कोटा. देश के सबसे बड़े इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई में बदलाव करते हुए मानव संसाधन मंत्रालय ने इसको दो बार आयोजित करने का निर्णय लिया था. जिसके चलते इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम साल में दो बार करवाया जाता है. एक एग्जाम जनवरी में और दूसरा एग्जाम अप्रैल में होता है. हालांकि, इस बार अप्रैल का एग्जाम कोरोना के चलते नहीं हो पाया है. जिसको अब सितंबर में करवाया जाना प्रस्तावित है. इसी तर्ज पर छात्र और एक्सपर्ट मेडिकल प्रवेश परीक्षा को भी दो बार करवाने की मांग करने लगे हैं.
दो परीक्षाओं से बच्चों को मिलता है सुधार का मौका
नीट एग्जाम के विशेषज्ञ परिजात मिश्रा के अनुसार जब एक बार परीक्षा होती है, तो उस दिन परीक्षार्थी के टेंपरामेंट पर ही सब कुछ निश्चित हो जाता है कि उसका एग्जाम कैसा जाएगा. नीट परीक्षा से ही एमबीबीएस, बीडीएस, वेटरनरी और आयुष कोर्सेज में प्रवेश होता है. ऐसे में बच्चों के पास एक मौका और होना चाहिए. यदि दो बार परीक्षा होगी तो बच्चों को सुधार करने का समय भी मिल जाता है.
अब तीन मौके और मिलने लगे
जेईई परीक्षा के एक्सपर्ट अमित आहूजा का कहना है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने कदम उठाते हुए साल में दो बार जेईई मेन परीक्षा कराने का निर्णय लिया है. इसके तहत स्टूडेंट 3 साल ही जेईई की परीक्षा में बैठ सकता था. उसे तीन की जगह अब 6 मौके मिलने लगे हैं, क्योंकि साल में दो बार परीक्षा देने को भी एक ही अटेंप्ट माना जाता है. दो बार होने वाली जेईई परीक्षा में जिस स्टूडेंट का अच्छा रिजल्ट आता है. उसे ही एडवांस के लिए मान्य किया जाता है. आहूजा का कहना है कि परीक्षा वाला दिन ही बच्चों का करियर डिसाइड करता है. ऐसे में अगर उन्हें स्ट्रेस होता है या एंजाइटी होती है, तो वह ठीक से परीक्षा नहीं दे पाते हैं. जिससे उनका रिजल्ट बिगड़ जाता है. ऐसे में जब बच्चे को एक ही साल में कुछ दिन बाद दोबारा मौका मिलता है, तो वह अपने रिजल्ट में सुधार कर सकता है और जेईई एडवांस के लिए क्वालीफाई कर सकता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि जेईई का पेपर दो बार होता है. जबकि नीट का पेपर एक बार होता है. ऐसे में नीट के विद्यार्थियों को दो बार परीक्षा देने के लिए जो खर्चा करना होता है. वह नहीं होता है, जिसमें फार्म फीस से लेकर रजिस्ट्रेशन, जहां पर सेंटर आया है, वहां परीक्षा देने जाना और अन्य सभी खर्चे होते हैं. यह दो बार परीक्षा नहीं होने के चलते बच जाते हैं.
सुधार का मौका
जेईई मेंस की तैयारी कर रहे छात्र का कहना है कि पहले पेपर से यह पता चल जाता है कि किस जगह पर उनकी गलती हुई है और 3 महीने बाद ही दूसरे पेपर में उसके आधार पर प्रिपरेशन कर पाते हैं. साथ ही एडवांस के लिए भी मेहनत के लिए समय मिल जाता है.
1 साल हो जाता है बर्बाद
मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रही छात्रा बताती हैं कि नीट में उन्हें एक ही मौका मिल रहा है. ऐसे में उस दिन अगर पेपर सही नहीं जाता है, तो पूरा 1 साल बर्बाद हो जाता है. फिर उस दिन हुई गलतियों को सुधार करने के लिए एक साल बाद ही मौका मिलता है. दो बार परीक्षा होती तो सफलता के चांस ज्यादा हैं. एक अन्य स्टूडेंट का कहना है कि वे दो बार नीट का एग्जाम दे चुके हैं, लेकिन असफल रहे हैं. अगर साल में दो बार परीक्षा आयोजित होती तो, उन्हें चार मौके मिल जाते और सिलेक्शन होने के चांस भी बढ़ जाते. वह इस बार तीसरी बार परीक्षा देंगे. उनका कहना है कि जेईई के बच्चों को एंट्रेंस एग्जाम में हमसे ज्यादा फायदा मिल रहा है.
परीक्षा पैटर्न
जेईई मेन ऑनलाइन और नीट ऑफलाइन पेन पेपर के आधार पर होता है. नीट परीक्षा का पैटर्न पेन पेपर बेस्ड है. इसमें ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन ही आते हैं. कुल 180 प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनमें 45 केमिस्ट्री और 45 फिजिक्स के होते हैं. इसके अलावा 90 क्वेश्चन बायोलॉजी के होते हैं. सही होने पर परीक्षार्थी को 4 अंक मिलते हैं. वहीं प्रश्न गलत होने पर एक अंक कट जाता है. यह पेपर कुल 720 अंकों का होता है. जेईई परीक्षा की बात की जाए तो यह पूरा ऑनलाइन एग्जाम होता है. इसमें बदलाव करते हुए मानव संसाधन मंत्रालय ने कदम उठाया है. जिसके तहत अब 75 प्रश्न ही परीक्षा में पूछे जाते हैं. जिनमें फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ के 25-25 प्रश्न शामिल होते हैं. इनमें हर सब्जेक्ट में 20 प्रश्न ऑब्जेक्टिव होते हैं. वहीं पांच प्रश्न न्यूमेरिकल वैल्यू के होते हैं.
नीट परीक्षा वर्ष 2019 में 15,19,375 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया. इसमें से 14,10,755 ने परीक्षा दी. वहीं इस साल 15,92,000 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया है. कोरोना संक्रमण के चलते परीक्षा लगातार टाली जा रही है और अब परीक्षा 13 सितंबर को प्रस्तावित है.
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60 फीसदी बच्चे देते हैं दोबारा परीक्षा
जेईई मेंस परीक्षा 2019 में 12 लाख 37 हजार 892 स्टूडेंट्स ने अप्रैल और जनवरी परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें से 11,47,125 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी. जबकि 6,08,440 विद्यार्थी ऐसे थे, जिन्होंने जनवरी और अप्रैल दोनों परीक्षाओं में भाग लिया. इससे साफ है कि 60 फीसदी विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो अपने परिणाम को सुधारने के लिए दोनों परीक्षाओं में बैठते हैं. वहीं 9 लाख 50 हजार रजिस्ट्रेशन जेईई जनवरी के लिए हुए हैं. जबकि 8 लाख 60 हजार बच्चों ने एक्जाम दिया है. वहीं अप्रैल के लिए 9,00,000 बच्चों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.