक्शन लेकर पहुंचा. निरीक्षक नीरज गुप्ता ने एटीएम से पैसे लाने की बात कही. इतनी देर में पुलिस ने दोनों को दबोच लिया और महावीर नगर थाना लेकर गई. जहां पर उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है.

पढ़ें- झालाना लेपर्ड रिजर्व से आई खुशखबरी, तीन शावकों के साथ नजर आई मादा लेपर्ड-LK

तीन नर्सिंग कर्मी हुए एपीओ, जांच भी शुरू

पूरे प्रकरण में तीन नर्सिंग कर्मियों को एपीओ किया गया है. अस्पताल में बाहर के व्यक्ति की आवाजाही, दवाइयों को बाहर से मंगाना और जांच भी निजी लैब से होना संदिग्ध है. इस दौरान उन्हें मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ऑफिस भेजा गया है. इनमें हेमलता मीणा, ललिता कुमारी और ममता सुमन शामिल है. मामले में चार सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित कर दी गई है. जिसमें जांच अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय और मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी शारदा शामिल है.

कोटा. कोरोना मरीजों को लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी जमकर हो रही है. ऐसे में कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को इस संबंध में एक सूचना मिली. जिसके बाद उन्होंने मरीज के परिजन बनकर इंजेक्शन बेचने वाले युवक से बात की और पुलिस के जरिए डिकॉय ऑपरेशन किया. जिसके बाद इस पूरे मामले का खुलासा कर दो भाइयों को गिरफ्तार किया है.

महंगे रेमडेसिविर बेचते दो भाई गिरफ्तार

दोनों भाई यह मूलतः बूंदी और केशोरायपाटन इलाके के निमोदा गांव निवासी हैं, जो कोटा शहर के महावीर नगर इलाके में रह रहे थे. इनमें एक मनोज कुमार रैगर निजी अस्पताल में नर्सिंग कर्मी है, तो दूसरा राकेश कुमार रैगर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के सामने निजी लैब में कार्यरत युवक है. पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह इंजेक्शन निजी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद मनोज ने रख लिए थे.

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डॉ. सरदाना के अनुसार मेडिकल कॉलेज के अनुसार एक मरीज के परिजन ने शिकायत की थी कि उनका मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती है, उससे बाहर से ही जांच करवाई जा रही है और दवाइयां भी बाहर से ही मंगवाई जा रही है. जिसके बाद खुद मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने फोन पर उस युवक से बातचीत की.

बातचीत में डॉ. सरदाना ने खुद को मरीज हीरालाल का परिजन रमेश बताया. लगातार तीन से चार बार हुई बातचीत में निजी लैब कार्मिक राकेश कुमार रैगर 20 हजार रुपए में दो इंजेक्शन देने के लिए तैयार हो गया. इस बारे में कोटा शहर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रवीण जैन को डॉ. विजय सरदाना ने सूचना दी. जिसके बाद पुलिस एक्टिव हो गई.

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बातचीत में हुआ शक

डॉ. सरदाना ने कहा कि फोन पर बातचीत के दौरान राकेश को शक हो गया था. उन्होंने कहा कि ट्रूकॉलर पर आपके डॉक्टर लिखा आ रहा है, तब उन्होंने कहा कि वे फिजियोथैरेपिस्ट हैं और उन्हें कोई भी मदद नहीं कर पा रहा है. एडिशनल एसपी प्रवीण जैन के निर्देश पर पुलिस निरीक्षक और डीएसटी टीम के प्रभारी नीरज गुप्ता इंजेक्शन लेने के लिए पहुंचे. उनका हुलिया ही डॉ. विजय सरदाना ने इंजेक्शन के लिए दलाली कर रहे राकेश कुमार रैगर को बताया.

पुलिस ने धर-दबोचा

राकेश कुमार ने इंजेक्शन देने के लिए एलआईसी बिल्डिंग के नजदीक बुलाया. जिस पर नीरज गुप्ता पहुंच गए. उसने अपने भाई नर्सिंग कर्मी मनोज कुमार रैगर को इंजेक्शन लेकर बुलाया, जब मनोज इंजेक्शन लेकर पहुंचा. निरीक्षक नीरज गुप्ता ने एटीएम से पैसे लाने की बात कही. इतनी देर में पुलिस ने दोनों को दबोच लिया और महावीर नगर थाना लेकर गई. जहां पर उन्हें इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है.

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तीन नर्सिंग कर्मी हुए एपीओ, जांच भी शुरू

पूरे प्रकरण में तीन नर्सिंग कर्मियों को एपीओ किया गया है. अस्पताल में बाहर के व्यक्ति की आवाजाही, दवाइयों को बाहर से मंगाना और जांच भी निजी लैब से होना संदिग्ध है. इस दौरान उन्हें मेडिकल कॉलेज प्राचार्य ऑफिस भेजा गया है. इनमें हेमलता मीणा, ललिता कुमारी और ममता सुमन शामिल है. मामले में चार सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित कर दी गई है. जिसमें जांच अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय और मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी शारदा शामिल है.

Last Updated : May 15, 2021, 7:02 PM IST
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