कोटा. कोटा रेल मंडल में नए प्रकार की एलएसएलआरडी (एलएचबी सेकेंड लगेज, गार्ड और दिव्यांग कम्पार्टमेंट) पावर कार का उपयोग शुरू किया है. जिसके तहत दो रेलगाड़ियों को संचालित किया जा रहा है. जिसकी मदद से बिजली की बचत हो रही है. इन दो रेलगाड़ियों में जनशताब्दी और कटरा श्री माता वैष्णो देवी एक्सप्रेस ट्रेन शामिल हैं.
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इस नए तरह के पावर कार की खासियत है कि यह रेलवे की बिजली लाइन जिससे ट्रेन संचालित होती है. उसी से बिजली लेकर रेल के कोच तक पहुंचाती है. जिससे कि डीजल जनरेटर सेट की आवश्यकता नहीं रहती है और इसी के चलते डीजल की बचत भी शुरू हो गई है. किसी की मदद से कोच में लगे हुए पंखे, बल्ब सब जलने लग जाते हैं.
कोटा मंडल रेलवे के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक अजय कुमार पाल का कहना है कि इसके जरिए हर महीने 21 लाख 50 हजार रुपए की बचत हो रही है और सालाना बात की जाए तो यह बचत 2 करोड़ 60 लाख रुपए की होगी. सीनियर डीसीएम अजय कुमार पाल का कहना है कि डीजी सेट पावर कार में 1 घंटे में लगभग 40 लीटर डीजल की खपत होती है, जबकि वह ओएचई लाइन से बिजली प्राप्त करके गाड़ी का संचालन करना सस्ता पड़ता है.
कोटा मंडल में प्रतिमाह 22600 लीटर डीजल की बचत होगी. जिससे सालाना करोड़ो का राजस्व भी बचेगा. वर्तमान में केवल दो ही ट्रेनों में यह लगाया गया है आगे अन्य ट्रेनों में भी कोटा मंडल रेलवे की इस तरह के पावरकार लगाए जाएंगे.
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इस तकनीक को 'हैड ऑन जेनरेशन टेक्नोलॉजी' (एचओजी) कहा जाता है. जिसके तहत ओवरहैड बिजली आपूर्ति का उपयोग होगा. शोर करने और धुआं निकालने वाले जेनरेटर कोचों ट्रेन में उपयोग नहीं किए जा रहे हैं. नए एलएसएलआरडी कोच में लगेज, गार्ड रूम और यात्रियों के लिए भी जगह होगी. पावर कार को संचालित किया जाता है, तो करीब 36 रुपए का खर्चा आता है. जबकि नई तकनीक में यह खर्चा 6 रुपए प्रति यूनिट ही होगा.
डीजी सेट के रखरखाव और उसकी मरम्मत पर होने वाला खर्च बचेगा. पावर कार में ऑयल के लीकेज और फैलाव की समस्या रहती थी, जिससे आग लगने का खतरा बना रहता था. यह खतरा भी काफी कम हो गया है.