कोटा. शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य (Kota city development projects) करवाए जा रहे हैं, लेकिन विकास की धीमी गति और डायवर्जन (Slow Pace Of Development In kota) के चलते व्यापारियों पर इसकी भारी मार पड़ रही है. ऐसे कई बाजारों हैं, जहां पर बिजनेस 30 फीसदी ही रह गया है. ऐसे में व्यापारी इस विकास को ही कोसने लग गए हैं. विकास कार्यों के चलते रास्ते बंद हैं, ना तो व्यापारियों तक ग्राहक पहुंच रहे हैं, ना ही उनकी दुकानों में बेचने के लिए सामानों की सप्लाई हो पा रही है. धूल का गुबार उड़ने से प्रदूषण के हालात (Pollution Issue In Kota Markets) है. जिससे भी ग्राहक इन बाजारों में जाने से कतराने लगे हैं. यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति वहां पर खरीदारी करने भी आता है तो रास्ता अभी संकरा हो रहा है. ऐसे में पुलिसकर्मी उसके वाहन को भी रुकने नहीं देते हैं. जिससे भी व्यापार को नुकसान हो रहा है.
अचानक से खोद दिया रास्ता नहीं चढ़ सकते ग्राहक : कोटडी चौराहे पर अचानक से ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया और रास्तों को खो दिया गया. इसके चलते पाइपलाइन भी फूट गई साथ ही कई दुकानें ऐसी है, जहां तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं है. मेन कोटडी चौराहे स्थित एक मिठाई की दुकान मालिक का तो कहना है कि उनकी दुकान की ग्राहकी केवल 10 फीसदी रह गई है, बीते 3 दिन से उनकी दुकान में तो माल भी नहीं पहुंच पा रहा है. क्योंकि उनका गोदाम दूसरी जगह पर है. महिला ग्राहक तो दुकान पर चढ़ने से भी कतराती हैं, क्योंकि सड़क की जगह उन्हें 3 से 4 फ़ीट के गड्ढों में से होकर गुजरना पड़ता है.
सैकड़ों दुकानदारों ने बदली, कई खाली कर चले गए शॉप : बोरखेड़ा पुलिया से लेकर देवली अरब रोड और कृषि विश्वविद्यालय जाने वाले रास्ते पर बीते 2 माह से बैरिकेड लगाए हुए हैं. यहां के दुकानदारों तक ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे हैं. रास्ता भी पूरी तरह से बंद (Road Block in kota) है. ऐसे में व्यापार चौपट जैसा ही हो गया है. इस इलाके में तो करीब 20 से ज्यादा दुकानें खाली हो गई है. क्योंकि उनका किराया भी दुकान संचालक नहीं चुका पा रहे थे. यहां दुकान संचालित करने वालों का कहना है कि पहले 2 साल कोविड-19 की मार झेली, अब यह निर्माण कार्य भी उन्हें तंग कर रहा था. ग्राहक नहीं आने के चलते व्यापार चौपट (Business Collapse Due To Lack Of Customers) था. ऐसे में अब दुकान ही खाली करनी पड़ी है. कई दुकानदारों ने तो दूसरी जगह पर अपनी दुकानें संचालित करना शुरू कर दिया.
हर बाजार और रास्ते की यही कहानी : कोटा के गुमानपुरा बाजार की बात की जाए या फिर केनाल रोड की, इंदिरा गांधी सर्किल से घोड़े वाले बाबा चौराहे पर हो या फिर कुन्हाड़ी सर्किल के आसपास का बाजार सभी जगह एक हालात है. इसके अलावा नयापुरा के विवेकानंद चौराहे से खाई रोड, बस स्टैंड, महर्षि नवल सर्किल और जेल रोड तक की सभी जगह ऐसा ही हो रहा है. अब बाजार में कोटडी चौराहे पर भी इसी तरह से सड़कें खोद दी गई है. गोबरिया बावड़ी एरिया लिया जाए या फिर अनंतपुरा चौराहे के नजदीक का मार्केट वहां भी फिलहाल हालात ऐसे ही नजर आ रहे हैं. अंटाघर चौराहे से लेकर पुलिस लाइन होते हुए 80 फिट रोड तक भी खुदाई करके अलग अलग तरह की लाइन डालने का कार्य किया जा रहा है. इसके चलते भी आम जनता त्रस्त हो रही है. साथ ही यहां का व्यापार भी पूरी तरह से चौपट जैसा ही है.
