कोटा. देश ही नहीं दुनियाभर में कोरोना संक्रमण का खौफ चल रहा है. देश के कई हिस्सों से लोगों के पलायन की खबरें आ रही हैं. लाख समझाने के बाद भी लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. इन परिस्थितियों में कोचिंग सिटी कोटा अनुशासन का श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है.
कोटा में लॉकडाउन के दौरान भी देशभर के 35,000 से अधिक स्टूडेंट्स रुके हुए हैं. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक से आए ये स्टूडेंट्स अनुशासन के साथ लॉकडाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं. इन स्टूडेंट्स ने खुद को इन दिनों हॉस्टल के कमरों तक सीमित कर लिया है. ये सभी एकांत में रहकर न सिर्फ होम आइसोलेशन में हैं, बल्कि स्वस्थ और सतर्क भी हैं.
कोटा इन दिनों अनुशासन का सबसे बेहतर उदाहरण बनकर सामने आ रहा है. यहां सभी एडवाइजरी और नियमों की पालना हो रही है. सभी कोचिंग संस्थानों की गाइड लाइन फॉलो कर स्टूडेंट्स आगामी परीक्षा की तैयारियों में जुटे हुए हैं. ये स्टूडेंट्स पूरी तरह से धैर्य और अनुशासन का भी परिचय दे रहे हैं. कमजोरियों को दूर कर रहे हैं और मजबूत टॉपिक्स पर अपनी पकड़ बढ़ा रहे हैं. इसके लिए उन्हें टीचर्स की पूरी मदद भी मिल रही है. ये स्टूडेंट्स पूरे देश से यहां आकर रह रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़े...
- कोटा में 12 बड़े और 20 छोटे कोचिंग संस्थान हैं, जहां पर मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाई जाती है.
- कोटा में हर साल देश के हर हिस्से से कोचिंग करने 2 लाख से अधिक छात्र आते हैं.
- पीजी और हॉस्टल में रहते हैं करीब डेढ़ लाख स्टूडेंट्स.
- 50 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हाॅस्टल्स में सिंगल रूम में रहते हैं.
- पूरे कोटा शहर में करीब 2 हजार हॉस्टल हैं.
- 15 हजार बच्चे अपनी मां या अन्य परिजनों के साथ रहते हैं.
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फोन पर ले रहे हैं समाधान
मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे प्रत्यूष रवि का कहना है कि कोचिंग संस्थान लॉकडाउन की वजह से पहले ही बंद हो चुके हैं. वैसे भी उनका कोर्स पूरा हो चुका था. अब कुछ डाउट्स उन्हें क्लियर करने होते हैं, तो वह फोन पर अपनी टीचर्स को फोन कर लेते हैं. उनका ये भी कहना है कि टीचर्स खुद भी आगे होकर उन्हें फोन कर रहे हैं.
अधिकांश समय रूम पर ही रहकर करता था पढ़ाई
बिहार के नवादा जिले के अखिलेश यादव नीट की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि वह पहले भी रूम से बहुत कम बाहर निकलते थे. अधिकांश समय अपने पढ़ाई में ही व्यतीत करते थे. लॉकडाउन के चलते उन्हें ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ा है. कुछ जरूरी सामान लेना होता है, तो वह बाहर निकलते हैं, नहीं तो रूम पर ही आइसोलेट रहकर पढ़ाई कर रहे हैं.
अतिरिक्त समय तैयारी के लिए मिल गया
कोटा से नीट की तैयारी कर रहे प्रत्यूष रवि का कहना है लॉकडाउन की वजह से एग्जाम नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे में अब उन्हें अतिरिक्त समय पढ़ाई के लिए मिल गया है. रूम पर ही ज्यादातर समय आइसोलेशन में रहते हैं. उनका कहना है कि एंड्रॉयड फोन भी नहीं है, ऐसे में कुछ समय के लिए बोर हो जाते हैं.
हॉस्टलों में आवाजाही पर रोक
कोचिंग छात्र हॉस्टल में रहते हैं. ऐसे में वहां पर लॉकडाउन के चलते आवाजाही पर रोक लगा दी गई है. अनावश्यक बाहर के व्यक्ति को भी आने-जाने नहीं दिया जाता. यही नहीं इन दिनों मैस और भोजन करने के समय भी एकत्रित नहीं होने दिया जा रहा है.
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सिंगल रूम आदर्श है
लॉकडाउन में कोटा का सिंगल रूम कल्चर बहुत प्रभावी है. हॉस्टल में सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिड़काव भी किया जा रहा है. ऐसे में कोटा में स्थिति आदर्श है. स्टूडेंट्स को इन दिनों कहीं जाने का प्रयास नहीं करते हुए इन्हीं परिस्थितियों में रहना चाहिए.
पूरे दिन शेड्यूल बनाकर कर रहे हैं पढ़ाई
इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए हर वर्ष डेढ़ लाख से अधिक स्टूडेंट्स कोटा आते हैं. दिसम्बर तक लगभग सिलेबस पूरा हो जाता है. ऐसे में इन दिनों यहां 20 प्रतिशत ऐसे स्टूडेंट्स ही हैं, जिनका या ता परीक्षा केन्द्र कोटा में है या फिर जो अगले वर्ष भी पढ़ाई जारी रख रहे हैं. ये सभी स्टूडेंट्स किसी के संपर्क में नहीं हैं. पूरे दिन का शेड्यूल बनाकर पढ़ाई कर रहे हैं. कोटा के हजारों स्टूडेंट्स की मदद स्थानीय नागरिकों और स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी कर रही है. स्टूडेंट को जरूरत होती है तो उन्हें भोजन पहुंचा दिया जाता है.