डायवर्जन के रास्ते भी खस्ताहाल, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान : डायवर्सन के लिए बनाए गए वैकल्पिक रास्ते भी खस्ताहाल (Road Block due to smart city project in kota) हैं. उन पर न तो ठीक से अतिक्रमण हटाए गए हैं, नहीं उन्हें चलने लायक बनाया गया है. खस्ताहाल रास्ते और उन पर गड्ढे होने की वजह से वाहन धीमी गति से चलते हैं. जिसके चलते लंबा ट्रैफिक जाम शहर के बाजारों में रहता है. वैसे ही निर्माण कार्य के चलते शहर की सड़कें सकरी हुई है. क्योंकि आदि सड़कों पर निर्माण सभी जगह चल रहा है और डायवर्जन रास्तों से जो पूरा ट्रैफिक है. वह कुछ मार्गों पर से ही गुजरता है. ऐसे में वहां भी ट्रैफिक जाम जैसे हालात ही बने हुए रहते हैं. अधिकारी भी इन डायवर्जन किए गए वैकल्पिक मार्गों को दुरुस्त नहीं करवा रहे हैं. उन्हें अपने हाल पर ही छोड़ा हुआ है. जिसका पूरा खामियाजा आम जनता और व्यापारी भुगत रहे हैं. आम जनता को वाहनों में टूट-फूट झेलनी पड़ रही है, तो घंटों का समय इन खस्ताहाल रास्तों से गुजरने में समय जाया हो रहा है.
30 से 40 फीसदी रह गया व्यापार : बोरखेड़ा मेन रोड पर हार्डवेयर शॉप संचालित करने वाले राकेश शर्मा का कहना है कि काफी फर्क व्यापार (Business collapse Due to Construction) पर पड़ा है, हमारा व्यापार 30 से 40 फीसदी रह गया. परेशानियां और समस्या काफी सारी है, जहां पर काम नहीं चल रहा वहां भी बैरिकेड लगाकर रास्ते बंद किए हुए हैं। जगह-जगह गड्ढे किए हुए, टाइम पर भी काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं. दिनभर धूल उड़ने से हमें भी खांसी जुकाम की शिकायत लगातार रहने लगी है. मैं तो यही कहूंगा कि इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए.
दिन में केवल 2 से 3 ग्राहक, किराया भी नहीं निकल रहा : बोरखेड़ा इलाके में पेंट शॉप संचालित करने वाले दीपक नायक का कहना है कि 500 से 600 दुकानें हैं. अधिकांश दुकानें तो खाली होकर दूसरी जगह शिफ्ट हो गई है. पुलिया के निर्माण से कोई व्यापार यहां पर नहीं है. दुकान का किराया भी नहीं निकल पा रहा है, दुकान मालिक भी कम करने को तैयार नहीं है. हमारी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है. दिन में एक दो ग्राहक आ जाए तो आ जाए. रोड की वजह से नहीं आ रहे हैं, कंस्ट्रक्शन चलने के चलते आने से कतरा रहे हैं. चारों तरफ कोटा में सड़कें खुदी हुई है, आना जाना प्रभावित हो रहा है, तो कैसे कस्टमर आएगा.
खुद लोगों को दुरुस्त करने पड़ रहे रास्ते : बोरखेड़ा कैनाल के पास एक पुराने सीवरेज का एक बड़ा गड्ढा हो गया है. जो कि 10 फीट से ज्यादा गहरा है. यहां प्रॉपर्टी डीलर की शॉप संचालित करने वाले अहमद अब्बासी का कहना है कि पूरी पब्लिक परेशान है. इसमें आम लोग गिरते रहते हैं, यह रोड का काम चलता है, कोई व्यवस्था यूआईटी नहीं कर पा रही हैं. निर्माण एजेंसियां बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है. सीवरेज के गड्ढे में दो-तीन लोग गिर भी चुके हैं. वहां के स्थानीय दुकानदार का कहना है कि हम लोगों ने ही इस पर एक बड़े पत्थर रख दिया, लेकिन भारी वाहन निकलता है, तो पत्थर टूट जाता है. उसके बाद निकलने वाले लोगों को यह गड्ढा नजर नहीं आता. जिसके चलते हादसा हो जाता है और वह गिर कर घायल भी हो रहे हैं. इसके अलावा दुपहिया वाहन चालक भी उबड़ खाबड़ रास्ता होने से स्लिप होकर गिर रहे हैं.
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कहां चले रास्ता ही नजर नहीं आता : बजरंग नगर की केसर बाग कॉलोनी निवासी मोहम्मद रफी का कहना है कि शाम के समय भारी ट्रैफिक जाम सड़कों पर हो जाता है. निकलना तो दूर की बात है घंटों तक इसमें फंसे हुए रहते हैं. अगर कहीं जाना है तो 1 घंटे का मार्जिन वहां जाने के लिए लेना पड़ रहा है, क्योंकि रास्ता काफी खस्ताहाल हो रहा है. कोटा की प्रमुख सड़के ही नहीं गलियों में भी सीवरेज के काम के लिए सड़कें खोद दी है दिए गए हैं. जहां पर 5 दिन का काम होने के बावजूद भी एक 1 महीने तक रास्ता बंद रहता है. व्यवस्थित विकास करना चाहिए था, वैसा नहीं हो पा रहा है. वैकल्पिक रास्तों को भी तुरंत नगर विकास न्यास को दुरुस्त करना चाहिए, विकास एक जगह जरूरी है, लेकिन उन्हें निकलने का रास्ता उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि आम जनता परेशान नहीं हो. किसी को अस्पताल या बच्चों को स्कूल भी जाना होता है, जिस में भी देरी हो रही है. यहां तक की दुकानों पर चर्बी हम लोग नहीं पा रहे हैं.